नगर निगम ने पूर्व में तीनों राउंड का प्रपोजल तैयार करने वाली दारा शॉ एजेंसी से इस बार भी प्रपोजल तैयार करवाया है। हर बार की तहर इस बार भी शिल्पकार, सुशासित, संचालित, सुखद और सुरक्षित समेत पांच स्ट्रेटजी तैयार की है। इसमें टूरिज्म स्ट्रेटजी भी शामिल थी, लेकिन उसे सेलेक्शन कमेटी की आपत्ति के बाद हटा दिया गया। वहीं, अन्य सभी फोकस्ड बिन्दुओं को विकसित करने की सलाह दी है। जिससे शहर की इकोनॉमी, ट्रांसपोर्टेशन, गुड गवर्नेस, सेफ्टी और शहरवासियों के लिए उज्ज्वल भविष्य देने की तैयारी नगर निगम ने की है। क्या है यह 5 एस की स्ट्रेटजी, पढि़ए।
स्मार्ट सिटी प्रपोजल एक नजर में।
शिल्पकार
- जरी जरदोजी, बांस व फर्नीचर, मांझा, सुरमा को उद्योग बनाना
- स्किल डेवलपमेंट सेंटर्स ओपन कर युवाओं को प्रशिक्षिण देना
- एक्सपो मार्ट, वेंडिंग जोन बनाकर शहर में ही बेहतर बाजार देना
- हैंडीक्राफ्ट के हुनरमंदों की बनाई सामग्री को ऑनलाइन सेलिंग
अब तक
जरी जरदोजी अब तक महज ट्रेडीशन तक ही सीमित था। जरी जरदोजी और फर्नीचर उद्योगों में निचले पायदान पर था। संलिप्त कामगारों को आवास, मार्केट, इम्पोर्ट एक्सपोर्ट की सुविधा नहीं थी। बिचौलिए बरेली के बेहतर जरी जरदोजी और फर्नीचर को बेहद कम दामों में खरीदकर वर्ल्ड वाइड काफी ऊंचे दामों पर बेचकर मुनाफा कमाते रहे हैं।
---------
सुशासन
- ई गवर्नेस लागू करना
- पब्लिक के लिए फ्री वाई फाई
- ई पाठशाला फॉर सिटीजन कनेक्ट
- सेंट्रलाइज्ड मेडिकल डाटा बेस बनाना
- स्मार्ट हेल्थ कार्ड से ट्रीटमेंट की व्यवस्था
- सेंट्रल कमांड और कंट्रोल सेंटर बनाना
अब तक
ई-गवर्नेस की सुविधा सिर्फ कार्यालयों तक ही सीमित है। पब्लिक को फ्री वाईफाई सुविधा नहीं मिलती। प्रत्येक विभाग को मैन्युअली वर्क करना पड़ता है, जिसमें लेटलतीफी ओर फाइल गायब होने को लेकर अक्सर फर्जीवाड़ा का आरोप लगता रहा है। हेल्थ इश्यू बरेली की बड़ी प्रॉब्लम है। डिजिटिलाइजेशन सिर्फ प्रपोजल्स में है, जो जमीनी हकीकत से कोसों दूर नजर आता है।
---------
संचालित
- बेहतर ट्रांसपोर्टेशन
- सीएनजी से गो ग्रीन
- शहर में फुटपाथ बनाना
- स्मार्ट कार्ड से मल्टी लेवल स्मार्ट पार्किंग
- ई-रिक्शा के लिए चार्जिग प्वॉइंट्स
- पीक ऑवर्स में नो पार्किंग जोन सिटी बनाना
अब तक
ट्रांसपोर्टेशन समस्या बनी हुई। बरेली नगर निगम में ऑटो ही ट्रांसपोर्टेशन का जरिया हैं, जो जाम की वजह भी बने हैं। समूचे शहर में सड़के ही पार्किंग जोन होने से अच्छी खासी चौड़ी सड़कें संकरी हो गई हैं। अब तक बरेली में कम दामों पर बेहतर ट्रांसपोर्टेशन की कोई फैसिलिटी नहीं है। बस स्टैंड कबाड़ हो चले हैं। फुटपाथ अतिक्रमण जोन बने हैं।
---------
सुखद
- ग्रीन एरिया और लेक का निर्माण कर
- सिटी के वेंडिंग जोन को ग्रीन बनाना
- स्कूल ग्राउंड को सेलिब्रेशन एरिया बनाना
- कॉमर्शियल कॉम्पलेक्सेज का निर्माण
- रिडेवलपमेंट मॉडल से मिक्स लैंड यूज
- एफिसिएंट सर्विस डिलीवरी
- 24 घंटे बिजली और पानी की व्यवस्था
- सौ प्रतिशत स्काडा बेस्ड ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन
- सौ प्रतिशत अंडर ग्राउंड वायरिंग सिस्टम
- वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट और रिसाइकलिंग
- बायो डायजेस्टर सीवेज ट्रीटमेंट
- स्मार्ट पब्लिक व कम्युनिटी टॉयलेट्स
- भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना
अब तक
पॉल्यूशन के चलते बरेली का दम फूल रहा है। हवाओं में घुली धूल ही सांसें बनीं हुई हैं। पॉल्यूशन लेवल चार गुना तक बढ़ चुका है। 24 घंटे बिजली पानी दूर की कौड़ी है। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तो दूर की बात जलभराव से समूचा शहर परेशान है। स्वच्छता, साफ-सफाई, कूड़ा निस्तारण का हाल यह है कि एनजीटी में सुनवाई चल रही है।
-----------
सुरक्षित
- सिटी में आईपी बेस्ड सीसीटीवी कैमरा लगाना
- मुख्यमार्गो पर जेब्रा क्रॉसिंग रूल फॉलो कराना
- वूमेंस सेफ्टी के लिए हर संभव प्रयास
- स्ट्रीट में एलईडी लाइट लगवाना
