- यूनिवर्सिटी में बनाया जाएगा सेंटर ऑफ कल्चरल टेक्स्ट रिकॉर्ड एंड ट्रांसलेशन

- स्टेट गवर्नमेंट ने सेंटर बनाने के लिए जारी किया 35 लाख का बजट

LUCKNOW: आने वाले कुछ महीनों में लखनऊ यूनिवर्सिटी अभी तक अनछुए रहे हमारे साहित्य को विश्व के हर कोने में पहुंचाने का काम करेगी। इसके लिए इस साहित्य को दूसरी भाषाओं में ट्रांसलेट किया जाएगा। यूनिवर्सिटी के इंग्लिश डिपार्टमेंट ने खासतौर पर इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। इसके लिए यूनिवर्सिटी में सेंटर ऑफ कल्चरल टेक्स्ट रिकार्ड एंड ट्रांसलेशन का निर्माण कराया जाएगा। जहां पर अवधी, भोजपुरी, बृज व दूसरी भाषाओं में प्रचलित साहित्य व मुहावरों को ट्रांसलेट कर दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाया जाएगा।

35 लाख का मिला ग्रांट

लखनऊ यूनिवर्सिटी के इंग्लिश डिपार्टमेंट की हेड प्रो। निशी पांडेय ने बताया कि हमारे में देश तमिल, तेलगु और दक्षित भारत की कई भाषाओं के साहित्य का इंग्लिश में ट्रांसलेश होता आ रहा है। इस कारण से इन साहित्य से आज दुनिया के लोग प्रचलित हैं। खासतौर पर पश्चिमी देश में यह साहित्य काफी पढ़े जाते हैं। पर हमारे उत्तर भारतीय भाषाओं के साहित्य आज भी उतने प्रचलित नहीं है। इसका खास कारण है, हमारी भाषाओं में जो साहित्य है, उनका इंग्लिश में ट्रांसलेट न होना है। इसी काम को करने के लिए एक प्रपोजल यूनिवर्सिटी की ओर से शासन को भेजा गया था। जिसके लिए शासन की ओर से 35 लाख का ग्रांट सेंटर बनाने के लिए जारी कर दिया है।

खासतौर पर तैयार होगी वेबसाइट

प्रो। निशी पांडेय ने बताया कि इसके लिए यूनिवर्सिटी में एक सेंटर तैयार करने के साथ-साथ एक वेबसाइट भी बनाई जाएगी। जहां पर इन भाषाओं के प्रचलित साहित्य व मुहावरों व कहावतों को इंग्लिश में ट्रांसलेट कर वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इस वेबसाइट पर यह साहित्य जिसे पढ़ना होगा उसके लिए थोड़ा चार्ज भी किया जाएगा। ताकि यूनिवर्सिटी को यह सेंटर चलाने के लिए पैसा मिलता रहे। इसके अलावा हमारे साहित्य का विदेशों में काफी मांग है, पर उसका इंग्लिश में होना एक बड़ी समस्या है। यूनिवर्सिटी का इंग्लिश डिपार्टमेंट इस काम को करेगा। इसमें यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स के अलावा यहां के स्टूडेंट्स को भी सहयोग लिया जाएगा ट्रांसलेशन के काम में।