- बदमाशों के खौफ में शहर के व्यापारी

- बैंक तक रकम पहुंचाने में पुलिस की जगह सिक्योरिटी एजेंसियों की ले रहे मदद

GORAKHPUR: सरेराह कैश लूटे जाने की ताबड़तोड़ वारदातों ने शहर के बड़े व्यापारियों का पुलिस पर से भरोसा डिगा दिया है। अपना कैश बैंक तक पहुंचाने के लिए वे पुलिस से ज्यादा प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसियों की मदद लेने को ज्यादा महफूज समझने लगे हैं। वहीं, व्यापारियों के इस डर के चलते ये सिक्योरिटी एजेंसियां मालामाल हो रही हैं। जो बड़े फर्मो का कैश सकुशल बैंक तक पहुंचाने के नाम पर भारी कीमत ले रही हैं। हालांकि पुलिस अधिकारी इस चीज को पुलिस की नाकामी नहीं मानते। एडीजी दावा शेरपा का कहना है कि लोग डर की वजह से नहीं बल्कि अपनी सुविधा के लिए सिक्योरिटी एजेंसियों का सहारा ले रहे हैं।

ले सकते हैं पुलिस की सिक्योरिटी

लगातार व्यापारियों के साथ हो रही वारदातों को देखते हुए पुलिस की ओर से यह व्यवस्था शुरू की गई थी कि अगर किसी व्यापारी को अधिक कैश लेकर जाना है तो वह पुलिस की मदद ले सकता है। लेकिन हैरानी है कि जिला पुलिस के पास इस तरह की मदद मांगने वाला कोई भी व्यापारी, संस्था या फर्म नहीं आया। अधिकांश लोग या तो खुद के रिस्क पर अपना कैश बैंकों तक ले जा रहे हैं या फिर सिक्योरिटी एजेंसियों का सहारा ले रहे हैं।

बॉक्स

पुलिस पर शक तो नहीं वजह?

शहर के व्यापारियों द्वारा कैश ले जाने में पुलिस की जगह सिक्योरिटी एजेंसी की मदद लिए जाने के पीछे पुलिस पर शक भी वजह है। कुछ व्यापारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कैश पहुंचवाने में कई लोगों को डर लगता है कि कहीं कोई पुलिसकर्मी बात लीक न कर दे। हालांकि पुलिस के अधिकारी ऐसे आरोपों को सीधे तौर पर निराधार बताते हैं।

सिक्योरिटी एजेंसियां भी बनी हैं निशाना

जिले में एक्टिव बदमाशों के निशाने पर अब व्यापारी या उनके मुनीम ही नहीं, बैंक और सिक्योरिटी एजेंसियां भी रहे हैं। साल 2009 में सीआईएस कंपनी द्वारा ले जाया जा रहा एलआईसी का 66 लाख रुपया बदमाशों ने कैशवैन से लूट लिया था। बदमाशों ने कंपनी के कांस्टेडियन सुभाष सिंह को गोली भी मारी थी। हालांकि घटना के कुछ दिनों बाद पुलिस ने इसका खुलासा भी कर दिया था। वहीं, वर्ष 2017 में एसआईएस कंपनी के कर्मचारियों ने खुद ही खोराबार एरिया में कैशवैन से 99 लाख रुपया लूटे जाने की झूठी साजिश रच डाली थी। इस घटना से भी पुलिस ने कुछ दिनों के अंदर पर्दा उठा दिया था।

बैंकों में भी बढ़ रही घटनाएं

बीते दिनों बेखौफ बदमाशों ने कानपुर में बैंक लॉकर काटकर करोड़ों रुपए से अधिक की रकम उड़ा दी। गोरखपुर में भी अब तक करीब आधा दर्जन से अधिक बार एटीएम काट और बैंकों में चोरी की कोशिश की जा चुकी है।

जिले में एटीएम काटने की घटनाएं

- साल 2014 में ट्रांसपोर्ट नगर स्थित पीएनबी बैंक के एटीएम को काटकर चोरों ने उड़ाए थे लाखों कैश

- साल 2015 में हरिओम नगर तिराहे पर स्थित पीएनबी बैंक के एटीएम को काटकर चोरों ने किया था हाथ साफ

- साल 2016 में गोरखनाथ इलाके के हड़हवा फाटक के पास स्थित एटीएम को चोरों ने काटा

- साल 2016 में गोरखनाथ इलाके के हुमायूंपुर स्थित एटीएम को भी काटकर हुई थी चोरी की कोशिश

- 27 दिसंबर को गोरखनाथ के राजेंद्रनगर में एसबीआई एटीएम काटकर चोरों ने की थी चोरी की कोशिश

- 28 नवंबर को गोरखनाथ एरिया के पचपेड़वा नकहा पुलिस के पास भी चोरों ने काटा था एसबीआई का एटीएम

कोट्स

यह पूरी तरह पुलिस की नाकामी है कि आम पब्लिक हो या फिर व्यापारी, सभी के मन में खौफ है। बड़े फर्म या तो सिक्योरिटी एजेंसियों का सहारा ले रहे हैं या फिर मैनेजर या मुनीम के जरिए बैंकों के लेनदेन का काम करते हैं।

- आरपी सिंह, बिजनेसमैन

व्यापारियों को रोजना बैंकों से बड़ी लेनदेन करनी पड़ती है। ऐसे में उनके लिए सुरक्षा भी जरूरी है। बदमाशों के टारगेट पर सबसे पहले व्यापारी ही आ रहे हैं। अगर पुलिस मुस्तैद होती तो लोगों को मजबूरी में सिक्योरिटी एजेंसियों का सहारा नहीं लेना पड़ता।

- मनीष जैन, व्यापारी

वर्जन

पुलिस लगातार बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। पहले की अपेक्षा क्राइम पर काफी हद तक कंट्रोल भी लगा है। पेशेवर घटनाएं अब कम हो रही हैं। बावजूद इसके अगर कोई सुरक्षा के लिए पुलिस की मदद मांगता है तो उसे पुलिस की ओर से हर संभव मदद मुहैया कराई जाएगी। यह पुलिस की नाकामी नहीं बल्कि लोग अपनी सुविधा के लिए सिक्योरिटी एजेंसियों का सहारा ले रहे हैं।

- दावा शेरपा, एडीजी