बेबस बाप का घिनौना इंसाफ

छह महीने के अंदर जवान बेटे, पत्‍‌नी और पिता को खोने का दर्द वो सह न सका। उसने अपनी जिंदगी खत्म करने की ठान ली। मगर खुद को बेबस समझने वाले इस बाप ने अपने इस फैसले में 11 साल की उसे बेटी को भी हिस्सेदार बना लिया, जिसने ठीक से दुनिया को देखा-समझा भी नहीं। इस बाप ने पहले बेटी का कत्ल किया और फिर अपनी जान। लाडली बेटी की जिंदगी के साथ ये घिनौना इंसाफ करने वाले बाप की पूरी दास्तां अंदर के पेज पर

चुनी मौत की राह, बेटी को ले गया साथ

- डीरेका में सीनियर सेक्शन इंजीनियर ने 11 साल की बेटी का तकिये से मुंह दबाकर मारने के बाद खुद भी लगाई फांसी

- तीन पन्ने के सुसाइड नोट में बया की अपनी मनोव्यथा

- छह महीने में बेटे, पत्‍‌नी और पिता की मौत से था अवसादग्रस्त

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'मैं बड़े दुखी मन से लिख रहा हूं। मैं अपने आप से हार गया हूं। बेटे नंदन, पत्‍‌नी कुमुद और फिर पिता जी की मौत ने मुझे तोड़ दिया है। इसलिए मैं अपनी प्यारी बेटी साक्षी, जिसे मैं सबसे ज्यादा प्यार करता हूं उसे भी अपने साथ लेकर जा रहा हूं'। ये उस सुसाइड नोट की कुछ लाइनें हैं जो शुक्रवार की सुबह डीरेका कैम्पस के क्वार्टर नंबर 488-ए में मिली। ये क्वार्टर डीरेका के सीनियर सेक्शन इंजीनियर संतोष कुमार सिंह का था जिन्होंने अपनी 11 साल की बेटी साक्षी को तकिये से दबा कर मारने के बाद खुद फांसी लगा ली। दिल और दिमाग को झकझोर देने वाली इस घटना को जिसने भी जाना-सुना बस यही कहा कि हे भगवान, किसी को इतना बेबस न बनाना।

पेड़ में लगाया फंदा

डीरेका में हैवी मशीन शॉप में कार्यरत संतोष कुमार सिंह (52 वर्ष) कैम्पस में जलालीपट्टी के पास क्वार्टर नंबर 488-ए में बेटी साक्षी के साथ रहते थे। उनके घर में भाई कमलेश और उसका परिवार भी था। शुक्रवार भोर में कमलेश की पत्‍‌नी मीनू सिंह क्वार्टर के पिछले हिस्से में गई वहां आम के पेड़ पर उसे कुछ लटका महसूस हुआ। उसने जलसंस्थान के ठेकेदार अपने पति कमलेश को बताया तो वो टार्च लेकर निकले। टार्च की रोशनी पड़ी तो उनके होश उड़ गए। पेड़ पर उनका बड़ा भाई संतोष नायलॉन की रस्सी के सहारे फांसी पर झूल रहा था। उनके कमरे में पहुंचने के बाद दोनों के पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि बेड पर उनकी 11 साल की भतीजी वैष्णवी उर्फ साक्षी मृत पड़ी थी और उसके पेट पर तकिया पड़ा हुआ था।

सुसाइड नोट से खुली कहानी

सूचना मिलते ही मंडुवाडीह पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। पुलिस को कमरे में बेड के ऊपरी छोर पर कापी से दबा तीन पन्ने का सुसाइड नोट मिला। नोट में संतोष ने अपने अपनी मनोव्यथा कि साथ विस्तार से लिखा था कि वो ये कदम क्यों उठा रहा है। संतोष के भाई कमलेश के मुताबिक भाई के साथ दिसम्बर 2014 से लेकर मई 2015 तक इतना बुरा हुआ कि उसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। दिसम्बर 2014 में संतोष के दूसरे नंबर के बेटे विवेक सिंह उर्फ नंदन की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। बेटे का गम भुला भी नहीं था कि कैंसर से ऊबरी उनके पत्‍‌नी कुमुद की तबीयत अचानक बिगड़ी और अप्रैल में उसने भी दम तोड़ दिया। बेटे और पत्‍‌नी की मौत के बाद टूट चुके संतोष के लिए अगला झटका पिता गोर्वधन सिंह की मौत थी जो मई में दुनिया को अलविदा कह गए थे।

