-काशी विद्यापीठ से एफिलिएटेड कॉलेजेज अपनी मनमानी से नहीं आ रहे बाज

-पूरी फीस जमा करने के बाद भी बीएड स्टूडेंट्स से अब एग्जाम के नाम पर कर रहे वसूली

-कहीं 20 तो कहीं 15 हजार वसूल कर दे रहे एडमिट कार्ड

VARANASI: बीएड स्टूडेंट्स प्राइवेट कॉलेजेज के लिए नरम चारा बन गए हैं। जब चाहते हैं तब इनसे वसूली कर लेते हैं। पूरी फीस जमा करने के बाद भी इनसे विभिन्न मदों के नाम पर एग्जाम से पहले एक बार फिर धन उगाही का सिलसिला जारी है। एग्जाम से पहले एडमिट कार्ड जारी करते समय एक्स्ट्रा फीस जमा करने का स्टूडेंट्स पर दबाव बनाया जाने लगा है। बिना इसके एडमिट कार्ड न देने का फरमान भी जारी कर दिया गया है। इतनी ही नहीं अलग अलग कॉलेज में वसूली की राशि भी अलग अलग है। कहीं ख्0 तो कहीं क्भ् हजार रुपये जमा कराया जा रहा है। बता दें कि बीएड में एडमिशन कराए सभी स्टूडेंट्स ने काउंसलिंग के टाइम ही पूरी फीस बैंक में जमा कर दी थी। फिर ये वसूली किसके आदेश पर हो रही है? ये बताने वाला कोई नहीं है। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन भी चुप्पी साधे हुए है।

यूनिवर्सिटी के नाम पर वसूली

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से एफिलिएटेड कॉलेजेज अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। इनकी दबंगई के आगे यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन नतमस्तक है। यहां बीएड में एडमिशन लिए स्टूडेंट्स का आरोप है कि एग्जाम से पहले अब उनसे प्रैक्टिकल एग्जाम, स्काउट एंड गाइड, अटेंडेंस व टूर के नाम पर एक्स्ट्रा फीस ली जी रहा है। जबकि पूरी फीस उन्होंने काउंसलिंग के समय ही जमा कर दी थी। फिर ये कैसी वसूली। वहीं यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन इससे पल्ला झाड़ रहा है लेकिन कॉलेज मैनेजमेंट उसी के नाम पर बीएड स्टूडेंट्स से खुलेआम वसूली कर रहे हैं।

स्टूडेंट्स बेबस

प्रोफेशनल कोर्सेज में बीएड कोर्स भी शामिल है। लेकिन प्राइवेट कॉलेजेज की मनमानी के आगे बीएड में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स बेबस हैं। सिचुएशन यह है कि इन्हें कभी मा‌र्क्स कम कर देने के नाम पर तो कभी रिजल्ट बिगाड़ देने की धमकी देकर अर्दब में ले लिया जाता है। अब एक बार फिर करेंट सेशन में बीएड में पढ़ाई करने वालों को इसी तरीके से अर्दब में लेने की कोशिश हो रही है। जिसके बदले में उनसे बेवजह मोटी रकम वसूली जा रही है।

बीएड में पढ़ाई कर रहा प्रत्येक स्टूडेंट जब पहले ही पूरी फीस जमा कर चुका है तो अब एग्जाम के नाम पर फीस लेने का सवाल ही नहीं है। यदि किसी कॉलेज में इस तरह की कम्प्लेन मिली तो बख्शा नहीं जाएगा।

वीके सिन्हा, रजिस्ट्रार, काशी विद्यापीठ