-आईवीआरआई में चली रही दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का हुआ समापन

>BAREILLY: आईवीआरआई में आयोजित इंडियन सोसाइटी ऑफ एनीमल जेनेटिक्स एंड ब्रीडिंग की दो दिवसीय तेरहवीं नेशनल कंाफ्रेंस फ्राइडे को संपन्न हो गई। कांफ्रेंस के दूसरे दिन सबसे महत्वपूर्ण सेशन ब्रेन स्टोर्मिंग का रहा, जिसमें वैज्ञानिकों ने 'पशु प्रजनन शिक्षा' की दिशा और दशा पर लेक्चर दिए। वहीं, देश के कोने-कोने से आए पशु अनुवांशिकीविदों ने टॉपिक विचार रखे।

घट रही है स्टूडेंट्स की संख्या

आईवीआरआई के निदेशक (शोध) ने 'पशु प्रजनन शिक्षा' की चुनौतियां-वैश्रि्वक परिदृश्य पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मात्रात्मक अनुवांशिकी शिक्षा का प्रारम्भ यूएसए की आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में हुई। 1990 तक आईवीआरआई में भी पशु प्रजनन पर सार्थक अनुसंधान हुआ, लेकिन आज इस सब्जेक्ट के स्टूडेंट्स की संख्या न के बराबर है। स्टूडेंट आज मॉलिक्यूलर अनुवांशिकी और रोग प्रतिरोधन पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। जबकि पशु प्रजनन अनुसंधान पर भी बराबर अनुसंधान आवश्यक है। वहीं, राष्ट्रीय पशु अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो हिसार के निदेशक डॉ। आर्जव शर्मा ने कहा कि पशु अनुवांशिकी के विकास में मात्रात्मक अनुवांशिकी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विभिन्न पशुचिकित्सा विज्ञान यूनिवर्सिटीज को ऐसा सिलेबस तैयार करना चाहिए, ताकि इस विषय को बढ़ावा मिले। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मखदूम के निदेशक डॉ। एमएस चौहान ने मात्रात्मक अनुवांशिकी में कृषि अनुसंधान सेवा में पदों को भरने की पैरवी की। गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी पन्तनगर के पशु प्रबन्ध अनुभाग के एचओडी डॉ। डीवी सिंह ने कहा कि देश में पशु फ ार्म बन्द हो रहे हैं, जिससे स्टूडेंट्स को डाटा नहीं मिल पा रहा है।

स्टूडेंट्स ने दिखाया टैलेंट

डॉ। बीपी मिश्रा ने इस विषय के विकास पर कहा कि सेवानिवृत्त पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान के वैज्ञानिकों एवं शिक्षकाें को यूनिवर्सिटीज में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए, ताकि स्टूडेंट्स और टीचर्स को इस विषय का महत्व और भविष्य समझा सकें। कार्यक्रम के अन्त में संस्थान के डायरेक्टर डॉ। राजकुमार सिंह ने घोषणा की कि मात्रात्मक प्रजनन पर शॉर्ट टर्म और लांग टर्म के पाठ्यक्रम की शुरूआत की जाएगी। जिसमें इस विषय के विशेषज्ञों को देश के कोने-कोने से बुलाया जायेगा। इस मौके पर डॉ। त्रिवेणी दत्त, डॉ। वीके गुप्ता, डॉ। अनिल गर्ग, डॉ। एसबी गोखले, डॉ। कमलेश त्रिवेदी, डॉ। ज्ञानेन्द्र कुमार गौड़ मौजूद रहे। कांफ्रेंस के तीसरे सेशन में पोस्टर प्रस्तुति हुई। इसके अलावा कत्थक नृत्यांगना नलिनी-कमलिनी का भावपूर्ण डांस भी पेश किया गया। जिसमें स्टूडेंट्स ने प्रतिभा का प्रदर्शन किया।