VARANASI
फॉग वेदर में फिटनेस ही नहीं बल्कि ट्रेनों में सफाई व्यवस्था भी बेपटरी हो रही है। प्रॉपर वे में कोच की सफाई न होने से पैसेंजर्स को गंदगी के बीच ही सफर करना पड़ रहा है। हालात ये है कि एक बार धूले हुए टॉवेल, ब्लैकेंट और चादर लम्बे समय तक यूज हो रहे हैं। वजह साफ है कि लेट से चल रही ट्रेनों में रेलवे स्टेशन पर प्रॉपर वे में सफाई नहीं हो पा रही है। फिलहाल कोहरे के नाम पर मिला लेटलतीफी का बहाना अब पैसेंजर्स के सेहत पर बन आया है।
गंदगी बिगाड़ रही सेहत
सफाई के लिए रेलवे स्टेशन पर पूरा समय न मिलने लम्बी दूरी की ट्रेनों की हालत काफी खराब हो चुकी है। एक तरफ फर्श पर बिखरे कूड़े तो दूसरी ओर गंदे चादर, टॉवेल और ब्लैकेंट से दमा के रोगियों को खतरा बना हुआ है। वहीं गंदे टायलेट को यूज करने से परहेज करने वालों की दशा तो और भी खराब हो रही है। जो रेलवे स्टॉपेज आने तक ऐसे ही सफर कर रहे है। ऐसे में उनकी सेहत बिगड़ने का खतरा और भी बढ़ जाता है।
सीटीएस है नाकाफी
ट्रेन क्लीनिंग ऑन स्टेशन के लिए ए ग्रेड के जंक्शन स्टेशन पर सफाई एजेंसी को हायर किया गया है। रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली लम्बी दूरी की ट्रेनों की सफाई का जिम्मा उन्हें सौपा गया है। फिर भी रेलवे ट्रैक पर गंदी दौड़ रही ट्रेनों ने जेहन में कई सवाल खड़े कर दिये है। वहीं रेलवे वाशिंग लाइन में गाडि़यों की धुलाई मनमानी से सफर में पैसेंजर्स को और भी परेशानी हो रही है।
सफाई वर्क के नियम
- कोच की सफाई के बाद आनी चाहिए खुशबू
- कोच के अंदर सफाई दाग व धब्बा नहीं दिखनी चाहिए
- ट्रेन के अंदर उपरी सतह हो गीले कपड़ से साफ
- टायलेट पैन एवं वाशबेसिन पर कोई स्केलिंग, दाग धब्बा नहीं होने चाहिए
- सीट और बर्थ पर धूल नहीं होने चाहिए
- अंदर स्नैक टेबल व दरवाजे के इर्द गिर्द गंदगी नहीं दिखनी चाहिए
- डोरवेज क्षेत्र साफ सुथरा शुष्क व चमकदार होना चाहिए
ट्रेनों की पंक्चूअलिटी रेलवे की प्राथमिकता है। बहरहाल, गंदगी की शिकायत मिलने पर उसका त्वरित निस्तारण होता है।
एएस नकवी, हेल्थ सुपरवाईजर रेलवे