3 साल से चल रहा दवाओं का टोटा
2 लाख रुपये का शासन ने किया बजट
4 लाख रुपये का बजट निर्धारित था पहले
Meerut। एनएचएम योजना के तहत जिला अस्पताल में चल रहे आयुष विंग में मरीजों को यूनानी की जगह आयुर्वेदिक दवाएं देकर काम चलाया जा रहा है। वजह पिछले तीन साल से यहां दवाइयों का टोटा है। हैरानी की बात यह है कि दवाइयों का बजट खर्च न होने की वजह से शासन ने आयुष विंग का बजट घटाकर आधा कर िदया है।
यह है स्थिति
एलोपैथी दवाओं से परहेज करने वाले मरीजों के लिए नवंबर 2014 में जिला अस्पताल में आयुष विंग की स्थापना की थी। इस दौरान मरीजों का यहां आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक व यूनानी पद्धति से इलाज किया जाना था। नवंबर 2014 में पहली बार यहां दवाइयां आई थी लेकिन पांच महीने बाद ही वह खत्म हो गई थी। तबसे कई बार आर्डर भेजने के बाद भी यहां दवाइयां नहीं पहुंची हैं। ऐसे में या तो मरीज को आयुर्वेदिक दवाइयां दी जा रही है या मरीजों को बिना दवाई ही वापस लौटना पड़ रहा है। हालांकि आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक की दवाइयों का स्टॉक पूरा हो गया है।
आधा हुआ बजट
जिले में चार यूनानी क्लीनिकों के लिए शासन की ओर से 4 लाख का बजट दिया जा रहा था। वहीं आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक के लिए भी चार-चार लाख का बजट था। लेकिन इस बार यह बजट घटाकर आधा कर दिया गया है। इस संबंध में आयुर्वेदिक क्लीनिक के इंचार्ज डॉ। भगत सिंह का कहना है कि बजट की खपत न होने के चलते बजट घटा दिया गया है। अभी तक प्रति क्लीनिक के हिसाब से एक-एक लाख रूपये की दवाइयों का बजट मिल रहा था लेकिन अब यह सिर्फ 50 हजार हो गया है। जबकि तीनों ही क्लीनिक में मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
मरीजों की संख्या प्रति साल
आयुर्वेदिक क्लीनिक - 20310
होम्योपैथिक क्लीनिक - 15315
यूनानी क्लीनिक - 18528
हम लगातार दवाइयों की मांग भेज रहे हैं लेकिन आर्डर पूरा ही नहीं हो रहा है। इस संबंध में हमने सीएमओ को भी मांग भेजी है। सप्लायर की कमी की वजह से हमें पिछले तीन साल से दवाएं नहीं मिल रही है।
डॉ। अनीस अहमद, इंचार्ज, यूनानी क्लीनिक
हमारे यहां एलोपैथिक दवाइयों से परहेज होता है। इसलिए हम यूनानी दवाएं लेने आते हैं लेकिन यहां दवाएं मिलती ही नहीं हैं।
रुखसाना, मरीज
यूनानी क्लीनिक में हमें दवाइयां नहीं मिलती हैं। डॉक्टर भी हमें दूसरी दवाइयां दे देते हैं।
इमराना, मरीज