अगर इरादे मजबूत हों और परेशानियों से पार पाने का जज्बा हो, तो आसमां छूना मुश्िकल न होगा। यह साबित कर दिखाया है बरेली की लाडली बेटी निशिता ने। जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपनों से हजारों किलोमीटर दूर सात समंदर पार भी अपना लोहा मनवाया है। महज कुछ ही सालों में निशिता बरेली की ही नहीं बल्कि इंडिया की भी पहचान बन चुकी हैं। फेसबुक में कदम रखने के महज चंद सालों में वह फेसबुक की लैंडिंग स्टाफ कमेटी की मेंबर बन चुकी हैं। आइए मिलिए बरेली की 'आइकॉन' निशिता से।

बरेली की फेसबुक वाली लड़की ने लंदन में किया कमाल!

कुछ यूं रहा सफर
रामपुर गार्डेन निवासी पिता राकेश बूबना और मां नीता अग्रवाल की बेटी निशिता बरेली के सेंट मारिया स्कूल से इंटर एग्जाम में मंडल टॉपर बनीं। इसके बाद फ‌र्स्ट अटेम्पट में आईआईटी भी क्वॉलीफाई कर लिया। रूहेलखंड के हजारों स्टूडेंट्स को पछाड़ते हुए निशिता ने सबसे अधिक मा‌र्क्स गेन कर टॉप रैंक हासिल की। जिसकी बराबरी आज भी कोई नहीं कर सका है। निशिता का करियर एचीवमेंट से भरा हुआ है। हैदराबाद में गूगल का रोबोट डेवलमेंट प्रोजेक्ट हो या फिर ग्रेस हूपर कांफ्रेंस फॉर वूमेन इन कम्प्यूटिंग सभी जगह निशिता ने अपने टैलेंट का लोहा मनवाया।

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ऐसे रखा फेसबुक में कदम
साल 2009 में फेसबुक में इंटर्न बनने के ऑफर को निशिता ने ठुकरा दिया था। इसके बाद जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी में रिसर्च करने के बाद निशिता ने इंग्लैंड में शेक्सपीयर पर रिसर्च की। अक्टूबर 2012 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर पोस्ट के लिए दुनिया में से सौ और इंडिया से महज 5 कंडिडेट्स को सलेक्शन हुआ। जिसमें निशिता का नाम सबसे ऊपर था। जून 2013 में निशिता की काबिलियत को देखते हुए उन्हें फेसबुक में प्लेटिनम स्पांसर एक्जीविटर का पद संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद अभी दो वर्ष भी नहीं गुजरे हैं कि निशिता को लंदन में फेसबुक ब्रांच ओपन करने वाली लैंडिंग कमेटी में मेंबर और सीनियर इंजीनियर के पोस्ट पर प्रमोशन मिला है। फेसबुक लंदन में निशिता के काम से हर कोई प्रभावित है। बरेली जैसे छोटे शहर से निकलकर निशिता ने लंदन में फेसबुक के लिए इतिहास रचने वाला काम किया है।

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