विटेलोजेनीन काफी स्ट्रांग

जानकारी के मुताबिक अभी तक दुनिया में खतरनाक कीड़े के रूप में पहचानी जानी वाली मुधक्िखयों को लेकर कई सारे रहस्य थे। जिसमें सबसे बड़ रहस्य यह माना जाता था कि मधुमक्िखयां अपने बच्चों का प्रतिरक्षण कैसे करती हैं। ऐसे में इन्हीं सब रहस्यों को लेकर एरिजोना राज्य स्थित यूनिवर्सिटी,हेलसिंकी यूनिवर्सिटी,ज्वैयस्कला यूनिवर्सिटी, और नार्वे की यूनिवर्सिटी ने लाइफ साइंस पर स्टडी किया है। जिसमें इस स्टडी के दौरान यह बात सामने आई है कि मुधमक्िख्ायों का रक्त विटेलोजेनीन कहलाता है। यह विटेलोजेनीन काफी स्ट्रांग और फायदेमंद होता है। इसके मदद से ही मधुमक्खियां वातावरण में मौजूद खास बीमारियों से अपनी संततियों का प्राकृतिक रूप से प्रतिरक्षण करती हैं। इतना ही नहीं इस नए शोध से यह बात भी सामने आई है कि इससे कीडों का पहला खाद्य एवं प्राकृतिक टीका भी बनाया जा सकता है। जो कि एक बहुत ही अच्छा कदम होगा।

बच्चों के लिए सुरक्षा कवच

ऐसे में इस शोध के बारे में अमेरिका स्िथत एरिजोना राज्य की युनिवर्सिटी के प्रोफेसर और अध्ययन करने वाले लेखक ग्रो अमडम ने इसे नया अविष्कार बताया है। उनका कहना है, इस शोध से कई बड़े रहस्यों से पर्दा उठ गया है। यह भविष्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उनका कहना है कि "मधुमक्खी अपने बच्चों का प्रतिरक्षण कैसे करती है, इस प्रक्रिया को लेकर लोग बहुत भ्रम में थे। ऐसे में इसे बड़ा विषय समझकर इस पर गहराई से अध्यन किया गया। जिसमें उन्हें पाया कि यह प्रक्रिया उनके लिए खाने की तरह ही सहज है। उनका कहना है कि उन्होंने करीब 15 सालों तक विटेलोजेनीन पर बुनियादी अनुसंधान किया है। इस दौरान उन्हें इसके रहस्य का पता चल सका। जिससे साफ है कि वह इसी विटेलोजेनीन से ही अपने बच्चों को तमाम बीमारियों से बचाती हैं। यह उसके बच्चों के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है।

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