-बैंक ऑफ बड़ौदा ने प्रीमियम अमाउंट सिस्टम के तहत कम जमा की बीमा की राशि

-पालिसी लैप्स होने के बाद बीमा धारक की हो गई मौत, पत्नी ने दायर किया कोर्ट में वाद

BAREILLY

बैंक ऑफ बड़ौदा को प्रीमियम अमाउंट सिस्टम के माध्यम से बीमा की राशि जमा करने में लापरवाही बरतना भारी पड़ गया। बैंक अकाउंट से बीमा पालिसी में समय से पूरा पैसा जमा न होने पर वह लैप्स हो गई, इस बात का अकाउंट होल्डर को भी पता नहीं चला। अकाउंट होल्डर की मौत के बाद जब पीडि़ता ने मुआवजा की मांग की, तो पता चला कि पालिसी लैप्स हो चुकी है। इस पर पीडि़ता ने कंज्यूमर फोरम में वाद दायर कर मुआवजा दिलाने की मांग की। कंज्यूमर फोरम ने पीडि़ता के द्वारा पेश किए समस्त प्रपत्रों का अवलोकन करने के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा निकट गांधी उद्यान पर एक लाख पांच हजार का जुर्माना लगा दिया है। इसके साथ ही बैंक को आदेश दिया है कि वह एक माह के अन्दर पीडि़ता को पूरी राशि का भुगतान कर दे अन्यथा भुगतान होने तक 7 प्रतिशत वार्षिक व्याज के साथ पीडि़ता को देना होगा।

2012 में ली थी पालिसी

सीबीगंज थाना क्षेत्र के महेशपुरा निवासी शकूरन पत्नी साबिर ने 2016 को कंज्यूमर फोरम में एक वाद दायर किया था। जिसमें बताया कि पति साबिर परसाखेड़ा स्थित एक आइस्क्रीम फैक्ट्री में जॉब करते थे। साबिर का बैंक ऑफ बड़ौदा परसाखेड़ा ब्रांच में सेलरी अकाउंट था। वर्ष 2012 में साबिर ने एक इंडिया फ‌र्स्ट लाइफ इंश्योरेंस से एक पालिसी ली थी। बैंक और इंडिया फ‌र्स्ट लाइफ इंश्योरेश कम्पनी का टाईअप होने से साबिर ने प्रीमियम अमाउंट सिस्टम से पालिसी का भुगतान करना सुनिश्चित किया था। बैंक ने प्रीमियम अमाउंट सिस्टम के तहत वर्ष 2012 में तो अकाउंट होल्डर के प्रीमियम का 286 लाइफ इंश्योरेंश को जमा कर दिया, लेकिन वर्ष 2013-14 का प्रीमियम 140 रुपए प्रतिवर्ष ही जमा किया। बैंक से लाइफ इंश्योरेश को प्रीमियम की रकम पूरी नहीं मिलने पर इंश्योरेंश पालिसी लैप्स हो गई। इसी दौरान 5 जुलाई 2014 को अकाउंट होल्डर की मौत हो गई। इसके बाद बैंक ने वर्ष 2015 में प्रीमियम की राशि 291 भेज दी, लेकिन पालिसी लैप्स होने से लाइफ इंश्योरेंश प्रीमियम की रकम वापस कर दी थी।

पत्नी ने मांग मुआवजा

साबिर की मौत के बाद पत्नी शकूरन ने इंडिया फ‌र्स्ट लाइफ इंश्योरेंश से जब मुआवजा की मांग की तो पता चला की पॉलिसी ही प्रीमियम कम जमा होने के चलते लैप्स हो चुकी है। जब बैंक से कारण पूछा गया तो उसने पीडि़ता को कोई संतोषजनकर जवाब नहीं दिया। इससे परेशान होकर पीडि़ता ने वर्ष 2016 को कंज्यूमर फोरम में एक वाद दायर कर दिया। जिस पर कंज्यूमर फोरम ने एक लाख रुपए क्षतिपूर्ति, शारीरिक कष्ट के 3000 रुपए और दो हजार रुपए वाद व्यय के देने का आदेश बैंक को फोरम अध्यक्ष विनोद कुमार और सदस्य अनीता यादव सुनाया है।