राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के हॉस्टल में बदइंतजामी के बीच रह रहे मेडिकोज

टॉयलेट्स में दरवाजे तक नहीं, खाना की क्वालिटी खराब, नहीं होती सफाई

<राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के हॉस्टल में बदइंतजामी के बीच रह रहे मेडिकोज

टॉयलेट्स में दरवाजे तक नहीं, खाना की क्वालिटी खराब, नहीं होती सफाई

BAREILLY:

BAREILLY:

देश को आयुर्वेद के डॉक्टर और इलाज देने वाला बरेली का राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज खुद अव्यवस्थाओं की बीमारी से जूझ रहा है। कॉलेज में आयुर्वेदिक इलाज की बारीकियां सीख रहे स्टूडेंट्स हॉस्टल की बदइंतजामी से लड़ रहे हैं। बासमंडी स्थित आयुर्वेद कॉलेज का हॉस्टल मेडिकोज के लिए रहने के ठौर से ज्यादा गंदगी व खामियों का घर बन गया है। गंदे टॉयलेट से लेकर लो क्वालिटी खाना और गंदगी हॉस्टल की पहचान बन चुके हैं। इन्हीं सब बदइंतजामी के बीच मेडिकोज हॉस्टल में रहने को मजबूर हैं।

कदम रखते ही गंदगी शुरू

किसी सरकारी हॉस्टल की जितनी खामियां और अव्यवस्थाएं सोची जा सकती हैं, वह सब आयुर्वेदिक कॉलेज के हॉस्टल में हैं। हॉस्टल में कदम रखते ही गंदगी का नजर आने लगती है। लगातार पाइप लाइन से पानी टपक कर इकट्ठा होता है। जिससे मच्छर पैदा होते हैं। वहीं स्टूडेंट्स के कमरे की दीवारें सीलन से खराब हो चुकी हैं। स्टूडेंट्स का शिकायत है कि इससे उनके बिस्तर व कपड़े भी खराब हो रहे हैं लेकिन कभी दीवारों पर नया रंग रोगन नहीं कराया गया।

टॉयलेट में नहीं दरवाजे

हॉस्टल में मेडिकोज के लिए सबसे बड़ी मुसीबत टॉयलेट्स हैं। हॉस्टल के सभी फ्लोर पर बने टॉयलेट्स में दरवाजे तक नहीं हैं। टॉयलेट्स में दरवाजे लगाए जाने की मांग के बावजूद कॉलेज प्रशासन अपनी शर्म ढंकने को इन पर पर्दा तक नहीं लगा सका। बिना दरवाजे वाले इन टॉयलेट्स की लंबे समय तक सफाई नहीं होती। स्टूडेंट्स का कहना है कि हॉस्टल का स्वीपर प्रमोद कुमार न तो सफाई करता है और न ही शिकायत करने डरता है। स्टूडेंट्स मिलजुलकर अपनी जेब से चंदा कर टॉयलेट्स की सफाई कराने को मजबूर हैं।

ग‌र्ल्स के लिए हॉस्टल भी नहीं

कॉलेज के हॉस्टल में फ‌र्स्ट ईयर से लेकर फाइनल ईयर तक के स्टूडेंट्स के रहने के लिए व्यवस्था की गई है। हॉस्टल में मौजूदा समय में करीब 70 स्टूडेंट्स हैं, लेकिन हॉस्टल में ग‌र्ल्स स्टूडेंट के लिए जगह नहीं। बाहरी शहरों से आई ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स को किराए पर रहने की मजबूर होना पड़ता है। कई बार हो चुकी मांग के बावजूद ग‌र्ल्स के लिए सेपरेट हॉस्टल की सुविधा शुरू नहीं की जा सकी। ब्वॉयज हॉस्टल में भी रहने वाले स्टूडेंट्स खाने की खराब क्वालिटी के लिए कई बार कंप्लेन कर चुके हैं लेकिन कॉलेज प्रशासन बार बार बजट न होने की दलील देकर मामला रफा दफा कर देता।

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हॉस्टल के स्वीपर को फटकार लगाई गई है। हॉस्टल के टॉयलेट्स साफ कराए जा रहे हैं। हॉस्टल की कमियों के बारे में प्राचार्य को बताया गया है। प्राचार्य ने बताया कि लखनऊ से उन्हें हॉस्टल के लिए बजट न होने की बात कही गई है।

- डॉ। राजकुमार गुप्ता, वार्डन