डेमू वर्कशॉप फिर लटकी, चनेहटी को नहीं मिला कैंट जंक्शन का दर्जा

बरेली-कासगंज ट्रैक होगा पूरा, भोजीपुरा-टनकपुर ब्रॉडगेज को इंतजार

BAREILLY:

बरेली में थर्सडे सुबह का आगाज भले ही ओले और बारिश से हुआ हो, लेकिन दिन चढ़ते ही इस शहर की किस्मत एक बारगी फिर 'सूखे' की चपेट में दिखी। थर्सडे को आए मोदी सरकार के पहले पूर्ण बजट में रेल मिनिस्ट्री के 'प्रभु' की नजरें बरेली पर मेहरबान न दिखी। टेक्नोलॉजी और सुविधाओं से लैस रेल मिनिस्टर सुरेश प्रभु की बजट रेल, बरेली तक आते आते डिरेल हो गई। जिन उम्मीदों की आस बरेली ने इस बार मोदी सरकार से लगाई थी, वह पिछले साल जुलाई ख्0क्ब् के रेल बजट की तरह ही ना-उम्मीदी में बदल गई। सिवाय बरेली-कासगंज ब्रॉडगेज के पूरा होने की आस के सिवा लंबे समय से अन्य प्रस्तावित योजनाओं को इस बार भी हरी झंडी न मिली।

दक्षिण भारत का सफर होगा शुरू

रेल बजट में बरेली एनईआर इज्जतनगर मंडल के लिए क्00 करोड़ रुपए का बजट मिला है। इसके तहत बरेली-कासगंज लाइन ब्रॉडगेज को पूरी तरह तैयार करने के लिए 70 करोड़ मिले हैं। इस रकम से अगले कुछ महीनों में ही रामगंगा स्टेशन से सिटी स्टेशन के बीच अंडरपास, प्वाइंट, प्लेटफॉ‌र्म्स का काम पूरा होगा। यह लाइन पूरी होते ही उत्तराखंड से दक्षिण भारत के कन्याकुमारी, गोवा, मुंबई तक सीधे सफर की शुरुआत हो जाएगी। वहीं भोजीपुरा वाया पीलीभीत से टनकपुर लाइन ब्रॉडगेज के लिए भी फ्0 करोड़ मिले हैं। लेकिन इस लाइन को पूरा करने के लिए यह बजट नाकाफी है। इसके लिए एनईआर को क्00 करोड़ रुपए बजट की और दरकार है। रेलवे अधिकारियों ने अगले ख्-फ् साल में इस ट्रैक के पूरा होने की उम्मीद जताई है।

डेमू वर्कशॉप को फिर 'लॉलीपॉप'

पिछले क्म् साल से बरेली में डीजल-इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट, डेमू मेंटनेंस वर्कशॉप शुरू करने की उम्मीद को इस बार भी संजीवनी नहीं मिली। सीबीगंज में रेल फैक्ट्री बंद हो जाने के बाद रेलवे ने क्म् साल पहले इस जमीन पर डेमू मेंटनेंस वर्कशॉप का प्रपोजल भेजा था। इस प्रोजेक्ट की फ्7.भ्भ् करोड़ रुपए की डीपीआर भी बनी, लेकिन यह जमीनी हकीकत का रूप न ले सकी। इस रेल बजट में इसके पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन एनईआर को इसके लिए ख्0क्भ्-क्म् के लिए भ् करोड़ रुपए का ही बजट मिला। जिससे अधिकारी प्रोजेक्ट की रूपरेखा, नक्शा आदि बनने पर खर्च होने की बात कर रहे। कुल मिलाकर डेमू की बुनियाद इस साल भी नहीं रखी जा सकेगी।

चनेहटी नहीं बना कैंट स्टेशन

चनेहटी को बरेली कैंट स्टेशन का दर्जा दिलाने की मुहिम इस रेल बजट में भी परवान न चढ़ी। करीब क्ख् साल पहले चनेहटी को कैंट स्टेशन का दर्जा दिलाने को सैनिक कल्याण समिति ने यह लड़ाई शुरू की। रेल बजट में इस प्रस्ताव को शामिल कराने के लिए पूर्व सैनिक दौलत सिंह धौनी ने इसके लिए दिल्ली तक संघर्ष भी किया। साथ ही बरेली व आवंला के सांसदों से मुलाकात करने के साथ ही मोदी को लेटर भेजकर गुहार भी लगाई। लेकिन इस बार भी बजट में चनेहटी को बरेली कैंट स्टेशन का दर्जा न मिल सका। तमाम जद्दोजहद के बावजूद एक बार फिर मिली इस नाकामी से दौलत सिंह धौनी बेहद निराश हुए।

