छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: साकची स्थित रवींद्र भवन में शनिवार को बसंत उत्सव मनाया गया, जिसमें टैगोर स्कूल ऑफ आ‌र्ट्स की साकची व सोनारी शाखा की छात्राओं ने कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की कृतियों को जीवंत कर दिया। टैगोर सोसाइटी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में करीब 250 छात्र-छात्राओं व शिक्षक-शिक्षिकाओं ने हिस्सा लिया।

संगीत व नृत्य का मंचन

कार्यक्रम के दौरान टैगोर की ऋतुराज बसंत पर आधारित रचनाओं पर संगीत व नृत्य का मंचन हुआ, जिसमें 'आईलो आजी बसंतो मोरी-मोरी, 'एकी आकुलता भुवने', 'बासंती हे भुवनो मोहिनी', 'आजि मोने-मोने लागे होरी', 'ओरा ओकारणे चंचल', 'चैत्रो पवने', 'आजि एई गंधो विधुरो' आदि गीतों पर संगीत व नृत्य का अनूठा संगम छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षक-शिक्षिकाओं ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के बाद टैगोर सोसाइटी के महासचिव आशीष चौधरी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष यह आयोजन महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर की प्रकृति प्रेम से भरी रचनाओं के माध्यम से बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बसंत के आगमन से प्रकृति का कण-कण नृत्य करता हुआ प्रतीत होता है, वैसे ही कविवर की रचना मनुष्य और प्रकृति का सामंजस्य रचती है। जब जीवन में बसंत आता है तो प्रकृति के समान ही रोम-रोम नृत्य करता है। उन्होंने कहा कि यह महान कवि को उनकी रचनाओं के माध्यम से श्रद्धांजलि भी है और नई पीढ़ी को प्रकृति के साथ कदमताल मिलाकर रचने को प्रेरित करने का कार्यक्रम भी। उद्देश्य है कि नई पीढ़ी कविगुरु को नजदीक से जाने-समझे।