सावधानी अपना कर मनाएं रोशनी का पर्व, खुशियों के साथ रखें सुरक्षा का भी ख्याल

VARANASI :

केस : 1

लंका के प्रदीप मोहन को पिछली दिवाली कभी नहीं भूलेगी। पटाखा जलाते समय उनकी छोटी सी चूक ने उनका पूरा हाथ ही जल गया। ठीक होने में छह महीने से अधिक का समय लग गया। प्रदीप ने दर्द झेला और पैसा भी पानी की तरह बहाया।

केस : 2

पिछली दिवाली को पाण्डेयपुर की जयंती अपने दस साल के बेटे को उन्होंने अकेले पटाखा जलाने के भेज दिया। फुलझड़ी जलाते हुए बच्चा भी आग के चपेट में आ गया। वो तो गनीमत थी कि बच्चे को समय पर मेडिकल फैसिलिटी मिली वरना बात बिगड़ सकती थी।

दिवाली के दिन हुई ये घटनाएं किसी एक या दो के साथ हो ऐसा नहीं है। ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। फायर एक्सपर्ट एसके मिश्रा बताते हैं कि जरा सी असावधानी दिवाली की खुशियों को ग्रहण लगा सकती है। अक्सर लोग पटाखों को लेकर बहुत लापरवाह हो जाते हैं। बच्चों को अकेले पटाखे जलाने के लिए छोड़ देते हैं। जो गलत है। इसके अलावा लेाग घर के बरामदे में ही पटाखे जलाने लगते हैं यह भी गलत है। पटाखे जलाएं लेकिन खुली जगह पर और बच्चों को पूरी तरह अपनी निगहबानी में रखें। वरना दिवाली की खुशियां खराब हो सकती है।

ताकि दिवाली रहे खुशियों से भरपूर

- पटाखे हमेशा खुली जगह में जलाएं।

-पटाखे हमेशा अच्छी ब्रांड के ही खरीदें।

- एक समय में एक ही व्यक्ति पटाखे जलाये, बाकी के लोग उसका आनंद लें।

-बेहतर हो अलग अलग पटाखा छोड़ने की बजाय समूह में पटाखे जलाएं।

-हमेशा लांग हैंडिल वाली फुलझड़ी जलाएं।

-ढीले ढाले कपड़ों की जगह टाइट कपड़े पहन कर पटाखे जलाएं।

-पटाखे जलाते समय दो बाल्टी पानी अपने साथ रखें।

-अगर जल जायें तो जले हुए भाग पर तुरंत साफ और ठंडा पानी डालें।

- यदि घटना बड़ी हो तो तुरंत पीडि़त के कपड़े ढीले कर दें और उसे साफ चादर से ढक दें।

-पीडि़त को तुरंत हॉस्पिटल ले जायें।

-पटाखे रखने की जगह पर कभी भी मोमबत्ती या दीया लेकर न जायें।

जले हुए स्थान पर किसी भी तरह का क्रीम या तेल न लगायें.

बॉक्स

पालतू जानवर हो जाते हैं परेशान

डॉग ट्रेनर आरके सिंह बताते हैं कि तेज आवाज से पालतू जानवरों को बहुत परेशानी होती है। बेहतर होगा कि आप पटाखे जलाते समय उन्हें बांध कर रखें। आप उन्हें ऐसी जगह भी रख सकते हैं जहां पटाखों का शोर व धुंआ कम पहुंचे। वरना परेशान होकर वे किसी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

हेडिंग

कहीं बम न दे सांसो का गम

पटाखों के धुंए में होते हैं हानिकारक केमिकल, जो दे सकते हैं सांसों की दिक्कत

VARANASI :

दिवाली के दिन हर तरफ पटाखों की धूम रहती है। लेकिन पटाखों की रंगीनियों के बीच उनसे निकलने वाले धुंए में शामिल हानिकारक केमिकल हमारे लिए सांसों की दिक्कत पैदा कर सकते हैं। जानकारों का कहना है कि दीपावली के दिन हवा के लगभग ब्0 परसेंट भाग में विषैले केमिकल मौजूद रहते हैं। जिनसे सांस की गंभीर परेशानी पैदा हो सकती है।

दीपावली पर बढ़ जाती है समस्या

इंडियन चेस्ट सोसाइटी के सेक्रेटरी प्रो जेके सांवरिया बताते हैं कि दीपावली के दौरान दमा एवं सांस के रोगियों की संख्या फ्0 से ब्0 परसेंट तक बढ़ जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं प्रेग्नेंट वुमेन एवं गर्भस्थ बच्चों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि पटाखों के धुएं में सल्फर डाई ऑक्साइड, कॉर्बन डाई ऑक्साइड, और नाइट्रस ऑक्साइड तकरीबन क्म् तरह के हानिकारक गैस होती है। जो किसी भी हेल्दी मैन के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। जिनको पहले से सांस की तकलीफ है उनके लिए तो यह उत्प्रेरक का कार्य करता है और उनकी बीमारी को उभार देता है।

सावधानी में है सुरक्षा

पटाखों के धुंए से जहां तक बचा जा सके बचने का प्रयास करना चाहिए। सावधानी अपना कर बहुत हद तक गंभीर बीमारियों के खतरे से बचा जा सकता है। सांस के पेशेंट्स को इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है

-ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थ का इस्तेमाल करें।

- अस्थमा पेशेंट्स बाहर निकलते समय नाक पर रुमाल रखें।

-अपने पास हमेशा जरूरी दवा इन्हेलर रखें।

-प्रारंभिक लक्षण दिखते ही तुरंत मेडिसिन का इस्तेमाल करें।

-अटैक पड़ने पर कपड़ों को ढीला कर दें।

-खुले और हवादार कमरे में रहें।