-भेलूपुर स्थित बैंक ऑफ इंडिया के आंचलिक कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन

- शादी ब्याह की तैयारियों में लगे लोग कैश को लेकर रहे हलकान, एटीएम भी हुये खाली

VARANASI

एक दिवसीय बैंक बंदी को सफल बनाने के लिए बैंकों के विभिन्न संगठनों ने मंगलवार की सुबह से ही जुलूस निकालकर माहौल बनाना शुरू कर दिया था। बाइक जुलूस व सभा का दौर दोपहर बाद तक भी कहीं- कहीं ब्रांचेज के बाहर जारी रहा। बैंक यूनियन नेताओं ने केंद्र सरकार के विरोध में अपनी आवाजें बुलंद करते रहे। सभी घटकों व अन्य ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि स्ट्राइक में शामिल रहे। भेलूपुर स्थित बैंक ऑफ इंडिया के आंचलिक कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन में इलाहाबाद बैंक के महासचिव एसके सिंह, बैंक ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रेम प्रकाश, विकास, एसके सेठ आदि सैकड़ों कर्मचारियों ने अपनी आवाज बुलंद की। जिसके चलते शादी-ब्याह की तैयारियों में लगे लोगों को बैंक से रुपये निकालने में खासी परेशानियां झेलनी पड़ी। यही नहीं, सुबह से ही एटीएम से रुपये निकालने वालों में होड़ मची रही। दोपहर होते-होते सिटी के लगभग सारे एटीएम खाली भी हो गए।

इनका विरोध

-बैंकिंग, श्रम सुधार

-श्रम संगठन, अधिकारों में दखल देने के सरकारी कदम

-स्थाई कार्यो की आउटसोर्सिग

यह है मुख्य मांगे

-कर्मचारियों और अधिकारियों को विमुद्रीकरण कार्य के दौरान अतिरिक्त घंटों में किये गये कार्य की न्यायसंगत प्रतिपूर्ति

-पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी, एक्ट क्97ख् के अंतर्गत उपदान की सीमा को हटाया जाना व उपादान और अवकाश नकदीकरण के सेवानिवृत्ति के अवसर पर आयकर से पूरी छूट

-कर्मचारी, अधिकारी निदेशकों की सभी बैंकों में तुरंत नियुक्ति

-बैंक कर्मचारियों के लिए अगले वेतन पुनरीक्षण प्रक्रिया को शीघ्र प्रारंभ किया जाना

-आरबीआई व केंद्रीय सरकार कर्मचारियों के अुनरूप पेंशन योजना में पेंशन से संबंधित मुद्दों में सुधार जिसमें विगत सेवानिवृत्तों को शामिल किया जाए, पूर्व पेंशन योजना का बैंकों में विस्तार जो नई पेंशन योजना के स्थान पर हो

-केंद्रीय सरकार की योजना के अनुरुप अनुकम्पा आधार पर नियुक्ति योजना को लागू करना जैसा कि वह सरकार द्वारा स्वीकृत की गई है

-सभी सवर्गो में पर्याप्त भर्ती

-सरकार द्वारा बैंकों को विमुद्रीकरण के मूल्य की प्रतिपूर्ति

-पांच दिवसीय बैंकिंग व्यवस्था को तुरंत शुरू किया जाए

-खराब ऋणों की वसूली के लिए और उच्च कार्यकारियों की जिम्मेदारी तय करने के कठोर उपाय किये जाए

-बैंक ऋणों की जान बूझकर चूक करने पर फौजदारी कार्यवाही की जाए