- घंटों कम्प्यूटर पर काम करना हो सकता है खतरनाक

- मेदांता से आए सीनियर सर्जन ने दिए हेल्दी लिविंग के टिप्स

<- घंटों कम्प्यूटर पर काम करना हो सकता है खतरनाक

- मेदांता से आए सीनियर सर्जन ने दिए हेल्दी लिविंग के टिप्स

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: कम्प्यूटर के सामने बैठकर घंटों काम करना खतरनाक साबित हो सकता है। खासकर गलत पाश्चर में बैठना बैक पेन का कारण बन जाता है। मेदांता बोन एवं ज्वाइंट इंस्टीट्यूट के सीनियर स्पाइनल सर्जन डॉ। धर्मेद्र सिंह ने ये बात कही। उन्होंने कहा कि कुर्सी पर बैठकर काम करने के दौरान सही सिटिंग पाश्चर रखना जरूरी है। इस दौरान उन्होंने हेल्दी लिविंग के कई टिप्स दिए।

थोड़ी देर टहलना है बेहद जरूरी

उन्होंने कहा कि यंगस्टर्स में बैक पेन की प्रॉब्लम काफी तेजी से बढ़ रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण घंटों रांग सिटिंग पॉश्चर में बैठकर वर्क करना है। उन्होंने कहा कि सही पाश्चर में बैठें और बीच-बीच में पांच से दस मिनट का इंटरवल जरूर लें। उन्होंने कहा कि स्पाइन की हड्डियों के बीच की गद्देदार जगह को डिस्क कहते हैं। जब किसी कारण से इसके बीच का जेली जैसा पदार्थ बाहर आ जाता है तो कमर दर्द और बैक बोन जैसी प्रॉब्लम होने लगती है। झुनझुनाहट, दर्द और पैरालिसिस की संभावना बढ़ जाती है।

कैंप में देखे भ्0 मरीज

शनिवार को वात्सल्य हॉस्पिटल और मेदांता द मेडिसिटी गुड़गांव के संयुक्त तत्वावधान में कैंप का आयोजन किया गया था। जिसमें स्पाइन से जुड़ी कमर का झुका होना, पीठ एवं कमर में लगातार दर्द, स्लिप डिस्क, पैरों में झुनझुनाहट, सुन्नपन आदि के भ्0 से अधिक मरीजों को डॉ। सिंह की ओर से परामर्श दिया गया। उन्होंने बताया कि आजकल ज्यादातर सर्जरी छोटे चीरे से की जाती है, जिसमें ब्लीडिंग कम होती है और मरीज जल्दी फिट हो जाता है। उन्होंने कहा कि पीठ दर्द का समय से उपचार नहीं होने पर यह दर्द स्लिप डिस्क या सियाटिका का रूप ले सकता है।

स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम जरूरी

पत्रकारों से बातचीत के दौरान वात्सल्य हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ। नीरज अग्रवाल ने बताया कि बैक पेन से बचने के लिए रोजाना नियमित व्यायाम करने की जरूरत है। बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों के बीच का पानी कम होने लगता है जिससे अधिक भारी चीजों को उठाने से बचना चाहिए। स्मोकिंग और तंबाकू खाने से परहेज होना जरूरी है। बॉडी के फैट को नियंत्रित रखना जरूरी है। अधिक वजनी होने से हड्डियों से जुड़ी समस्याओं में इजाफा होने लगता है।