- गोरखपुर में खुलेआम बिक रहीं हैं अवैध दवाएं, केन्द्र सरकार ने कर रखा है प्रतिबंधित
- पूर्वाचल की सबसे बड़ी मंडी गोरखपुर में, रोज होता करीब 2 अरब का कारोबार
फैक्ट फाइल
- 18 दवाएं जनवरी में की गई हैं प्रतिबंधित
- 35 छापेमारी हुई जनवरी-फरवरी में ड्रग विभाग की
- 1 एफआईआर ही दर्ज करा सका ड्रग डिपार्टमेंट
- 13 दवाएं फर्जी पाया है स्वास्थ्य मंत्रालय ने
GORAKHPUR: सावधानन! कहीं आपको बैन दवा तो नहीं थमा रहा दुकानदार? जी हां, दवा दुकानों पर आपको जो दवा दी जा रही है उस पर आज से गौर करना शुरू कर दीजिए। क्योंकि गोरखपुर में गैर कानूनी दवाओं का एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है। इस रैकेट में अफसर, दवा दुकानदार व डॉक्टर मिलकर आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। भारत सरकार की पाबंदी के बाद भी बाजार में खुलेआम अवैध रूप से बड़े कारोबारी दवाइयों को बेच रहे हैं।
13 दवाएं हैं फर्जी
मंगलवार को भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी देश में बिक रहीं डेढ़ हजार से ज्यादा दवाओं की गुणवत्ता निर्धारित मानक से कम पाया। इसमें से 13 दवाएं तो फर्जी पाई गई। इसकी खबर आने के बाद शुक्रवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब गोरखपुर की दवा मंडी का जायजा लिया तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। दुकानदारों ने जहां धड़ल्ले से कारोबार की जानकारी दी, अपितु जांच में पता चला कि सरकार की प्रतिबंधित दवाएं तो यहां के डॉक्टर भी खुलेआम लिख रहे हैं।
सरकारी अस्पताल में भी प्रतिबंधित दवाएं
सर्दी, जुकाम और शरीर में दर्द होने पर अक्सर लोग पैरासिटामाल नाम की दवाई लेकर खा लेते हैं, लेकिन सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन ((CDSCO )
ने पाया है कि पैरासिटामाल नाम की ये दवाई आपके शरीर में वक्त पर घुल ही नहीं पाती। जनवरी में जारी CDSCO की रिपोर्ट के मुताबिक, पैरासिटामाल के सितंबर 2015 और अक्टूबर 2015 के बैच से हासिल दवा के कुछ सैंपल टेस्ट में फेल हो गए। जबकि, ये दवाएं गोरखपुर दवा मंडी से लेकर सरकारी अस्पतालों में खुलेआम दी जा रही है।
डॉक्टर धड़ल्ले से लिख रहे
हाल में जारी स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 80 फीसदी डॉक्टर प्रतिबंधित दवाओं को लिख देते हैं। जबकि, गोरखपुर में यह अांकड़ा 90 फीसदी के आसपास बताया जा रहा है।
प्रतिदिन दो अरब का कारोबार
पूर्वाचल की सबसे बड़ी दवा मंडी गोरखपुर में रोज करीब दो अरब रुपए का कारोबार होता है। इनमें करोड़ों की प्रतिबंधित दवाएं भी शामिल होती हैं। ऐसी दवाएं, जिनपर रोक लगाई जा चुकी है, यहां की मंडियों में उसकी बड़ी-बड़ी खेप आती है और दूसरे जगहों पर सप्लाई की जाती है।
नामभर की होती है छापेमारी
केंद्र सरकार दवाओं पर प्रतिबंध तो लगा देती है, लेकिन उसे जमीन पर अमलीजामा अफसर नहीं पहना पाते हैं। गोरखपुर में ड्रग विभाग छापेमारी करने में फिसड्डी रहा है। आंकड़ों के अनुसार, गोरखपुर ड्रग इंस्पेक्टर ने जनवरी-फरवरी में 35 छापेमारी की, जिसमें सिर्फ एक पर एफआईआर दर्ज करा सके हैं। 15 दुकानों की सैंपि1लंग हुई और 13 की जांच कर रहे हैं।
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ऐसे पहचानिए प्रतिबंधित दवा
आमतौर पर आम आदमी को प्रतिबंधित दवाओं की जानकारी नहीं हो पाती है। जबकि, इसे आसानी से जाना जा सकता है। इसके लिए आपको बस सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन की साइट पर जाना होगा। वेबसाइट पर राइट साइड में ड्रग अलर्ट ऑप्शन दिखेगा, उस पर क्लिक करके आप महीनेवार प्रतिबंधित दवाओं की जानकारी पा सकते हैं।
जनवरी में 18 दवाएं मानक के अनुसार नहीं
सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन ने जनवरी महीने में कुल 18 दवाओं को मानक के अनुसार नहीं पाया है। इनमें कई नामचीन दवाएं हैं।
केस एक
दे दी थी एक्सपाइरी दवा
जिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में भर्ती एक मरीज को बाहर के मेडिकल स्टोर वाले ने एक्सपाइरी इंजेक्शन थमा दिया। हालांकि इस दौरान स्टाफ ने सूझ-बूझ का परिचय दिखाते हुए इंजेक्शन की गुणवत्ता परखी। इससे बड़ी घटना होने से बच गया। मरीज के साथ आए तीमारदार ने इस संबंध में सीमएओ को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की। फिर भी अफसर ने कार्रवाई नहीं की।
केस दो
गलत इंजेक्शन से मासूम की मौत
जिला महिला अस्पताल में वर्ष 2015 में एक नवजात की मौत हो गई। यह परिवार गोरखपुर सिटी का रहने वाला है। डॉक्टर पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाते हुए घर वालों ने हंगामा भी किया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
वर्जन
भारत सरकार से प्रतिबंधित दवाएं अगर यहां बेची जा रही हैं तो गलत है। कुछ कंपनियों ने कुछ दवाओं पर कोर्ट से स्टे लिया था। इसके चलते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। नई गाइड लाइन का इंतजार है जो अभी तक नहीं मिली है।
बृजेश यादव, ड्रग इंस्पेक्टर, गोरखपुर