'गेट मित्र' रोकेंगे हादसे

रेल बजट जारी होने के बाद पहली बार देश के सभी रेलवे डिविजन में मीडिया के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई। एनईआर इज्जतनगर मंडल में भी डीआरएम चंद्रमोहन जिंदल ने प्रेस कांफ्रेंस में रेलवे और सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी दी। डीआरएम ने बताया कि एनईआर की ओर से अपने डिविजन में अगले भ् साल के दौरान कुल ख्ब्क् मानवरहित क्रॉसिंग पर गार्ड की तैनाती करेगा। इसके अलावा क् मार्च ख्0क्भ् से एनईआर की 9म् लेवल क्रॉसिंग पर गेट मित्र की तैनाती होगी। जो रेलवे क्रॉसिंग पर होने वाले हादसे रोकेंगे। यह गेट मित्र संविदा पर रखे जाएंगे। इसके अलावा एनईआर अगले एक साल के अंदर अपने फ्ख्9 कोच में बॉयो टॉयलेट्स लगवाएगा।

इन उम्मीदों पर भी फिरा पानी

- बरेली जंक्शन पर क्ब् अहम नॉन स्टॉप ट्रेनों को नहीं मिला स्टॉपेज

- जंक्शन पर मॉर्डन बेस किचेन बनाने के दावे नहीं हुए पूरे

- रेलवे की खाली जमीन पर शॉपिंग कॉम्पलैक्स बनाने का प्रस्ताव फेल

वर्जन

बजट आम आदमी की उम्मीदों पर खरा नहीं है। सिक्योरिटी, सीट, रिजर्वेशन, कैटरिंग और साफ सफाई के नाम पर फिर से जनता को गुमराह किया जा रहा है। बिना ट्रेनों की संख्या बढे़ मुसीबतों से छुटकारा मिलना असंभव है।

डॉ। रूपेंद्र, मुसाफिर

पिछले वर्ष भी घोषणाएं हुई थीं। लेकिन रिजल्ट जीरो रहा। घोषणाओं पर जब तक मजबूत इच्छाशक्ति से अमल नहीं किया जाएगा। तब तक जनता केवल उम्मीदों और आश्वासन के थोथे दावों पर ही खुशियां मनाती रहेगी।

अनिल पांडेय, मुसाफिर

महिलाओं पर तीसरी आंख का पहरा होना स्वागत योग्य विकल्प है। रिजर्वेशन, बुकिंग समेत अन्य जरूरतों को टेक्नोलॉजी से जोड़ना भी अच्छा है। कुल मिलाकर मोदी का रेलवे बजट बेहतर है। जरूरत है तो बस उसके इंप्लीमेंटेशन की।

कुंवर पंकज, मुसाफिर

बजट पूरी तरह से जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं है। टेक्नोलॉजी से ग्रामीणों का कोई वास्ता नहीं है। ऐसे में टेक्नोलॉजी से रेलवे को जोड़ना सही नहीं है। रेल किराया कम नहीं हुआ। जरूरत के अनुसार कोई नई ट्रेन भी नहीं चलाई गई है।

विकास शर्मा, मुसाफिर

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सुरक्षा के वादे निकले खोखले

रेल के सफर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस बार भी एक भारी भरकम घोषणा की गई है। बजट में रेलवे मिनिस्टर ने ट्रेनों में महिला व उनके लिए चुनिंदा कोच में सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने का वादा किया है। लेकिन यह वादा भी पुराने रेल बजट के दावों की तरह ही खोखला दिख रहा। दो साल पहले रेलवे मिनिस्टर रहे पवन कुमार बंसल ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए स्टेशनों में ब् कंपनियां महिला आरपीएफ तैनात करने और बाद में 8 कंपनियां लगाए जाने की घोषणा की थी। वहीं 8 जुलाई ख्0क्ब् को पूर्व रेलवे मिनिस्टर सदानंद गौड़ा ने भी महिला मुसाफिरों की सुरक्षा के लिए ब् हजार महिला आरपीएफ की नियुक्ति करने की घोषणा की। जो पूरी न हुई।

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महिला सिक्योरिटी के नाम पर दावे तो खूब किए जाते हैं। लेकिन हकीकत इससे कहीं इतर रहती है। महिला पुलिसकर्मी कोच में कभी नजर नहीं आती हैं। कैमरे लगेंगे तो शायद कुछ बदलाव दिखाई दे।

स्वागिता गिरी, मुसाफिर

घोषणाओं पर जब तक अमल नहीं किया जाएगा। तब तक महिला सुरक्षा के नाम पर कुछ भी होने वाला नहीं है। इस बार का रेल बजट भी केवल वायदों का बजट लेकर आया है। तकनीकी का प्रयोग अच्छा ऑप्शन है।

नीतू श्रीवास्तव, मुसाफिर

महिलाओं के लिए सुरक्षा के नाम पर कोचेज में लगाए जाने वाले कैमरों से कुछ राहत जरूर मिलेगी। इससे पुलिसकर्मियों की स्थिति सुधरेगी। कैटरिंग, साफ सफाई और रेल किराए में बढ़त न होना बेहतर है।

श्रद्धा शांडिल्य, मुसाफिर