मेयर-केन्द्रीय मंत्री के बीच अनबन, जनता ने फिर नहीं निभाई जिम्मेदारी

विकास व फाइनेंसिंग में पिछड़े, एजेंसी से प्रोजेक्ट मेकिंग में हुई चूक

BAREILLY:

स्मार्ट सिटी की दौड़ से बरेली फिर बाहर। तमाम अभियान, बैठकों, अवेयरनेस प्रोग्राम और एक्सप‌र्ट्स की हर बारीक कवायदों के बाद भी हाथ में नाकामी आई। सही वजह क्या रही नहीं मालूम। लेकिन कमी इस बार भी थी। नगर निगम में स्मार्ट सिटी के लिए क्वालिफाई न होना ही वेडनसडे को चर्चाओं की बड़ी वजह बना। कुछ ने अफसोस जताया। कईयों ने इसके लिए नेताओं से लेकर जनता तक पर ही ठीकरा फोड़ा। वहीं कुछ ऐसे भी रहे जिन्होंने स्मार्ट सिटी को महज सरकार का शिगूफा मान पूरे मामले को ही फिजूल मानने में भी देर न की। लेकिन सवाल ज्यादातर के मन में था। कि स्मार्ट सिटी में बार बार मिली रही नाकामी के जिम्मेदार कौन है।

ऐसे लड़ेंगे, तो कैसे बढ़ेंगे

बरेली के सांसद व केन्द्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार और शहर के मेयर डॉ। आईएस तोमर के बीच अनबन ने स्मार्ट सिटी के सपने को साकार होने में अड़ंगा लगाया। हालात यह रहे कि जहां मेयर ने स्मार्ट सिटी के लिए केन्द्रीय मंत्री की ओर से ही लेटर ऑफ सपोर्ट न दिए जाने पर सवाल खड़े किए। वहंीं केन्द्रीय मंत्री ने भी साफ कहा कि मेयर की ओर से स्मार्ट सिटी मिशन में उनका सहयोग और सुझाव न लिया गया। दोनों के मतभेद ऐसे रहे कि स्मार्ट सिटी के लिए आयोजित बैठकों में भी साथ साथ न शामिल हुए।

जनता भी बड़ी जिम्मेदार

स्मार्ट सिटी में नाकामी के लिए बरेली की जनता भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं। अव्वल तो यह कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए जनता की भागीदारी बेहद ठंडी रही। निगम की ओर से कई अवेयरनेस प्रोग्राम चलाने के बावजूद जनता का रिस्पांस फीका ही रहा। वहीं प्रोजेक्ट की कामयाबी के लिए रेवेन्यू जैसे अहम मुद्दे पर भी जनता की बेरुखी से बुरा असर पड़ा। करीब 1.52 लाख रजिस्टर्ड करदाताओं में से 25 हजार का भी टैक्स न देना स्मार्ट सिटी के लिए जरूरी स्मार्ट सिटीजन के नजरिए से गैर जिम्मेदाराना है।

फाइनेंसिंग के नहीं सोर्सेज

फाइनेंसिंग के सोर्सेज बढ़ाना, यह स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के पास होने के लिए बड़ी जरूरत में से एक है। लेकिन स्मार्ट सिटी के जानकार और खुद निगम के मुखिया इस कमी को प्रोजेक्ट तैयार करने में बड़ी कमी मान रहे। शहर में उद्योगों और परंपरागत बाजार होने के बावजूद फाइनेंस जुटाने के पर्याप्त सोर्स नहीं है। जिससे स्मार्ट सिटी के तहत लागू योजनाओं को जारी रखा जा सके। फाइनेंसिंग सस्टेनेबिलिटी न होने से प्रोजेक्ट में मा‌र्क्स कम होने की आशंका जताई जा रही।

4 जगह पास, बरेली में फेल

स्मार्ट सिटी में शामिल न हो पाने की एक वजह प्रोजेक्ट तैयार कर रही एजेंसी की नाकामी भी रही। पहली बार गुजरात की एजेंसी की ओर से तैयार प्रोजेक्ट नकार दिए जाने के बाद निगम ने सबक सीखा। निगम ने मुंबई की दाराशा एजेंसी को प्रोजेक्ट तैयार करने का जिम्मा दिया। इस एजेंसी के बनाए गए प्रोजेक्ट से सूरत और बेलगावी शहर स्मार्ट सिटी की पहली ही लिस्ट में शुमार हो गए थे। वहीं ट्यूजडे को जारी 27 शहरों की लिस्ट में शामिल यूपी के कानपुर और कर्नाटक के हुबली शहर का प्रोजेक्ट इसी एजेंसी ने बनाया। लेकिन 4 शहरों को स्मार्ट सिटी टेस्ट में पास कराने वाली एजेंसी बरेली को फिर फेल होने से न बचा सकी। जबकि सिर्फ प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए एजेंसी को 39 लाख का भुगतान किया गया।

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फाइनेंसिंग सस्टेनेबिलिटी न होने को ही प्रोजेक्ट पास न होने की बड़ी वजह मानी जा रही। एजेंसी ने भी इसी की आशंका जताई है। रिपोर्ट मिलने पर ही मालूम हो सकेगा कि कहां कमी रह गई। अगली बार वहां सुधार करेंगे।

- शीलधर सिंह यादव, नगर आयुक्त