सुनकर भारतीय सैनिकों के युद्धघोष,उड़ जाते हैं दुश्‍मनों के होश

असम रेजीमेंट : 1941 में इस रेजीमेंट को खड़ा किया गया था। इस साल इस रेजीमेंट में 127 महिला सैनिकों का पहला बैच भी शामिल हो चुका है।

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बिहार रेजीमेंट : इस रेजीमेंट की स्थापना 1941 में हुई थी। इस रेजीमेंट की कुछ बटालियनों का युद्धघोष 'जय बजरंग बली' भी है।

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डोगरा रेजीमेंट : यह रेजीमेंट 1877 में खड़ी की गई थी। इस रेजीमेंट का वीरता से भरा गौरवशाली इतिहास रहा है।

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द गढ़वाल राइफल्स : पैदल सेना की इस रेजीमेंट का गठन 1887 में की गई थी। इस रेजीमेंट के सैनिक दोनों विश्व युद्ध में हिस्सा ले चुके हैं।

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गोरखा राइफल्स : 1 गोरखा राइफल्स की स्थापना 1815 में हुई थी। अंग्रेज इनकी बहादुरी से इतने प्रभावित थे कि देश की आजादी के बाद वे अपने साथ 2, 6, 7 और 10 गोरखा राइफल्स की रेजीमेंट अपने साथ ब्रिटेन ले गए और ब्रिटिश सेना में ब्रिगेड ऑफ गोरखा की स्थापना की। 1948 में भारतीय सेना ने 11 गोरखा राइफल्स को फिर से शुरू किया। इसे 1922 में भंग कर दिया गया था।

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जम्मू एंड कशमीर लाइट इंफेंट्री : इस रेजीमेंट को 1947 में शुरू किया गया था। इसकी दो बटालियनें लद्दाख स्काउट के नाम से जानी जाती हैं।

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जाट रेजीमेंट : इस रेजीमेंट को 1795 में खड़ा किया गया था। यह देश की सबसे पुरानी रेजीमेंट में से एक है।

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कुमाऊं रेजीमेंट : यह रेजीमेंट 1813 में ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार में गठित हुई थी जो 1857 के बाद में ब्रिटिश सेना और 1947 के बाद भारतीय सेना का अंक बन गई।

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मराठा लाइट इंफेंट्री : 1768 में इस रेजीमेंट की स्थापना हुई थी। ईस्ट इंडिया कंपनी ने बांबे की रक्षा के लिए इस रेजीमेंट का गठन किया था।

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नगा रेजीमेंट : यह रेजीमेंट भारतीय सेना के तहत 1970 में खड़ी की गई थी।

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पैराशूट रेजीमेंट : छाताधारी सैनिकों की इस रेजीमेंट को 1945 में बनाया गया था।

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पंजाब रेजीमेंट : यह रेजीमेंट 1761 में ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत गठित हुई थी। भारतीय सेना में इस रेजीमेंट का बहुत पुराना इतिहास रहा है।

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राजपुताना राइफल्स : 1775 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस रेजीमेंट का गठन किया था। इसमें लड़ाकू जाति माने जाने वाले राजपूत और जाट युवाओं की भर्ती की जाती है।

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राजपूत रेजीमेंट : इस रेजीमेंट का गठन भी ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1778 में किया था। इसमें सिर्फ राजपूत युवाओं की भर्ती होती है।

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सिख लाइट इंफेंट्री : 1944 में ब्रिटिश इंडिया में इसकी स्थापना की गई थी।

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