ये साबित हो चुका है कि हर कामयाब बेटी के पीछे एक सख्‍त मां होती है

1 . Essex यूनीवर्सिटी की ओर से की गई रिसर्च ये बताती है कि अकेडमिक टीनएजर्स पर सख्त पेरेंट्स का बहुत असर पड़ता है। ये वह टीनएजर्स होते हैं जिनके ज्यादा दोस्त नहीं होते और टीचर्स अक्सर इनको प्रोत्साहित करने के लिए तैयार रहते हैं।

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2 . इसको लेकर रिसर्चर एरिका रेसकन रामिरेज़ कहती हैं कि कई मामलों में देखा गया है कि हम उस काम को ही करना ज्यादा आसान मानते हैं, जो हमें अच्छा लगता है। वह काम जो हमारे हिसाब से अच्छा और आसान होता है। फिर चाहें वह काम कितना ही हमारे पेरेंट्स की मर्जी के खिलाफ हो। अब यहां कोई फर्क नहीं पड़ता कि उस काम को अपनी मर्जी से करने में हमें अपने पेरेंट्स को नजरअंदाज करने में कितनी मेहनत लगती है। उसके लिए कई बार हमारे पेरेंट्स हमको बेहद प्यार से मना करते हैं, समझाते हैं, लेकिन हमें उनकी भावनाओं की कोई कर्द नहीं होती।

 

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3 . रिसर्च के मुताबिक 13 से 14 साल की ऐसी बच्चियों की संख्या करीब 15,500 है, जिनके पेरेंट्स उनकी जिद के साथ काफी सख्त हैं।

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4 . ऐसे पेरेंट्स अपनी बच्चियों को बड़े होने पर टीनएज में मां बनने की सलाह नहीं देते। बल्कि इसके बारे में सख्ती से उन्हें समझाते हैं।

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5 . ऐसे पेरेंट्स की सलाह पर टीनएज प्रेग्नेंसी में काफी हद तक कमी आई है। कई देश इस मामले में कामयाब हुए हैं।

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6 . वहीं बीते चार सालों के ग्राफ को देख लें तो यूरोप में ब्रिटेन अभी भी ऐसी जगह है जहां कम उम्र में मां बनने के कई मामले सुनाई देते हैं।

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7 . टीनएज में मां बनने के कई दुष्परिणाम हैं। रिसर्च के मुताबिक टीनएज में मां बनने का मतलब है कम उम्र में ही स्कूल की पढ़ाई छोड़ देना और फिर अपना परिवार पालने के लिए उसी उम्र में नौकरी करके अच्छे से अच्छा कमाने का प्रयास करना, ताकि आप अपने बच्चे को पाल सकें। अब ऐसे में आपके साथ एक और दुष्परिणाम हो सकता है और वह है बच्चे को पिता का नाम देने के लिए उसी कम उम्र में अपनी तरह कम पढ़े लिखे और हो सकता है कि बेरोजगार लड़के से ही शादी भी करनी पड़े।

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8 . टीनएज में ही बनने वाली मां के बच्चों के भी आगे कई दुष्परिणाम हैं। मसलन उसकी कमजोर हेल्थ, ओबेसिटी प्रॉब्लम, स्कूल में अच्छा रिस्पॉन्स न करना। ऐसे में प्रेग्नेंसी के लिए भी मां की सख्ती ही आपके लिए हितकर होगी।

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