-शहर में सुरक्षित नहीं लेडीज का सफर, आये दिन होती हैं छेड़छाड़ की घटनाएं

-सुरक्षा के लिए नियम-कानून को कोई नहीं करता है फॉलो

VARANASI :

केस-क्

लोहता में रिलेटिव के घर रह रही गर्ल स्टूडेंट शाम को रोहनिया स्थित घर जाने के लिए निकली। रास्ते में एक परिचित ऑटो ड्राइवर उसे मिला। घर छोड़ने की बात कहकर ऑटो में बिठा लिया। रास्ते में उसके दो और साथी आ गए। तीनों स्टूडेंट को जबरन सुनसान स्थान पर ले गए। उसके साथ गैंगरेप किया। इसके बाद भाग निकले। स्टूडेंट ने घर पहुंचकर घटना की जानकारी दी। पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए आरोपितों को अरेस्ट कर लिया।

केस-ख्

घर छोड़ने का बात कहकर मंडुवाडीह एरिया में रहने वाली लेडी को एक ऑटो ड्राइवर सुनसान स्थान पर ले गया। अपने साथी के साथ लेडी के साथ गैंगरेप किया। इसके बाद लेडी को गंभीर हालत में छोड़कर दोनों भाग निकले। आसपास के लोगों की नजर पड़ी तो पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने लेडी को घर पहुंचाने के बाद घटना को अंजाम देने वालों को अरेस्ट किया।

ये केस बताने के लिए काफी हैं कि बनारस में लेडी का अकेले सफर करना सेफ नहीं है। कई बार वह हादसे का शिकार हो चुकी हैं। दिल्ली में हुए कैब कांड के बाद पूरे देश में लेडी के सुरक्षित सफर की चर्चा तेज हो गयी है लेकिन बनारस के हालात पर कोई बात नहीं हो रही है। जबकि बनारस में ट्रांसपोर्ट सिस्टम पूरी तरह से अनसेफ है। इसे सेफ करने के लिए ढेरों नियम बनाए गए हैं लेकिन उनका इम्पि्लमेंट नहीं होता है। तेजी से डेवलप हो रहे शहर में लेडी का अकेले सफर करना मजबूरी होता है। सफर करने में हर लेडी को डर लगता है कि कहीं वह किसी वहशी दरिंदे की नापाक हरकतों का शिकार न हो जाए।

बेअंदाज और बेलगाम हैं ड्राइवर्स

सिटी में ट्रांसपोर्टेशन का मुख्य जरिया हैं ऑटो। ऑटो ड्राइवर्स पूरी तरह से बेअंदाज और बेलगाम हैं। ऑटो की सवारी बेहद अनसेफ है। ऑटो के जरिए एक स्थान से दूसरे तक जाने वाली लेडी के साथ लगभग डेली घटनाएं हो रही हैं। लेडी पैसेंजर होने के बावजूद तेज आवाज में अश्लील गाने बजाते हैं। लेडी पैसेंजर्स के साथ में ऑटो में छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही हैं। सफर के दौरान छींटाकशी को रोजमर्रा की बात हो चुकी है। इसमें ऑटो ड्राइवर के साथ ऑटो में बैठने वाले पैसेंजर भी जिम्मेदार होते हैं। किसी अकेली लकड़ी के साथ रेप की घटनाओं को भी ऑटो ड्राइवर अंजाम दे चुके हैं। पिछले छह महीने में मंडुवाडीह, रोहनिया, शिवपुर, सारनाथ थाना एरिया में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।

अपराध को दे रहे अंजाम

-अपराध की घटनाओं में कई बार ऑटो ड्राइवर्स की संलिप्तता सामने आती है

-छेड़खानी, रेप के ढेरों मामले में ऑटो ड्राइवर्स शामिल पाए गए हैं

-हत्या जैसी घटनाओं को भी अंजाम देने वाले ऑटो ड्राइवर रहे हैं

-लूट और जहरखुरानी गिरोह से ऑटो ड्राइवर्स का कनेक्शन अक्सर पुलिस के संज्ञान में आता है

-नशा करने वालों में ऑटो ड्राइवर्स की संख्या काफी अधिक है

-नियम-कानून की धज्जियां उड़ाने वाले सबसे अधिक ऑटो ड्राइवर्स हैं

-ऑटो के जरिए हथियार, नशीले पदार्थ की तस्करी के मामले अक्सर सामने आते हैं

सेफ्टी है खतरे में

-सिटी की रोड्स पर दौड़ने के लिए लगभग पांच हजार ऑटो को परमीशन है

-लगभग पांच हजार ऑटो बिना परमीशन के एक छोर से दूसरे तक दौड़ रहे हैं

-बिना परमीशन के दौड़ने वाले ऑटो के बारे में किसी को जानकारी नहीं है

-ऑटो ड्राइवर्स बेरोकटोक सिटी के एक एरिया से दूसरे तक और देहात तक दौड़ रहे हैं

-सिटी में लेडी के लिए कोई अलग ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम नहीं है

-कौन सा ऑटो किस वक्त कहां मौजूद होता है इसकी जानकारी हासिल करने का कोई सिस्टम नहीं है

घर से निकलना है मजबूरी

-एजुकेशन हब बन चुकी सिटी में ढेरों हजारों लेडीज स्टूडेंट घर से दूर पढ़ने के लिए आती हैं

-सुबह से लेकर देर शाम तक पढ़ाई के चक्कर में उन्हें एक स्थान से दूसरे तक अकेले जाना पड़ता है

-हजारों वर्किग लेडी ऐसी हैं जो काम के बाद देर शाम को अकेले घर लौटती हैं

-बड़ी संख्या में लड़कियां और महिलाएं घर से दूर हॉस्टल में रहती हैं उन्हें किसी न किसी वजह से घर से निकलना पड़ता है

