-आईवीआरआई में तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस स्टार्ट

-कॉन्फ्रेंस में करीब 100 अर्थशास्त्रियों ने लिया भाग

>BAREILLY: आईवीआरआई में 'पोषण सुरक्षा के लिए कृषि' विषय पर तीन दिवसीय कांफ्रेंस थर्सर्ड से स्टार्ट हो गई। कृषि अर्थशास्त्र शोध संध (ऐरा) द्वारा आयोजित इस कांफ्रेंस में देश के सभी राज्यों में स्थित कृषि यूनिवर्सिटीज एवं संस्थानों से लगभग सौ कृषि अर्थशास्त्री शामिल हुए हैं। जिन्होंने कृषि के विभिन्न क्षेत्रों उद्यान, पशुपालन आदि द्वारा भूख, पोषण और खाद्य सुरक्षा पर विचार मंथन किया।

रेनबो क्रांति जरूरी

कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए चीफ गेस्ट एवं केन्द्रीय कृषि यूनिवर्सिटी इम्फ ाल के चांसलर पद्मभूषण से सम्मानित डॉ। आरबी सिंह ने कहा कि कृषि द्वारा पोषण सुरक्षा सम्पूर्ण विश्व के लिए सामयिक है। उन्होंने कहा 2020 तक किसानों की आमदनी दोगुनी इसी से होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ में एफएओ पद पर कार्य कर चुके डॉ। सिंह ने कहा कि 1951 से 2015 भारत में खेती में हरित क्रांति, दूध उत्पादन में श्वेत क्रांति, मत्स्य उत्पादन में नीली क्रांति आदि से देश में कृषि उत्पादन में काफ वृद्धि हुई है। जबकि रेनबो क्रांति में मानव जरूरतों के सभी वस्तुओं की वृद्धि का समावेश है।

पशु रोगों पर नियंत्रण करें

राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष रह चुके डॉ। सिंह ने कहा कि दुनिया के 40 प्रतिशत बच्चे भूख और कुपोषण से ग्रस्त हैं। सभी राज्य कृषि यूनिवर्सिटीज एवं संस्थानों में कार्य कर रहे कृषि अर्थशास्त्रियों को इस पर विचार करना चाहिए कि 10 वषरें में ब्राजील भूख से कैसे मुक्त हो गया। ब्राजील की गाय होलस्टीन फ्रिस्टियन से ज्यादा दूध दे रही है, जबकि भारत की साहीवाल और कंकरेज गायें कम दूध दे रही है। आज खेती को विकसित करने के लिए उसमें अर्थशास्त्र और तकनीकी की आवश्यकता ज्यादा है। कृषि अर्थशास्त्र शोध संघ के आयोजन अध्यक्ष डॉ। प्रद्युमन कुमार ने कहा कि 2005 में भारत में 36 प्रतिशत वयस्क महिला तथा 34 प्रतिशत वयस्क पुरुष कुपोषण से ग्रस्त हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह प्रतिशत ज्यादा है। ऐरा के अध्यक्ष डॉ। पीजी चेंगप्पा ने बताया कि 2020 में विश्व पोषण कांफ्रेंस भारत में आयोजित किया जाएंगा। इस मौके पर डॉ। संजय कुमार, डॉ। एसवीएस मलिक, डॉ। डी वर्धन, कुन्दन सिंह आदि मौजूद रहे।