- ट्रामा और काउंसलिंग सेंटर का निर्माण करना
अब तक
फुल प्रूफ सिक्योरिटी सपना है। टप्पेबाज तक पुलिस को गुमराह कर रहे हैं। वूमेंस क्राइम ग्राफ बरेली में बढ़ता जा रहा है। बच्चों और बुजुर्गो को घरों में अकेले छोड़ना आज भी एक चुनौती है। ट्रैफिक लाइट्स आंखें मूंदे हुए हैं तो जेब्रा क्रॉसिंग की परवाह कौन कर रहा। ऐसी रोटरी जो ट्रैफिक संचालन हेल्पफुल की जगह जाम की वजह बनी हुई है।
--------------
और फिर मिल ही गई सफलता
- 2014 में स्मार्ट सिटी में पहले चरण में फेल
- 2016 में दूसरे राउंड में प्रपोजल हुआ फेल
- 2017 में प्रपोजल सबमिट पर केंद्र ने नकारा
- 2018 में चंद सुधारों के बाद प्रपोजल पास
- 9 शहर चयनित, देश में 5वां प्रदेश में बरेली फर्स्ट
स्मार्ट सिटी प्रपोजल में कहां कितना बजट
प्रोजेक्ट कंवर्जेंस पीपीपी स्मार्ट सिटी कॉस्ट टोटल कॉस्ट
एबीडी प्रपोजल कॉस्ट 99.58 436 814 1350
पैन सिटी प्रपोजल कॉस्ट 387.50 17.50 135.03 540.03
एससीपी कॉस्ट 487.08 453.63 949.72 1890.43
---------------------------------------------------
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट 487.08 453.63 962 1902.77
टोटल कॉस्ट
---------------------------------------------------
टोटल ओएंडएम कॉस्ट - 216.90
लाइफटाइम कॉस्ट - 2107.30
---------------------------------------------------
नोट - प्रपोजल और प्रोजेक्ट में लिखी गई कॉस्ट करोड़ रुपए में
स्मार्ट सिटी में चयन होना शहरवासियों के लिए गौरव की बात है। पहले जो प्रपोजल्स भेजे गए उसमें सोच का अभाव था। जब सोच अच्छी है तो प्रपोजल भी अच्छा ही बनाया गया और जिसे स्टेट लेवल हाई पॉवर कमेटी ने सेलेक्ट भी किया और अब हम स्मार्ट सिटी में सेलेक्ट भी हुए हैं। अब तय समय में प्रपोजल के तहत बताई गई अपनी योजनाओं को पूरा किया ही एक चुनौती है, जिसके लिए हम और हमारी नगर निगम की टीम ने कमर कस ली है। योजनाओं के इम्प्लीमेंटेशन में कोई कसर बाकी नहीं रखी जाएगी।
डॉ। उमेश गौतम, मेयर
जब मैंने बरेली ज्वॉइन किया तो देखा की बरेली सुयोग्य शहर है, जिसे स्मार्ट सिटी का तमगा मिलना ही चाहिए। इस संबंध में नगर निगम और प्रशासन के साथ कई मीटिंग्स की। हमने दो इंडस्ट्री पर फोकस किया। पहला जरी जरदोजी और दूसरा फर्नीचर। क्योंकि अब तक के प्रपोजल हर तरह से शहर को सुंदर बनाते हैं, लेकिन आर्थिक रूप से बरेली कमजोर ही रहता। ऐसे में इन प्वॉंइंट्स को शामिल किया गया। हमारी मेहनत और ईश्वर का आशीर्वाद है कि बरेली को स्मार्ट सिटी में शामिल कर लिया गया है। जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, शहरवासियों को बधाई।
डॉ। पीवी जगनमोहन, कमिश्नर
शहर को स्वच्छ, स्वस्थ और सुंदर बनाना ही मेरा लक्ष्य है। पिछले 3 बार फेल होने की वजहों को गौर से परखा गया,जिससे नए प्रपोजल्स में कुछ सुधार किए गए। प्रशासन, नगर निगम और शहरवासियों ने सभी ने सहयोग किया, जिसकी वजह से बरेली को स्मार्ट सिटी में सेलेक्ट किया गया है। पहले से सफल हुए शहरों में पहुंचकर वहां के प्रपोजल्स देखे गए। वहां की कार्यशैली और शहर को स्मार्ट बनाने के तरीकों पर गौर किया गया। जिसके आधार पर नए बने प्रपोजल में बदलाव किया गया और नतीजा सबके सामने है।
राजेश कुमार श्रीवास्तव, नगर आयुक्त
नगर निगम में बांटी मिठाई
स्मार्ट सिटी का तमगा हासिल करने की जानकारी मिलने के बाद नगर निगम में मिठाई बांटने का सिलसिला शुरू हो गया। मेयर और नगर आयुक्त ने सभी नगर निगम के स्टाफ को मिठाई बांटी। इस दौरान नगर निगम पहुंचने वालों का मुंह भी मीठा कराया गया। उत्तरायणी जनकल्याण समिति के पदाधिकारियों ने नगर आयुक्त इस खास मौके पर सम्मान से नवाजा। उत्तरायणी मेले में नगर निगम का बढ़चढ़कर सहयोग देने के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया। नगर निगम पहुंचने वालों ने मेयर और नगर आयुक्त के प्रयासों को सराहा और उनके इस सराहनीय प्रयास के लिए प्रशंसा की। मेयर ने सभी से साल भर में शहर में परिवर्तन की बयार लाने का वादा किया।