Student, teachers और workers के एक वर्ग ने खोल रखा है मोर्चा

Allahabad University student union से मिल रहा है बड़ा challenge

Last year भी student union president की अगुवाई में भी पदाधिकारी बने थे चुनौती

vikash gupta

ALLAHABAD: दिसम्बर 2015 में प्रो। रतन लाल हांगलू ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद के वीसी का पदभार संभाला तो कहा था कि वो कल्याणी यूनिवर्सिटी का जादू यहां भी चलाकर दिखाएंगे। उनके इस दावे ने इविवि के छात्रों और शिक्षकों में उम्मीद की नई किरण जगाई। हांगलू कोई जादू तो नहीं चला पाये, अलबत्ता गुजरते वक्त के साथ कैम्पस में वन साइडेड लव का शिकार जरूर हो गये। इसका परिणाम यह रहा कि उन्हें लगातार एक पक्ष को उपकृत करने, संवादहीनता पैदा करने का आरोप झेलना पड़ रहा है। हाल यह है कि कैम्पस में उनके खिलाफ छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों का एक वर्ग खड़ा हो गया है जो लगातार चुनौती बन रहा है।

तब इस्तीफे की कर दी थी पेशकश

वीसी प्रो। आरएल हांगलू लास्ट इयर अपने कार्यकाल की पहली बड़ी परीक्षा में ही बुरी तरह से फ्लाप रहे। इविवि की प्रवेश प्रक्रिया को सकुशल सम्पन्न करवाने में उन्हें नाकामी मिली। वहां से उपजे आक्रोश को वे अभी तक थाम पाने में कामयाब नहीं हैं। लास्ट इयर प्रवेश परीक्षा को लेकर वीसी प्रो। हांगलू और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बीच तल्खी तब शुरू हुई जब पीजी प्रवेश परीक्षा को लेकर छात्र और इविवि प्रशासन आमने-सामने थे। उस समय कथित तौर पर मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद वीसी ने भारी मन से पीजीएटी को ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन कराने की मंजूरी दी थी। इसी दरम्यान वीसी ने परोक्ष तौर पर मंत्रालय और भाजपा के सांसदों पर मनमानी का आरोप लगाया था। यह भी कहा कि अगर दखलंदाजी इसी तरह जारी रही तो वह इस्तीफा दे देंगे।

MHRD पहुंचा शिकायतों का पुलिंदा

इसके बाद विजिटर यानी राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही वीसी के खिलाफ जांच शुरू हुई। सोर्सेस का कहना है कि प्रो। आरएल हांगलू के खिलाफ कई शिकायतें मंत्रालय को रिसीव हुई। इसमें आर्थिक अनियमितताओं से लेकर रिक्रूटमेंट में गड़बड़ी तक के आरोप शामिल हैं। शिकायतों के मोटे पुलिंदे में इविवि में पूर्णकालिक रजिस्ट्रार, एफओ, एग्जामिनेशन कंट्रोलर और लाइब्रेरियन की नियुक्ति का मामला भी शामिल है। इसमें यूजीएटी व पीजीएटी से जुड़े प्रकरण का भी उल्लेख है। प्रो। हांगलू ने बाद में सभी आरोपों का जवाब भी भेजा। वर्तमान परिदृश्य में शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी से लेकर छात्रों से जुड़ी मांगों को लेकर वीसी फिर पूरे बवाल की जड़ में हैं।

बॉक्स

आखिर कब तक चलेगा ये सिलसिला

वीसी पर एक पक्ष को समर्थन देकर कार्य करने, अयोग्य लोगों की नियुक्ति करने और दूसरे पक्ष को हशिये पर रखकर चलने का आरोप लग रहा है। समस्या संवादहीनता ने बढ़ाई है। शिक्षक भर्ती में हुई गड़बड़ी के बाद उसका निरस्त होना भी बड़ा मसला है। जानकारों का कहना है कि इन्हीं सब हालातों के चलते एक्स। वीसी प्रो। एके सिंह को भी इस्तीफा देकर जाने पर मजबूर होना पड़ा था। सवाल उठ रहा है कि आखिर कब तक वीसी हायर लेवल पर सेटिंग के जरिये बचते रहेंगे। वह भी तब जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी उन्हें कई मौके पर सख्त तौर पर फटकार लगाई है।

विवादों का सिलसिला

इविवि में लास्ट इयर प्रवेश परीक्षाओं से शुरू हुआ

वीसी ने पहले सभी परीक्षाएं ऑनलाइन करवाने का निर्णय लिया

यूजी में ऑफलाइन एग्जाम का विकल्प छात्रों के विरोध पर देना पड़ा

छात्रों ने सभी प्रवेश परीक्षाओं में ऑनलाइन का विकल्प मांगा

एमएचआरडी के दखल से सभी में ऑफलाइन का आप्शन देना पड़ा।

इससे यूजी को छोड़कर सभी प्रवेश परीक्षाएं टालनी पड़ी

मई 2015 में यूजी की परीक्षा से ठीक पहले हजारों परीक्षार्थियों के सेंटर बदले गए

जून में हुई पीजी प्रवेश परीक्षा का पेपर वाहट्सएप पर लीक हो गया

इसके अलावा पीजी, क्रेट समेत बाकी परीक्षाओं में भी गड़बड़ी हुई

करोड़ों खर्च कर प्राईवेट कंपनी से परीक्षा करवाने पर भी सवाल उठे।

इसके लिये मुख्य तौर पर प्रवेश परीक्षा के तात्कालिक निदेशक प्रो। बीएन सिंह को कसूरवार ठहराया गया।

इन मांगों को लेकर हैं छात्र आन्दोलित

आगामी प्रवेश परीक्षाओं में ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन का भी विकल्प मिले

छात्रावासों की फीस जमा करके भटक रहे छात्रों को हॉस्टल में कमरा मिले

कक्षायें नियमित रूप से चलाई जाएं

छात्रावासों में गुणवत्तापूर्ण व सब्सिडी युक्त मेस और कैम्पस में कैंटीन बने

पुस्तकालय से स्नातक के छात्रों को किताब मिले।

विवि में मारपीट करने वाले अराजकतत्वों पर रोक लगे

छात्राओं के साथ आये दिन होने वाली बदसलूकी और छेड़छाड़ की घटनाओं पर रोक लगे।

कैम्पस में छात्राओं के लिये पर्याप्त रूप से वॉशरूम की व्यवस्था हो।

जरूरतमंद छात्रों को नियमित रूप से छात्रवृत्ति मिले

प्रशासनिक पदों पर कार्यरत कार्यवाहकों को हटाकर योग्य लोगों की पूर्णकालिक नियुक्ति हो।

प्रवेश परीक्षाओं के लिये प्रवेश निदेशक प्रो। बीएन सिंह समेत पूरी प्रवेश समिति को भंग किया जाये