उन्होंने कहा कि आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने वालों को सज़ा दिलाना अमरीकी नीति का हिस्सा है और पाकिस्तान को ये बात स्पष्ट तौर पर समझा दिया गया है। क्लिंटन ने कहा, "इस मामले में अमरीका और भारत एक सीमा तक ही कुछ कर सकते हैं लेकिन जहाँ तक संभव होगा हम दबाव बनाए रहेंगे." उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हो रही बातचीत से अमरीका बहुत उत्साहित है।

भारत-अमरीका रणनीतिक बातचीत के सिलसिले में दिल्ली आई अमरीकी विदेश मंत्री ने भारत के विदेशमंत्री एस एम कृष्णा से ढाई घंटे तक द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। उसके बाद एक प्रेस कॉनफ़्रेंस में दोनों नेताओं ने भारत और अमरीका के संबंधों के बारे में चर्चा की।

हिलरी क्लिंटन ने कहा कि अतिवाद और आतंकवाद से टक्कर लेना पाकिस्तान के अपने फ़ायदे में होगा क्योंकि वहाँ के ज़्यादा लोग आतंकवाद के शिकार हुए हैं। क्लिंटन ने असैन्य परमाणु समझौते के संदर्भ में कहा कि अमरीका चाहता है कि भारत इस साल के अंत से पहले परमाणु दुर्घटना मुआवज़े संबंधी अंतरराष्ट्रीय समझदारी पर संस्तुति दे दे। उन्होंने कहा कि हम चाहेंगे कि परमाणु दुर्घटना की स्थिति में पीड़ितों को मिलने वाले मुआवज़े का भारतीय क़ानून अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप हो।

जापान में आई सुनामी के कारण फुकुशीमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हुए नुक़सान को देखते हुए भारत में नाभिकीय सुरक्षा को लेकर बहस तीखी हो गई है। परमाणु ईंधन और तकऩॉलॉजी देने वाली कंपनियाँ चाहती हैं कि नाभिकीय दुर्घटना की स्थिति में उनकी जवाबदेही एक हद तक ही रहे। लेकिन भारी जन दबाव के बाद भारत सरकार ने इस सिलसिले में कोई स्पष्ट लाइन नहीं ली है।

इसी पृष्ठभूमि में हिलरी क्लिंटन ने इच्छा जताई कि अमरीका चाहता है कि भारत नाभिकीय दुर्घटना पर अंतरराष्ट्रीय समझौते को स्वीकार कर ले। भारतीय विदेशमंत्री कृष्णा ने पत्रकारों से कहा कि अन्य बातों के अलावा भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुनर्गठन और इसमें भारत की स्थायी सदस्यता के बारे में भी अमरीकी विदेशमंत्री क्लिंटन से चर्चा की लेकिन हिलरी क्लिंटन ने इस मुद्दे की कोई चर्चा पत्रकार वार्ता में नहीं की।

उन्होंने ये ज़रूर कहा है कि अमरीका परमाणु ईंधन सप्लाई करने वाले देशों के समूह या न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की सदस्यता का अमरीका समर्थन करता है। हिलरी क्लिंटन ने कहा कि दोनों देश व्यापार और निवेश के क्षेत्र में परस्पर सहयोग बढ़ाएँगे। उन्होंने कहा कि सुरक्षा और सैन्य सहयोग के क्षेत्र में भारत और अमरीका के बीच सहयोग बढ़ेगा।

साथ ही भारत को फ़ौजी साज़ो-सामान और तकनीक बेचने के बारे में भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई। क्लिंटन बुधवार को दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई जाएंगी।

हिलेरी क्लिंटन के साथ अमरीका के विभिन्न विभागों से संबंधित एक 25-सदस्यीय दल भी भारत की यात्रा पर है। इसमें अमरीकी गुप्तचर विभाग के प्रमुख जेम्स क्लैपर, राष्ट्रपति के विज्ञान और तकनीक सहायक और आंतरिक सुरक्षा की अधिकारी भी शामिल हैं। हिलेरी क्लिंटन की यात्रा मुंबई में हुए धमाकों के ठीक दूसरे हफ्ते हो रही है।

हालांकि भारत ने मुंबई हमलों के संबंध में अब तक पाकिस्तान का नाम नहीं लिया है, लेकिन भारत कहता रहा है कि पाकिस्तान में भारत विरोधी आतंकवादी समूहों का अड्डा है और समझा जाता है कि ये मामला बातचीत के दौरान ज़रूर उठेगा।

अमरीकी विदेश मंत्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी और कुछ अन्य नेताओं से भी मिलेंगी। हिलेरी क्लिंटन चेन्नई में अमरीकी कंपनियों के प्रतिनिधियों से मिल सकती हैं।

भारत-अमरीका रणनीतिक वार्ता की शुरुआत 2009 में हिलेरी क्लिंटन और एसएम कृष्णा ने की थी ताकि दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर सहयोग के लिए ढाँचा तैयार हो सके और इसे दिशा मिल सके। इस वार्ता की पहली बैठक पिछले साल वाशिंगटन में हुई थी।

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