- अक्षय तृतीया के मौके पर बन रहे सर्वार्थ सिद्धियोग से अक्षय फल प्राप्ति की संभावना

- ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक दोपहर बाद गोल्ड परचेजिंग रहेगी शुभ

Meerut : अक्षय तृतीया के इस बार काफी शुभ होने की संभावना ज्योतिषाचार्य जता रहे हैं। क्योंकि अक्षय तृतीया को सर्वार्थ सिद्धियोग मंगलवार के दिन बन रहा है। यह संयोग क्90 वर्षो बाद बन रहा है। ऐसे में इस दिन गोल्ड की परचेजिंग करने से फ्यूचर में परचेजिंग पॉवर बढ़नी तय है। इसके अलावा मंगलवार को ही कृतिका नक्षत्र, सौभाग्य योग, गर, करण और वृषभ की उच्च राशि में चंद्रमा, इन पांचों का तालमेल शुभ संयोग बना रहा है, जो कि व्यापरियों, आमजनों, शादी विवाह की रस्मों और स्टूडेंट्स के लिए विशेष लाभप्रद है।

और भी हैं संयोग

अक्षय तृतीया पर सुबह 9 बजकर क्भ् मिनट से दोपहर क्फ् बजे तक सर्वार्थ सिद्धियोग का मुहूर्त है। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक इस मुहूर्त में जातकों को अपने ईष्ट देव व लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। वहीं, दोपहर क्भ् बजे से सूर्यास्त तक के समय में रवि योग का संयोग है। इस समय जातकों को शॉपिंग करने के लिए निकलना शुभ रहेगा, ऐसी संभावना है। इसके अलावा इसी मुहूर्त में ही मंगलादित्य व बुधादित्य का महासंयोग भी बन रहा है। जो गोल्ड की परचेजिंग करने वालों को अक्षय बनाता है। इस खास नक्षत्र में परचेजिंग करने से घर में कभी आभूषणों की कमी नहीं रहती। बेचने की संभावनाओं पर भी अंकुश लगने लगता है। जातकों को केवल परचेज किए हुए गोल्ड को खाद्यान्न अथवा ज्वेलरी केस में करीब हफ्ते भर तक रखना चाहिए।

योग एक प्रभाव अनेक

पंच अंकों की गणना करने पर एक साथ इतने मुहूर्त और योग का संयोग कभी ही बनता है। ज्योतिषाचार्य चिंतामणि जोशी के मुताबिक जिसके बनने में दशकों लग जाते हैं। यह एक ऐसा शुभ मुहूर्त होता है, जिसमें विवाह, गृह प्रवेश, गृह निर्माण कार्य का प्रारंभ, उपनयन संस्कार एवं नई वस्तुओं की शॉपिंग समेत अन्य मांगलिक कार्य फलीभूत होने की संभावना होती है। दूसरी ओर अक्षय तृतीया का पर्व काल इस वर्ष स्वयं सिद्ध मुहूर्त है। इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान, अक्षय पुण्य फल देने वाला होता है। साथ ही खरीदी गई वस्तु स्थायी समृद्धि प्रदान करती है। सोने की खरीददारी तीन गुना फल देने वाला होता है।

कैसे करें पूजन

पंडित हरीश जोशी ने बताया कि धर्मशास्त्र की मान्यता के अनुसार इस दिन जल से भरे कलश में सुगंधित चंदन और जौ डालकर उस पर फल रखें। इसके बाद भगवान विष्णु और अन्य देवी देवताओं का आह्वान करें। फिर सम्मिलित रूप से सभी देवी देवताओं का पूजन करें। इसके अलावा पितरों की तृप्ति और प्रसन्नता के लिए गृहस्थ ब्राह्मण को जल से भरे कलश में काली तिल डालकर तथा उस पर बीजयुक्त फल रखकर दान करने शुभ फलदाई होता है।