- नोट एक्सचेंज और चलने की छूट से पंप पर गड़बड़ी करने के लगे थे आरोप

- आरटीआई में मांगी गई सूचनाओं का कंपनियों ने दिया अधूरा जवाब

BAREILLY:

ब्लैकमनी और करप्शन मिटाने के लिए केंद्र सरकार ने 8 नवंबर को बड़े नोट पर बैन लगाया था। ताकि, ब्लैकमनी के रूप में जमा 500 और 1000 के नोट बाहर आ सके। ऐसा हुआ भी, लेकिन बैंक्स के अलावा बाकी जगहों पर नोट चलने की दी गई छूट ने सरकार के सारे किए कराये पर पानी फेर दिया। नोटबंदी के दौरान फिलिंग स्टेशनों पर यह आरोप लगे थे कि उन्होंने कमीशन लेकर पब्लिक के पुराने नोट बदल दिए और फ्यूल सेल दिखा कर बैन नोट को बैंक्स में जमा कर दिया। फिलिंग स्टेशनों के इस खेल का उजागर करने के लिए मांगी गई आरटीआई से यह बात साफ हो गई है। कंपनियों ने फ्यूल सेल की जानकारी मुहैया तो करा दी है, लेकिन बैन नोटों की जानकारी देने से साफ मना कर दिया है। इस बात से साफ है कि कंपनियों ने पुराने नोट को चेंज करने को लेकर हुए खेल पर पर्दा डालना चाह रही हैं।

दो कंपनियों ने दी सूचनाएं वह भी अधूरी

आरटीआई एक्टिविस्ट मुहम्मद खालिद जीलानी ने 2 दिसम्बर 2016 को कुछ सूचनाएं मांगी थी। जिले में कुल कितने फिलिंग स्टेशन है, कितनी एजेंसी है, नोट बंदी के दौरान फ्यूल की हुई सेल, बैंक्स में जमा की गई राशि, राशि किस मूल्य वर्ग के नोटों में जमा की सहित अन्य जानकारी मांगी थी। यह जानकारी इंडेन, भारत और एचपी तीनों कंपनियों से मांगी गई थी, लेकिन सूचनाएं अभी तक दो ही कंपनियों आईओसी और बीपीसी ने दी है। जबकि, एचपीसी ने अभी तक कोई सूचनाएं नहीं दी है।

छिपा गए बैन नोटों का ब्योरा

फ्यूल कंपनियों ने बैन नोटों का ब्योरा बताने से साफ मना कर दिया है। उन्होंने इस बात की जानकारी बैंक्स से पता करने की नसीहत दी है। कंपनियों ने फिलिंग स्टेशन की संख्या, नाम, पता बताने की जगह अपने वेबसाइट पर जाकर पता करने को कहा है, वहीं नोट के संबंध में कंपनियों का कहना है कि मांगा गया ब्योरा समान्यत: आम पब्लिक के हित में नहीं है। मांगी गई सूचना कॉरपोरेशन द्वारा नहीं रखी जाती है यह ब्योरा संबंधित वितरक के बैंक्स, ब्रांच से प्राप्त की जा सकती है।

छूट का उठाया था खूब फायदा

पब्लिक को परेशानियों का सामना न करना पड़े इसके लिए केंद्र सरकार ने रेलवे, रोडवेज, बिजली विभाग, सरकारी हॉस्पिटल, गैस एजेंसियों और फिलिंग स्टेशन सहित कई जगहों पर बैन नोट एक्सेप्ट किए जाने की छूट दे रखी थी। इसी छूट का फायदा उठाते हुए फिलिंग स्टेशनों ने कमीशन पर बैन नोट एक्सचेंज कर लिया था। बैंक्स में फिलिंग स्टेशनों ने नोट बंदी के दौरान खूब रुपए जमा किए थे।

कंपनियों ने जो सूचनाएं दी है, उससे संतुष्ट नहीं हूं। बैन नोट को लेकर कंपनियों ने कोई सूचनाएं मुहैया नहीं करायी है। ऐसे में दोबारा आरटीआई डालूंगा।

एडवोकेट मुहम्मद खालिद जीलानी, आरटीआई एक्टिविस्ट