- पार्किंग के नाम पर तेजी से चल रहा है अवैध गोरखधंधा, रेजिडेंसियल बिल्डिंग के बाहर गाड़ी पार्क करने का देना पड़ता है शुल्क
- पब्लिक से एक ही पर्ची पर वसूला जा रहा है 10 से 50 रुपये, प्रशासन बेखबर
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स्पॉट-1
सिगरा
सिगरा थाने से कुछ दूर पर एक बिल्डिंग है। इस बिल्डिंग में नीचे बैंक समेत कई ऑफिसेज हैं। बिल्डिंग ओनर ने बिल्डिंग के बाहर रोड को रस्सी लगाकर ब्लॉक कर रखा है। जिसके चलते लोगों को बिल्डिंग के बाहर बाइक या कार पार्क करनी पड़ती है। जिसके बदले में बिल्डिंग मालिक पार्किंग शुल्क वसूलता है।
स्पॉट-2
दालमंडी
सकरी गली में चलने वाले बाजार में गाड़ी लेकर जाने वालों की मजबूरी का फायदा यहां रहने वाले लोग उठाते हैं। घरों के आस-पास गली में गाड़ी खड़ी करने के पैसे वसूले जाते हैं। मजे की बात ये है कि जिस पर्ची पर पार्किंग लिया जाता है उस पर न निगम की कोई मोहर है और न कोई रेट निर्धारित।
ये दो स्पॉट आपको बताने के लिए काफी हैं कि अपने शहर में पार्किंग का गोरखधंधा घर-घर कैसे पनप रहा है। बगैर निगम की परमिशन और नियमों को ताख पर रखकर रिहायशी बिल्डिंगों के बाहर पार्किंग के नाम पर मनमाने ढंग से वसूली की जा रही है। हाल ये है कि आम आदमी को अगर अपने काम से दिनभर में चार ऐसी बिल्डिंग में जाना पड़ रहा है तो हर जगह उसकी जेब कट रही है। आश्चर्य ये है कि ये सब खेल प्रशासन की नाक के नीचे जारी है और इसे रोकने वाला कोई नहीं है।
नियम कानून ठेंगे पर
- कमर्शियल बिल्डिंग में पार्किंग फ्री होती है
- वीडीए के नियमों के मुताबिक नक्शा पास करते वक्त ही फ्री पार्किंग दिखानी पड़ती है
- इस शर्त पर ही किसी बिल्डिंग के निर्माण की परमिशन दी जाती है
- प्रेजेंट टाइम में शहर के हर कोने में कमर्शियल और रिहायशी बिल्डिंग में पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा है
- सिगरा, मलदहिया, लंका समेत भेलूपुर, चौक, सुडि़या, दालमंडी और नई सड़क पर ये काम तेजी से चल रहा है
रिहायशी बिल्डिंगों में पार्किंग शुल्क वसूलने का कोई प्रावधान नहीं है। यदि ऐसा हो रहा है तो ऐसे लोगों के खिलाफ जांच करवाकर कार्रवाई होगी।
अविनाश कुमार, तहसीलदार
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पर्ची एक और वसूली कई
- किसी विभाग का मोहर और परमिशन तक नहीं होता है इन पार्किंग पर्चियों में
- गाड़ी चोरी होने पर भी नहीं लेते कोई जिम्मेदारी, घंटे के हिसाब से करते हैं वसूली
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घर-घर या फिर कमर्शियल बिल्डिंगों में चल रहे पार्किंग के इस गोरखधंधे का खेल शहर में बड़े पैमाने पर चल रहा है। हर ओर इनकी गुंडई इस कदर है कि पब्लिक को मजबूरी में अपनी गाड़ी इनकी बनाई पार्किंग में छोड़कर जानी पड़ती है। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि पार्किंग में गाड़ी सेफ है ये छोड़कर जाने वालों को तब झटका लगता है जब पार्किंग से गाड़ी चोरी हो जाती है और पार्किंग ओनर अपने हाथ खड़े कर देता है। वजह गाड़ी की जिम्मेदारी ये लेते नहीं हां लेते हैं तो बस पार्किंग के नाम पर पैसे।
सड़क पर इनका कब्जा क्यों?
ये सवाल बड़ा है क्योंकि अधिकतर जगहों पर चल रही इस तरह की अवैध पार्किंग में वसूली ज्यादा करने के लिए बिल्डिंग ओनर अपने पार्किंग स्पेस के आस-पास की सड़क को घेरकर गाडि़यों को यहां खड़ा होने से रोकते हैं। ये हालात सिगरा में एक कमर्शियल मार्केट के बाहर, सिगरा पेट्रोल पंप के सामने एक बैंक के बाहर और कई दूसरे इलाकों में भी देखने को मिल जाता है। रस्सी के सहारे सड़क को घेरने से एक तो जाम बेवजह लगता है ऊपर से बाइक या कार ओनर को न चाहते हुए भी पार्किंग शुल्क देना पड़ता है।
एक ही पर्ची पर कई से वसूली
- पार्किंग शुल्क के नाम पर सात से दस रुपये वसूले जाते हैं
- एक ही पर्ची का इस्तेमाल कई बार करते हैं
- हर पर्ची पर ये भी स्पष्ट उल्लेख होता है कि पार्किंग से गाड़ी गायब होने पर गाड़ी ओनर ही जिम्मेदार है
- बाइक का रेट दस रुपये तक जबकि कार के 50 रुपये तक वसूले जा रहे हैं
इसमे नुकसान तो नगर निगम का ही हो रहा है और इस तरह की अवैध पार्किंग चलाने वाले काली कमाई कर रहे हैं। इनमे इनको कोई टैक्स भी नहीं देना है।
अभिषेक चौबे, थ्रू फेसबुक
घरों या व्यवसायिक भवनों में चल रही पार्किंग पर निगम को रोक लगानी चाहिए। क्योंकि ये राजस्व को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं और पब्लिक को भी ठग रहे हैं।
प्रशांत दूबे, थ्रू फेसबुक
इस तरह की अवैध पार्किंग पर रोक लगानी जरुरी है। क्योंकि ये पब्लिक को परेशान करते हैं और बाइक चोर यहां बाइक चुराकर चले जाते हैं।
शशांक साहू, थ्रू फेसबुक
नगर निगम में लोग काम करना ही नहीं चाहते हैं, ऐसा नहीं है कि उनको कुछ नहीं पता लेकिन सब जानकर भी वो अंजान बने हैं और इसका फायदा अवैध पार्किंग चलाने वाले उठा रहे हैं।
नितिन जायसवाल, थ्रू फेसबुक