बीसीबी में दबंगई दिखाने वाले स्टूडेंट्स और छात्र नेताओं में हड़कंप

डकैत को पकड़ने पर दो साल पहले हो चुका है सम्मानित

<बीसीबी में दबंगई दिखाने वाले स्टूडेंट्स और छात्र नेताओं में हड़कंप

डकैत को पकड़ने पर दो साल पहले हो चुका है सम्मानित

BAREILLY BAREILLY

तीस वर्षो तक केरला, तमिलनाडु और कर्नाटक के जंगलों में आतंक का पर्याय बने कुख्यात वीरप्पन एक बार फिस से सामने आया है। घबराइये नहीं ये वीरप्पन चंदन और हाथी के दांत की तस्करी नहीं करता बल्कि बरेली कॉलेज की सुरक्षा कर रहा है। बरेली कॉलेज में आए दिन स्टूडेंट्स और छात्र नेताओं की दबंगई बढ़ती ही जा रही थी। ऐसे में कॉलेज प्रशासन ने कॉलेज सुरक्षा के लिए स्पेशल गार्ड की नियुक्ति की है।

दो वर्ष पूर्व ज्वाइन की सिक्योिरटी एजेंसी

बरेली के चाहनगला गांव में रहने वाले राकेश पाल उर्फ वीरप्पन को शुरूआत से ही बड़ी और घनी मूंछें रखने का शौक था। युवावस्था में कदम रखते ही वीरप्पन लूक मूंछें रखना शुरू कर दीं। जिसके बाद उनकों लोगों ने वीरप्पन बुलाना शुरू कर दिया। अपनी पर्सनाल्टी के दम पर उन्होंने दो वर्ष पूर्व सिक्योरिटी एजेंसी को ज्वाइन कर जल्द ही अपनी अलग पहचान बना ली।

डकैत को पकड़ने के बाद अाए चर्चा में

राकेश पाल उर्फ वीरप्पन अपने गांव में चाहनगला में दो डकैत से अकेले भिड़ गए। डकैतों से भिड़ने के दौरान उनको कारतूस के छर्रे भी लगे, घायल होने के बावजूद उन्होंने डकैत को नहीं भागने दिया। जिसके लिए तत्कालीन एसपी सिटी राजीव मेहरोत्रा के द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया गया था।

बैरियर पर है तैनाती

कॉलेज में बाहरी लोगों की एंट्री रोकने के लिए कॉलेज प्रशासन ने कॉलेज की सिक्योरिटी में लगी एजेंसी शिव शक्ति एजेंसी से ऐसे लोगों को शामिल करने को कहा था। जिसकी पर्सनाल्टी को देखकर ही स्टूडेंट्स सहम जाएं। इसी को ध्यान में रखते हुए एजेंसी ने वीरप्पन को दूसरी जगह से बरेली कॉलेज में नियुक्त कर दिया है। अब वीरप्पन बरेली कॉलेज के बैरियर पर ड्यूटी कर रहा है। ताकि कोई भी बाहरी व्यक्ति या छात्र नेता कॉलेज में एंट्री न कर सके।

दो नाली बंदूक बड़ी मूंछ है पहचान

बरेली कॉलेज में सिक्योरिटी में तैनात गार्ड राकेश पाल उर्फ वीरप्पन किसी पहचान का मोहताज नहीं है। उसकी दो नाली बंदूक, चेहरे पर बड़ी और घनी मूंछ उसकी पहचान बन चुके हैं। गांव से लेकर कॉलेज तक सब उसे अब उसके असली नाम से न जानकर वीरप्पन के नाम से जानते हैं। वीरप्पन बुलाए जाने पर राकेश पाल बुरा नहीं मानता। बल्कि खुद में गर्व महसूस करता है।

बाहरी तत्वों के कॉलेज में एंट्री रोकने के लिए सिक्योरिटी और ज्यादा टाइट कर दी गई है। वीरप्पन के बारे में सुना है। उसका प्रभाव भी दिख रहा है। डॉ। वंदना शर्मा,

चीफ प्राक्टर, बरेली कॉलेज