केस-1

15 सितम्बर 2015 को कुआंडांडा में दो बैंक्स की दीवार चोरों ने तोड़ दी थीं। बड़ौदा ग्रामीण और सहकारिता बैंक में घुसे चोरों ने लॉकर भी तोड़ दिए थे, लेकिन चोर यहां से कुछ ले जा नहीं सके।

 

केस-2

8 फरवरी 2016 को महानगर की एक बैंक से लॉकर से चोरी हो गई थी। रिटायर इंस्पेक्टर की लॉकर में रखी ज्वैलरी और कागजात चोरी हो गए थे।

 

केस -3

दो वर्ष पहले सीबीगंज फैक्ट्री के पास इलाहाबाद बैंक की दीवार तोड़कर चोर अंदर घुस गए थे। चोर बैंक के अंदर लॉकर तक पहुंच गए, लेकिन यहां से भी चोर कुछ ले जा नहीं सके।

 

केस -4

बाकरगंज में बीओबी ब्रांच की खिड़की तोड़कर 3-4 की संख्या में चोर अंदर घुसे। चोरों ने एटीएम और स्ट्रॉन्ग रूम काट दिया। हालांकि मेन लॉक चोर नहीं तोड़ सके थे।

 

केस - 5

26 अक्टूबर 2017 को शाही में यूको बैंक में चोरी का प्रयास किया गया था। सीसीटीवी के बोर्ड उखाड़ दिए थे। स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर का ताला तोड़ दिया था। बैंक में नकदी तलाशने के लिए सामान खंगाला। आहट होने पर भाग गए थे।

 

BAREILLY: कानपुर यूनियन बैंक में 32 लॉकर काट कर हुई चोरी की घटना ने बैंक्स की सिक्योरिटी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बरेली के बैंक भी सुरक्षित नहीं है। रात ही नहीं दिन में भी सिक्योरिटी गार्ड ब्रांच पर नहीं आते हैं। बैंक्स में लगे सीसीटीवी कैमरे भी नाकाफी है, जिसकी वजह से पिछले एक-दो वर्ष में आधा दर्जन बैंक्स में चोरी या चोरी की कोशिश हो चुकी है। फिर भी, बैंक प्रबंधन सिक्योरिटी के कोई ठोस इंतजाम नहीं कर रहे हैं।

 

1.60 लाख अकाउंट होल्डर

जिले में सरकारी और प्राइवेट 38 बैंक हैं। इनकी 400 से अधिक ब्रांच हैं। सिर्फ शहर में ही 151 ब्रांच हैं। जिनमें करीब 1.60 लाख खाता धारक हैं। ज्यादातर बैंक्स ने अपनी ब्रांच में लगे एटीएम के लिए गार्ड रखे हैं। जो कि बैंक की भी देखभाल करते हैं। पर सवाल यह उठता है कि एक गार्ड ब्रांच की रखवाली करें या फिर एटीएम की। दिन में ब्रांच आने-जाने वालों की भी कोई चेकिंग नहीं होती है। फ्राइडे को सिविल लाइंस इलाहाबाद बैंक में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। सिक्योरिटी गार्ड कुर्सी छोड़ इधर-उधर टहल रहा था। यहीं नहीं कलेक्ट्रेट एसबीआई मेन ब्रांच के गेट पर भी बाहर की तरफ कोई गार्ड तैनात नहीं था। हालांकि, ब्रांच के अंदर 2-3 गार्ड माैजूद थे।

 

सिक्योरिटी की गारंटी नहीं

ज्वैलरी, मकान, प्रतिष्ठान की रजिस्ट्री के कागज या फिर अन्य कोई कीमती सामान सुरक्षित रखने के लिए लोग बैंक्स में लॉकर लेते हैं। लेकिन, कानपुर में हुई घटना के बाद से लॉकर होल्डर्स डरे हुए हैं। लॉकर का हर वर्ष 1500, 3000 और 6000 रुपए किराया और टैक्स लेने के बाद भी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। यदि, लॉकर से सामान चोरी हो गया तो बैंक उसकी भी गारंटी नहीं लेते हैं। यानि, आपके कीमती सामान के बदले रुपए भी नहीं मिलते हैं। क्योंकि, उसका बीमा नहीं होता है।

 

आधा दर्जन ब्रांच में हो चुकी है घटना

बरेली में पिछले दो वर्ष में ही आधा दर्जन से अधिक ब्रांच में चोरी या चोरी के प्रयास हो चुके हैं। इनमें शहर और ग्रामीण क्षेत्र दोनों ही ब्रांच शामिल हैं। कोई फेस्टिवल हो या फिर सैटरडे व संडे को कंटीन्यू होने वाली छुट्टी के दिन बदमाश चोरी की घटना को अंजाम देने का प्लान करते हैं। ताकि, बैंक बंद होने का फायदा उठाया जा सके।

 

सभी ब्रांच में सिक्योरिटी का पुख्ता इंतजाम किया गया है। लॉकर वाले ब्रांच में गार्ड रूम भी बनाए गए हैं। ताकि, रात के वक्त भी सेफ्टी रहे।

सुनील वढेरा, डीजीएम, एसबीआई

 

सभी बैंक के मुख्य ब्रांच को सिक्योरिटी के खास इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि, ब्रांच पर किसी प्रकार की कोई घटना न हो।

ओपी वडेरा, मैनेजर, लीड बैंक, बीओबी