भविष्य के कालाकार परेशान

राजस्थान का बाड़मेर जिला किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यहां से उपजे कालकारों ने देश-विदेश में अपनी जादुई आवाज और वाद्य यंत्रों की खनखनाहट से लोगों को मंत्रमुग्ध किया है। करीब 500 से अधिक की आबादी वाले वाले इस बाड़मेर में ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने देश का नाम विश्वस्तर पर रोशन किया। यहां पर कई कलाकार तो ऐसे हैं जो करीब 80 से अधिक बार विदेशी सरजमी पर प्रदर्शन कर चुके हैं। जिनमें संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के व्हाइट हाउस, ब्रिटेन राजपरिवार के रॉयल कार्यक्रम सहित आस्ट्रेलिया,यूएई, मलेशिया, चीन, थाईलैण्ड, फ्रांस, जर्मनी सहित कई देश शामिल है। आज यहां के कालाकर अपने जिलों के हालातों से दुखी हैं। यहां पर मूलभूत सुविधाओं का कमी भविष्य के कालाकार भी परेशान है। उन्हें जमाने के हिसाब से संसाधन नहीं मिले रहे हैं।

पेयजल आपूर्ति तक नहीं

सबसे खास बात तो यह है कि इस जिले के कई गांवो में अनेक लोक कलाकारों की बस्ती में पेयजल आपूर्ति तक की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग पानी के टैंकर आपस में चंदा मिलाकर खरीदते हैं। इतना ही नहीं इनके घर बिजली तक नहीं है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीते इन लोक कलाकारों ने कई बार राज्य सरकार से मांग की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। कलाकारों के लिए बना सभा भवन जर्जर होने से अब इनके सामने गायन और वादन का अभ्यास करने की जगह नहीं है। इतना ही नहीं नए कलाकार भी संसाधनों के अभाव में काफी परेशानी उठा रहे हैं। यहां के कलाकारों का कहना है कि लाख प्रतिभा होने के बाद जब वे विश्वस्तर वाली प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं तो उन्हें काफी कठिनाई होती है।

जीने का तरीका बदला

वहीं इस सबंध में अन्तरराष्ट्रीय लोक कलाकार असकर खां लंगा कहते हैं कि यहां के कलाकारों की कोशिश रहती है कि विदेशों में बाड़मेर और राजस्थान की संस्कृति के प्रचार में कमी न हो। ऐसे में राज्य सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। वहीं अन्तरराष्ट्रीय लोक कलाकार बन्दु खां लंगा का कहना है कि विदेश जाने वाले कुछ कलाकारों के जीवन जीने का तरीका बदल गया है, लेकिन अभी भी एक बड़ी संख्या में कलाकारो को सुविधाओं की जरूरत है। अगर इस ओर थोड़ा सा ध्यान दे दिया जाए तो राज्य और देश दोनों का नाम और ज्यादा रोशन होगा।

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