-मेडिकल हब बने शहर में दूसरे जिलों और प्रदेश के इलाज के लिए ढेरों लेडी आती हैं

-सिटी में देश-विदेश से बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं। इनमें अकेली महिलाएं भी होती हैं

-शहर को देखने के लिए एक स्थान से दूसरे तक जाने के लिए लेडीज निकलती हैं

रात में अकेले सफर करने की सोच से ही डर लगता है। सिटी का ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम लेडीज के लिए अनसेफ है। कई बार घटनाएं भी हो चुकी हैं फिर किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

हर रोज लेडीज के साथ घटनाएं हो रही हैं। बनारस में भी लेडीज सेफ नहीं हैं। सबसे अधिक डर सफर के दौरान लगता है। यहां सुरक्षा को लेकर कोई नियम-कानून नहीं है

लेडीज की सेफ्टी के लिए ढेरों बातें होती हैं लेकिन उनका इम्पि्लमेंट बिल्कुल नहीं होता है। अपने शहर में भी यही हालत है। लेडीज बेहद अनसेफ हैं खासतौर पर सफर करने के दौरान।

अनसेफ कंडीशन में सफर करने को लेडीज मजबूर हैं। उनकी सेफ्टी का कोई इंतजाम इस शहर में नहीं है। जेंट्स के साथ भी करना पड़ता है जिसका कई बार वह एडवांटेज लेते हैं।

हर ऑटो ड्राइवर को यूनियन की तरफ से निर्देश दिया जाता है कि लेडीज की सेफ्टी का विशेष ध्यान रखें। उन्हें हिदायत दी जाती है कि ऑटो में अगर किसी लेडी के साथ कोई घटना होती है ऑटो का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। साथ ही ऑटो ड्राइवर को कभी ऑटो चलाने का परमीशन नहीं दिया जाएगा।

उपाध्यक्ष, ऑटो रिक्शा चालक यूनियन वाराणसी

लेडीज की सेफ्टी हमारी प्राथमिकता है। चाहे वह घर में हो या सफर में हर जगह उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस तत्पर रहती है। कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन के जरिए उनकी मदद की जाती है। सुरक्षा संबंधी टिप्स देने के लिए पुलिस की ओर से समय-समय पर अभियान चलाया जाता है।

सुधाकर यादव

एसपी सिटी

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-ऑटो ड्राइवर्स के पहचान के लिए बिल्ला दिया गया लेकिन अभी तक सिर्फ तीन हजार ऑटो ड्राइवर्स को बिल्ला मिला है

-सिटी के रोड्स पर दौड़ने वाले ऑटो ड्राइवर्स का कोई रिकॉर्ड पुलिस के पास नहीं है

-ऑटो ड्राइवर्स में से ढेरों अन्य जिलों और प्रदेश के हैं जिनका पुलिस वेरीफिकेशन नहीं कराया जाता है

-ऑटो एकमात्र साधन हैं जिसे किसी भी एरिया में जाने पर पुलिस या टै्रफिक के जवान रोकते नहीं हैं

-नियमों की अनदेखी

-सिटी में दौड़ने वाले ऑटो के अंदर और बाहर पुलिस के साथ गर्ल सेफ्टी के लिए मौजूद हेल्पलाइन के नम्बर लिखा जाना जरूरी है

-सिटी में दौड़ने वाले हर ऑटो के पास परमीशन होना जरूरी है। ऑटो पर इसका उल्लेख भी किया जाना चाहिए

-ऑटो ड्राइवर्स को तय वर्दी में ही ऑटो चलाया जाना चाहिए ताकि कोई अन्य ऑटो न चला सके

-ड्राइवर्स को बैज और बिल्ला लगाया जाना जरूरी है ताकि आसानी से उसकी पहचान हो सके

-ऑटो ड्राइवर्स का पुलिस वेरिफिकेशन होना मस्ट है

इनका भी क्या भरोसा

सिटी में ऑटो के अलावा अन्य ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी हैं लेकिन वह भी लेडी के लिए बहुत सेफ नहीं हैं। टैक्सी का चलन धीरे-धीरे शहर में बढ़ रहा है लेकिन टैक्सी में सेफ्टी के इंतजाम के नाम पर कुछ नहीं है। जीपीएस भी नहीं लगाया गया है ताकि उनकी टै्रकिंग की जा सके। टैक्सी ऑपरेटर और ड्राइवर कौन है यह कोई नहीं जानता है। सिटी में धीरे-धीरे जेएनएनयूआरएम की बसों का संचालन भी बढ़ रहा है। लेडीज की सेफ्टी के लिए इनमें कैमरा लगाने का प्लैन फेल हो गया। ड्राइवर और कंडक्टर के बैज और बिल्ला लगाकर चलने के नियम को भी कोई फॉलो नहीं जाता है।

ऐसे रखें खुद को सेफ

-मजबूरी न हो तो अकेले सफर करने से बचें

-शाम ढलने से पहले घर आ जाना ज्यादा सेफ है

-अकेले सफर कर रहीं तो व्हीकल का नम्बर नोट करें

-अपने सफर की जानकारी अपने परिजनों को फोन के जरिए देती रहें

-उस रूट पर बिल्कुल न जाएं जिसके बारे में जिसे नहीं जानती हैं

-महिलाओं के लिए बनाए गयी खास हेल्पलाइन और पुलिस अधिकारियों का नम्बर अपने पास रखें

-स्मार्ट फोन यूज करती हों तो कई ऐसे एप्स हैं मुसीबत के वक्त आपकी हेल्प कर सकती हैं

-सफर के लिए उन ऑटो या कैब को सेलेक्ट करें जो नियमों का पालन करते हों