- तीन टेक्नीक हो चुकी है डेवलप, जिसमें रिवर्स ऑस्मॉसिस का हो रही है सबसे ज्यादा यूज

- इसके अलावा मेंबरेन फिल्टरेशन टेक्नीक और अल्ट्रा फिल्टरेशन टेक्नीक भी की जा रही है यूज

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : ड्रिंकिंग वाटर, इस वक्त न सिर्फ सिटी की बल्कि देश के कई इलाकों की प्रॉब्लम है। कहीं पर भी सेफ ड्रिंकिंग वाटर के लिए लोगों को प्योरिफिकेशन प्रॉसेस यूज करना पड़ रहा है। वाटर प्रॉब्लम से निजात दिलाने के लिए भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) भी वाटर पर रिसर्च में जुट गया। इस दौरान यह बात सामने आई कि वाटर में बड़ी मात्रा में इंप्योरिटीज हैं। जिसमें आर्सेनिक, फ्लोराइड के साथ आयरन भी पाया गया। रिसर्च के बाद बार्क ने वाटर प्योरिफिकेशन टेक्नीक इजाद की, जिससे अब वाटर प्योरिफाई करने के लिए यूज किया जा रहा है। इसमें सबसे अहम और सबसे ज्यादा यूज की जाने वाली टेक्नीक है रिवर्स ऑस्मॉसिस, जिसका यूज आज घर-घर में हो रहा है। यह बातें शेयर की भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के मीडिया रिलेशन एंड पब्लिक अवेयरनेस सेक्शन के हेड आरके सिंह ने। उन्होंने बताया कि बार्क में वाटर के अलावा कई और चीजों को लेकर रिसर्च चल रही है, जिससे पब्लिक को फायदा मिल रहा है। इसके अलावा मेंबरेन फिल्टरेशन टेक्नीक और अल्ट्रा फिल्टरेशन टेक्नीक भी यूज की जा रही है।

फ्लड अफेक्टेड एरियाज के लिए हेल्पफुल होगी अल्ट्रा फिल्ट्रेशन झिल्ली

देश के कई इलाकों में इन दिनों बाढ़ का कहर है। बाढ़ में सबसे ज्यादा मौतें गंदे पानी की वजह से ही होती हैं। यही वजह है कि बाढ़ अफेक्टेड एरिया में लोगों के लिए अलग से पानी की व्यवस्था की जाती है। बार्क ने भी इसके लिए रिसर्च की और अल्ट्रा फिल्ट्रेशन टेक्नीक पर बेस्ड एक झिल्ली बनाई है। इसका यूज कर 99.9 परसेंट तक बैक्टीरिया और इंप्योरिटीज पानी से दूर हो जाती हैं, वहीं अघुलनशील अशुद्धियों को भी यह आसानी से अलग कर देता है। इससे फ्लड अफेक्टेड एरियाज में पानी की किल्लत दूर हो सकेगी।

टेक्नोलॉजी नॉमिनल रेट पर कंपनीज को होती है प्रोवाइड

बार्क फंक्शनिंग के बारे में बताते हुए आरके सिंह ने कहा कि बार्क में सभी फील्ड के लिए रिसर्च चलती रहती है। रिसर्च करने के बाद जो सक्सेसफुल टेक्नोलॉजी होती है, उसको कॉमन मैन तक पहुंचाने के लिए कंपनीज को नॉमिनल रेट पर वह टेक्नीक प्रोवाइड कर दी जाती है। इससे यह लोगों तक आसानी से पहुंच जाती है। बार्क में मल्टी सेक्टर में रिसर्च चल रही है। हेल्थ सेक्टर में रेडिएशन टेक्नोलॉजी और टेलीथिरैपी का यूज कर कैंसर जैसी बीमारी की जांच और उसकी रोकथाम की जाती है। न्यूक्लियर पॉवर स्टेशन भी इसमें एक अहम कदम है, जिससे कि इलेक्ट्रिसिटी क्राइसिस काफी कम की जा सकती है। इस वक्त इंडिया में 21 न्यूक्लियर पॉवर स्टेशन मौजूद हैं।