- करीब 84 दवाएं ऐसी जो जांच के पहले ही एक्सपायरी डेट की हो गई

- 1 अप्रैल 14 से 31 मार्च 16 तक 557 दवाओं के सैम्पल सील किए थे

KANPUR : इसे 'खेल' कहें या कुछ और कि खराब दवाओं के शक में लिए गए सैम्पल की जब जांच का नम्बर आया तो उनमें से तमाम दवाएं एक्सपायरी डेट की निकलीं। अब सवाल यह होता है कि सैम्पल लेते समय अगर दवाएं एक्सपायरी डेट की नहीं थीं तो क्या जांच में जानबूझ कर इतनी देरी कर दी गई कि दवा एक्सपायरी हो जाए।

एफएसडीए की ड्रग विभाग की टीम ने 1 अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2016 के बीच दवा बाजार से 413 और सरकारी अस्पतालों से 144 दवाओं के सैम्पल जांच के लिए सील किए गए। इन सभी सैम्पल्स को जांच के लिए विभाग की प्रयोगशाला में भेजा गया। कुल 557 सैम्पल में से 472 सैम्पल की रिपोर्ट आ गई, लेकिन बाकी 85 सैम्पल्स के बारे में लैब की तरफ से जो लिख कर भेजा गया वह चौंकाने वाला था। वहां से लिखा गया कि यह सारी दवाएं एक्सपायरी डेट की हो चुकी हैं। अत: इनकी जांच होना संभव नहीं है। इन दवाओं में टैबरेलकोल, रेमोडाल, होरामाइसिन, रेब्जो, एसी-1076 आदि दवाइयां हैं। जिन सैम्पल्स की जांच रिपोर्ट आई, उसमें 43 दवाएं सब स्टैण्डर्ड, दो दवाएं खराब और 69 दवाओं में कोड ही नहीं था।

----------

जानबूझ कर देरी तो नहीं

अब एक्सपायरी दवाओं की बात करें तो यहां ड्रग विभाग के स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि जब इन दवाओं के सैम्पल भरे गए थे। तब यह दवा एक्सपायरी डेट की नहीं थी। वहां प्रयोगशाला में जांच में इतना टाइम लग गया कि सभी 85 दवाओं के सैम्पल एक्सपायरी डेट के हो गए। दूसरी तरफ यह भी चर्चा है कि जानबूझ कर इन दवाओं की जांच में देरी की गई ताकि यह एक्सपायर हो जाए। जिससे अगर इन दवाओं में कोई कमी हो तो पकड़ में न आ सके। इस संबंध में ड्रग विभाग का कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ।