RANCHI (21 छ्वड्डठ्ठ): सच मानिए, अंधभक्तों की नगरी में 'बाबागिरी' का धंधा बड़ा चोखा है। बुधवार को आई नेक्स्ट ने एक नाटक कलाकार को 'बाबा' बनाकर 'धर्म और भक्ति के बाजार' में उतारा तो भक्तों ने उसकी झोली भर दी। किसी ने बाबा के पांव छुए तो किसी ने उन्हें 'भविष्यद्रष्टा' मानकर उनके सामने हथेली फैला दी। पढि़ए पीके की पांच घंटे की 'बाबागिरी' का आंखों देखा हाल।

बम-बम भोला, भर दो झोला

स्थान पहाड़ी मंदिर , समय - सुबह नौ बजे। बनारस से आए चमत्कारी बाबा बम-बम भोले की जयकार लगाते बाबा मंदिर की ओर बढ़ते हैं। कई दुकानदारों और श्रद्धालुओं की नजर बाबा की ओर टिक जाती है। बाबा मंदिर के बाहर पेड़ के पास बने चबूतरे को अपना पड़ाव बनाते हैं। यहां बम-बम भोले की जयकार सुनकर बाबा को पास लोग ठिठक रहे हैं, उन्हें प्रणाम कर आगे बढ़ जा रहे हैं। यहां बैठे आधे घंटे हो चुके हैं। शुरुआत में बाबा को लगा कि भक्त उन्हें घास नहीं डाल रहे, लेकिन वह धैर्य धारण कर बैठे रहे। इस बीच एक युवक पहुंचता है। बाबा को प्रणाम करता है। फिर क्या था बाबा ने बालक की पूरी कुंडली ही निकाल दी। एग्जाम में पास कराने से लेकर सात समंदर पार तक की यात्रा भी करा डाली। युवक अब खुश है। वह जेब से इक्कीस रुपए निकालकर बाबा के पात्र में डाल देता है। बाबा खुश होकर उसे आशीष देते हैं। मंदिर में पूजा करने आई एक महिला श्रद्धालु को देखकर बाबा हाथ उठाकर कहते हैं- भगवान तेरी कामना पूरी करेगा। महिला श्रद्धालु पांच रुपए के दो सिक्के बाबा के चरणों के पास रख देती हैं। महज एक घंटे में 20 से ज्यादा लोग बाबा का आशीर्वाद ले चुके हैं।

फल-मिठाई सब कुछ मुफ्त

बाबा को अब भूख लगी है, इसलिए वे अपने विश्राम स्थल से उठ जाते हैं। अब बाबा उठकर आसपास लगे ठेले के पास जाते हैं। ठेले से बेर, संतरा और अंगूर जैसे फल बाबा उठा लेते हैं, पर कोई टोकता नहीं है। इतना ही नहीं, बाबा मंदिर के पास स्थित एक दुकान पर मुफ्त मिठाई का मजा लेते हैं।

रोक दिया बाबा का धंधा

थोड़ी देर के ब्रेक के बाद बाबा यहां दुबारा अपनी दुकान लगाने की सोची। इस बार पेड़ के पास बैठने की बजाए सीधा मंदिर के गेट पर बैठने के लिए बाबा पहुंचते हैं। बाबा मंदिर के अंदर एंट्री मारते हैं। कई श्रद्धालु सिर झुकाते हैं। बाबा सबको आशीर्वाद देते हैं, लेकिन इस बीच कुछ लोगों की नजर बाबा पर टिक जाती है। यहां से शुरू हो जाती है बाबा की मॉनिटरिंग। बाबा मंदिर के गेट पर आकर बैठते हैं। दो-तीन लोग उन्हें प्रणाम कर दान के तौर पर रुपए देते हैं। इतने में मंदिर का गार्ड और कुछ लोग बाबा को आंखे दिखाने लगते हैं। बाबा को इशारा करते हुए वे कहते हैं- यहां से चले जाओ। बाबा फिर भी बैठे रहते हैं। कुछ ही देर में मंदिर के बाबाओं को इसकी भनक मिल जाती है। बाबाओं की टीम अब 'पीके' बाबा की क्लास लेने पहुंच जाती है। वे पीके बाबा को साफ-साफ कहते हैं- यहां सिर्फ मंदिर के बाबा को बैठने की इजाजत है। कोई बाहरी बाबा यहां आकर नहीं बैठ सकता, दूसरा एरिया तलाश लो। अब बाबा को यह जगह सूट नही करती है। ऐसे में वे जगन्नाथ मंदिर की ओर रुख करने का निर्णय लेते हैं।

बांची 'किस्मत' तो मिले करारे नोट

जगन्नाथपुर मंदिर, समय - दिन के 11 बजे। मंदिर के पीछे के रास्ते से बाबा मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करते हैं। यहां कई श्रद्धालुजन पुरोहितों से पूजा व हवन करवा रहे हैं। मुख्य मंदिर में भगवान की पूजा चल रही है, पर यहां भी बाबा पर पुजारियों की नजर टिक जाती है। ऐसे में बाबा मंदिर से बाहर निकल आते हैं और पेड़ के पास बने चबूतरे पर बैठ जाते हैं। बाबा की छवि और मंत्र उच्चारण को देखकर अब लोगों की भीड़ बाबा के पास जमा होने लगती है। खासकर कुछ युवक अपने करियर शादी को लेकर बाबा के सामने जिज्ञासा रखते हैं। बाबा भविष्यवाणी के साथ उन्हें समस्या निवारण के उपाय बताते हैं। दस रुपए से शुरू होकर पचास, सौ तक के नोट बाबा की झोली में गिरने लगे हैं। इस बीच बाबा पर कुछ लोगों को शक हो जाता है। वे बाबा को घूरने लगते हैं। बाबा बाहर निकल जाते हैं।

भिक्षाटन करके कमाया माल

अपर बाजार, समय - दोपहर एक बजे। अब बाबा की एंट्री अपर बाजार में होती है। बाबा यहां दुकान दर दुकान जा रहे हैं। दुकानों में बैठे ओनर को आशीर्वाद देते हैं, उन्हें अच्छे बिजनेस की तरकीब बताते हैं। कुछ ओनर मन मारकर तो कुछ खुश होकर बाबा को पैसे निकाल कर देते हैं। पांच घंटे की प्रैक्टिस में अब बाबा के पास साढ़े छह सौ रुपए जमा हो गए हैं।

पीके की बाबागिरी का निष्कर्ष

- बाबा की एंट्री कई जगहों पर होती है, लेकिन किसी बाबा के अचानक अवतरित होने पर कोई सवाल नहीं उठाता।

- बाबा को चोला पहन कर पैसे कमाना बेहद आसान है।

-बाबा अंट-शंट कुछ भी भविष्यवाणी कर दें, भक्त उसपर आंख मूंदकर यकीन करते हैं।

ये ठहरे हमारे बाबा

आई नेक्स्ट के इस रियलिटी चेक में बाबा का चोला धारण किया युवा नाट्य संगीत कला अकादमी के कलाकार मुकेश तिवारी ने। उनके साथी ऋषिकेश लाल ने बाबागिरी की इस स्क्रिप्टिंग में भरपूर मदद की।

यह रियलिटी चेक क्यों

बता दें कि बाबागिरी की प्रैक्टिस से मिले रुपए हम एक अनाथालय को दान करेंगे। हमारे इस रियलिटी चेक का मकसद किसी की आस्था को चोट पहुंचाना नहीं। हम सिर्फ यह बताना चाहते हैं कि किसी भी बाबा टाइप के शख्स पर आंख मूंदकर यकीन कर लेना गलत है।