-राशन का दुकान बहाल करने के लिए 60 हजार रुपए घूस मांगी थी

-परेशान कोटेदार की शिकायत पर एन्टी करप्सन टीम ने रंगेहाथ पकड़ा

-सीनियर ऑफिसर के कहने पर घूस लेने गया था बाबू

KANPUR :

जिला सप्लाई विभाग के एक बाबू को एन्टी करप्सन टीम ने रंगे हाथ घूस लेते हुए दबोच लिया। उसने सस्पेंड राशन की दुकान को बहाल कराने के लिए कोटेदार से घूस मांगी थी। उसने कोटेदार को मोतीझील के पास बुलाया था। उसके पास से घूस के रुपए भी बरामद हुए है। एन्टी करप्सन टीम ने पूछताछ के बाद उसको जेल भेज दिया।

जूही में रहने वाले जय सिंह पासवान की राशन की दुकान है। जिसे चार महीने पहले सस्पेंड कर दिया गया था। जिससे परेशान जय सिंह सप्लाई ऑफिस के चक्कर लगा रहा था। उसका आरोप है कि एआरओ टीएन चौरसिया को घूस न देने पर उसकी दुकान का लाइसेंस निरस्त कर दिया था। टीएन चौरसिया उससे घूस की मांग कर रहे थे। उसने लाइसेंस बहाल कराने के लिए टीएन चौरसिया को म्0 हजार रुपए दिए थे, लेकिन वो और रुपए की मांग कर रहे थे। उसने आर्थिक स्थिति अच्छी न होने का हवाला भी दिया, लेकिन एआरओ कुछ नहीं सुन रहे थे। जिसके चलते उसने एन्टी करप्सन सीओ निहारिका शर्मा से शिकायत की। जिस पर सीओ ने घूसखोर अफसर को पकड़ने का प्लान बनाया। सीओ निहारिका के कहने पर जय सिंह ने टीएन चौरसिया को मिलने के लिए मोतीझील पर बुलाया, लेकिन टीएन चौरसिया वहां नहीं पहुंचे, बल्कि उन्होंने सप्लाई विभाग में तैनात क्लर्क संजय सिंह को रुपए लेने के लिए भेज दिया। संजय ने मोतीझील के पास पहुंचकर जय सिंह को कॉल कर मुलाकात की। एन्टी करप्सन की टीम वहां मौजूद थी। जय सिंह ने जैसे ही संजय सिंह को पैकेट में म्0 हजार रुपए रख कर दिए। एन्टी करप्सन टीम ने उसको गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद ऑफिसर उसको नजीराबाद थाने ले गए। जहां पर उसने पूछताछ की गई। सीओ निहारिका ने बताया कि आरोपी के खिलाफ नियम के तहत कार्रवाई की जा रही है।

नीचे से ऊपर तक बंटती है घूस की रकम

एन्टी करप्सन ने आरोपी क्लर्क संजय को गिरफ्तार करने के बाद उससे पूछताछ की तो उसमें कई अधिकारियों के नाम सामने आए है। हालांकि इस बारे में एन्टी करप्सन के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। सोर्सेज के मुताबिक संजय ने डिपार्टमेंट के सारे अधिकारियों पर घूस लेने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि वो तो सिर्फ रुपए लेने आया था। इस रकम को नीचे से ऊपर तक बांटा जाना था। उसने बताया कि इसमें डिपार्टमेंट के मुखिया का भी हिस्सा होता है। उसे तो सिर्फ दो से पांच हजार रुपए मिलते हैं।

मुश्किल में फंस सकते है कई अधिकारी

मोतीझील में संजय के पकड़े जाने की खबर फैलते ही सप्लाई विभाग में खलबली मच गई। चपरासी से लेकर आला अधिकारी अपने सोर्सेज के जरिए ये पता लगाने में जुट गए कि कहीं संजय ने किसका-किसका नाम लिया है। इधर, एन्टी करप्सन टीम संजय के बयान के आधार पर अन्य कर्मचारियों को भी गिरफ्तार कर सकती है। एन्टी करप्सन के राडार में कई कर्मचारी है। ऐसे में कर्मचारी से आला अधिकारियों की भी मुश्किल बढ़ सकती है।