बेटी है इसलिए ले जा रहा हूं

संतोष के मरने के बाद कमरे से मिले तीन पन्ने के सुसाइड नोट को जिसने पढ़ा वो हिल गया। संतोष ने सुसाइड नोट में बेटे, पत्नी और पिता की मौत को अपनी बेटी की हत्या और अपनी सुसाइड की वजह बताते हुए लिखा है कि मैं अपने जीवन में तीन बड़ी विपदाओं का सामना कर चुका हूं। दो बार तो मैं संभला लेकिन अब नहीं बर्दाश्त होता। मैं अपनी प्यारी साक्षी के साथ न्याय नहीं कर सकता। साक्षी को मैं बहुत प्यार करता हूं इसलिए इसे भी अपने साथ लेकर जा रहा हूं। साक्षी अगर लड़का होती तो अकेले पाल लेता लेकिन दुर्भाग्य है कि ऐसा नहीं है। इसलिए ये कदम उठा रहा हूं।

दूसरी पत्‍‌नी की बेटी थी साक्षी

बलिया के कर्ण छपरा दोकरी द्वाबा के मूल निवासी संतोष की दो शादियां हुई थी। पारिवारिक सूत्रों की मानें तो 18 साल पहले पहली पत्‍‌नी विभा सिंह जलने से मौत हो गई थी, तब संतोष झांसी में कार्यरत थे। पहली पत्‍‌नी से उनके अभिषेक व विवेक नाम के दो बेटे हुए। बड़ा बेटा अभिषेक दिल्ली में बीटेक कर रहा है जबकि छोटे बेटे विवेक उर्फ नंदन की मौत से सदमों की शुरूआत हुई। पहली पत्‍‌नी की मौत से कुछ साल बाद संतोष ने कुमुद से दूसरी शादी की। जिससे एक बेटी साक्षी थी। कुमुद भी शादी के कुछ साल बाद कैंसर से पीडि़त हो गई। ट्रीटमेंट से वह ठीक भी हो गई। डॉक्टरों ने कहा कि पांच साल के अंदर अगर प्रॉब्लम रिवर्स न हुई तो सब ठीक हो जाएगा। इस साल मार्च में पांच साल पूरे होने बाद भी कुमुद को कैंसर ने मार ही दिया।

अरे, बच्ची क्यों मार डाला?

महज 11 साल की मासूम जिसने अभी दुनिया भी नहीं देखी थी। उसे मारने की क्या जरुरत थी। ये सवाल हर शख्स के जुबां पर था। साक्षी के पेट पर तकिया रखा मिला जिससे ये अंदाजा लगाया गया कि संतोष तकिये से ही बेटी की जान ली। कमरे में बिखरे पड़े खिलौनों के बीच बच्ची की लाश देख हर किसी को कलेजा फट सा गया।

टीचर्स-क्लासमेट सब रह गए शॉक्ड

साक्षी की मौत की खबर हर किसी के लिए सदमा थी। कुछ ऐसा ही झटका उसके स्कूल सेंट जॉन्स डीरेका में लगा जबकि टीचर्स और क्लासमेट्स को खबर मिली। सूचना मिलने पर प्रिंसिपल फादर सुसईराज ने कंडोलेंस कराया। साक्षी की क्लास टीचर अनुराधा ने बताया कि बच्ची पढ़ने में तो तेज थी ही साथ में व्यवहार में भी अच्छी थी।

अपने क्वार्टर को मनहूस समझते थे संतोष

तीन मौतों के बाद संतोष अपने क्वार्टर को मनहूस मानने थे। इसी वजह से उन्होंने क्वार्टर चेंज करने के लिए डीरेका प्रशासन को लेटर भी दिया। हालांकि डीरेका प्रशासन ये कहते हुए अप्लीकेशन खारिज कर दिया कि अभी कोई क्वार्टर खाली नहीं है इसलिए वो अपने ही क्वार्टर में रहे।