- लखनऊ के लोगों में बढ़ रही हाइपरटेंशन, डायबिटीज, पेट की समस्याएं

- आरामतलबी, संतुलित आहार की कमी से बढ़ रही बीमार लोगों की संख्या

LUCKNOW:तनाव भरी कंप्टीशन वाली जिंदगी, अनियंत्रित लाइफ स्टाइल व एक्सरसाइज की कमी लोगों में मोटापे, डायबिटीज, हाइपरटेंशन सहित अन्य बीमारियां का कारण बन रही हैं। पिछले कुछ वर्षो में लखनऊ के लोगों में लाइफ स्टाइल से संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। शहर के डॉक्टर्स ने व‌र्ल्ड हेल्थ डे के मौके पर बताया कि हम कैसे इन समस्याओं से बच सकते हैं।

प्रदूषण और स्मोकिंग से सांस की बीमारी: डॉ। सूर्यकांत

केजीएमयू में रेस्पीरेटरी विभाग के एचओडी डॉ। सूर्यकांत ने बताया कि स्मोकिंग और प्रदूषण सांस की बीमारियों का मुख्य कारण हैं। इसके लिए सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक लगनी चाहिए और पाल्यूशन कम करने के प्रयास भी किए जाने चाहिए। प्लांटेशन करके भी इस समस्या को कम किया जा सकता है। आज लोगों में स्लीप एप्निया की समस्या हो रही है। इससे चिड़चिड़ापन, सांस की समस्या भी हो रही है। इसका भी प्रमुख कारण गर्दन मोटी होना और स्मोकिंग ही है।

बढ़ रही लीवर की समस्याएं: डॉ। सुमित रुंगटा

केजीएमयू के डॉ। सुमित रुंगटा ने बताया कि एल्कोहल का यूज बढ़ने से लिवर की समस्या बढ़ रही है। ओपीडी में ऐसे मरीज पहुंचते हैं, जिनका लिवर डैमेज हो रहा होता है। नान एल्कोहलिक लिवर डिजीज भी बढ़ रही हैं। जिसका मेन कारण मोटापा है। हमेशा साफ पानी पीने से लिवर की समस्याओं से बचा जा सकता है। मानसिक समस्याओं का भी पेट की प्रॉब्लम पर असर पड़ रहा है।

आराम बना रहा बीमार: डॉ। डी हिमांशु

केजीएमयू में मेडिसिन विभाग के डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि पिछले कुछ वर्षो में डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं बढ़ी हैं। केजीएमयू की ओपीडी में करीब 20 से 30 फीसद मरीज डायबिटीज के होते हैं। डायबिटीज और हाइपरटेंशन का मेन कारण मोटापा और एकसरसाइज की कमी है। जोड़ों की समस्याओं में भी इजाफा हो रहा है। इसका कारण वजन बढ़ना है। इससे बचने के लिए हरी सब्जियों का सेवन करें। 40 मिनट पैदल चलें और रोज एक्सरसाइज करें। मार्निग वॉक से विटामिन डी भी बढ़ेगा और विटामिन डी की कमी नहीं होगी।

बच्चों को डिप्रेशन से बचाएं: डॉ। प्रदीप शुक्ला

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। प्रदीप शुक्ला ने बताया कि ओपीडी में आने वाले बच्चों में एलर्जी की शिकायत वाली समस्याएं अधिक हैं। हम इसे रोककर बच्चों को अच्छी जिंदगी दे सकते हैं। पैक्ड फूड, फास्ट फूड और पेस्ट, परफ्यूम जैसी चीजों से यह समस्या बढ़ी है। प्रदूषण भी इसका एक कारण है। अकेलेपन से बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। बच्चों को बीमार होने से बचाना है तो उन्हें अकेलेपन और प्रेशर से बचाएं।

साल में एक बार जांच जरूरी: डॉ। विजय कुमार

केजीएमयू के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ। विजय कुमार ने कहा कि आठ साल पहले यहां ओपीडी में 3-4 हजार लोग ही पहुंचते थे, लेकिन अब यह संख्या 8 से 10 हजार हो गई है। बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। अब तकनीक और जांचों की सुविधा है जिससे समय रहते बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। 25 से अधिक उम्र के लोगों को चाहिए कि वे वर्ष में एक बार अपनी जांच जरूर कराएं।

स्वस्थ लोगों से ही स्वस्थ समाज: डॉ। आशुतोष दुबे

डॉ। श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ। आशुतोष दुबे ने बताया कि स्वस्थ लोगों से ही स्वस्थ समाज बनेगा। हमारे आस पास का पर्यावरण भी हमारे तन और मन को स्वस्थ रखता है। लोगों की कार्यशैली बदल रही है जिसके साथ हमारे शरीर की मेटाबोलिक एक्टिविटी बदल रही है। इसलिए वर्ष में एक बार जांच कराना जरूरी है।

ताकि इलाज की जरूरत न पड़े: डॉ। निर्मल गुप्ता

एसजीपीजीआई सीवीटीएस विभाग के एचओडी डॉ। निर्मल गुप्ता ने बताया कि हमारे यहां पर 30 से 35 फीसद बच्चे ओबेसिटी से ग्रसित है। 45 फीसद नौकरी पेशा ओर लेडीज ओबेसिटी की शिकार हैं। 70 परसेंट युवा किसी न किसी व्यसन की गिरफ्त में हैं। वे मोबाइल, टीवी, सीट पर बैठे काम करने, शुगरी ड्रिंक, तंबाकू पान मसाले का प्रयोग करने की लत में हैं। ये सब हमारे स्वास्थ्य को खराब कर रहे हैं। अनाज, सब्जी, फल को शामिल करें। दूसरा हर रोज कम से कम 30 से 40 मिनट की एक्सरसाइज, या सीढि़या चढ़ना, साइकिलिंग या योगा करें। यदि जॉब प्रोफाइल डेस्कटॉप पर काम करने की है तो हर एक घंटे में पांच मिनट वाकिंग ब्रेक लें।