- फर्जी फर्म और फर्जी दस्तावेज बनाकर 1.10 करोड़ का लिया था लोन

- विजया बैंक से 2007 में लिया था लोन

- दो बैंककर्मी ओर लोन लेने वाले को चार साल की सजा

DEHRADUN:

राजधानी देहरादून में सीबीआई कोर्ट ने फर्जी फर्म बनाने और फर्जी दस्तावेज से लोन लेने के नाम पर दो बैंककर्मियों सहित चार को चार साल जेल की सजा और बैंककर्मियों पर ख्भ्-ख्भ् हजार जुर्माने के साथ ही लोन लेने वाले पर ख्0 हजार की सजा सुनाई है। आरोपियों पर विजया बैंक से फर्जी तरीके से एक करोड़ से अधिक का लोन निकालने का आरोप है।

इंडस्ट्री लगाने के नाम पर लिया था लोन

ख्007 में एसके गुप्ता नाम के एक व्यक्ति ने सेलाकुई में इंडस्ट्री लगाने के लिए देहरादून के विजया बैंक से क्.क्0 करोड़ रुपये के लोन के लिए आवेदन किया था। इसके बाद तत्कालीन दून शाखा प्रबंधक शिवाजी शाही जो वर्तमान में मुख्य प्रबंधक दिल्ली रीजन के पद पर हैं, लोन पास करते हुए इसे स्वीकृति के लिए तत्कालीन एजीएम चंडीगढ़ वाईडी मिश्रा को भेजा और वर्ष ख्007 में ये लोन पास हो गया। क्.क्0 करोड़ लोन पास करने के लिए एसके गुप्ता ने तीन रजिस्ट्री, पेन कार्ड डिटेल के साथ ही फर्म खोलकर उससे इंडस्ट्री के लिए मशीन सप्लाई के दस्तावेज विजया बैंक में जमा कराए। लोन देन के बाद जब इसकी जांच हुई तो बैंक में जमा किये सभी कागजात फर्जी निकले। यही नहीं फर्म में नई मशीनों की जगह बेकार मशीनें लगाई गई थी। इसके बाद बैंक प्रबंधक की शिकायत पर आठ जून ख्009 को मामला सीबीआई को दिया गया। जिसमें सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की। मामले में मंगलवार को सीबीआई विशेष अदालत की जज शादाब बानो ने मामले में बैंक केपूर्व सहायक महाप्रबंधक वाईडी मिश्रा, वर्तमान मुख्य प्रबंधक शिवाजी शाही और लोन आवेदक एसके गुप्ता को दोषी पाते हुए चार-चार साल का कारावास व बैंक अधिकारियों पर ख्भ्-ख्भ् हजार और लोन आवेदक पर ख्0 हजार का जुर्माने की सजा सुनाई।