शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में गिरफ्तारी के बाद हुआ खुलासा

अमेरिका की रहने वाली एक औरत को वहां की पुलिस ने शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। इस महिला के शरीर में अमेरिका में कानूनी रूप से स्वीकृत शराब से चार गुना अधिक मात्रा में शराब की मात्रा पायी गयी थी। इधर ये महिला हैरान थी उसने घंटों से शराब की एक बूंद भी नहीं चखी थी। ऐसा उसके साथ पहली बार नहीं हुआ था उसे अक्सर खुद के गहरे नशे में होने का अहसास होता था। पर उस समय सब चौंक गये जब उसे अदालत में पेश करने के साथ्ज्ञ ही उसकी मेडिकल जांच की रिर्पोट भी जज के सामने रखी गयी। जांच में लिखा थ्ज्ञा कि उस महिला के शरीर में शराब बनाने की फैक्ट्री है।

अजीब बिमारी से है ग्रस्त

जांच में सामने आया कि यह महिला जो कुछ भी खाती है वह उसके शरीर में जाकर शराब में बदल जाता है। दरअसल, यह एक किस्म का रोग है जिसमें जो कुछ अनाज खाया जाता है, वह पेट में जाकर पचने के साथ-साथ शराब में बदल जाता है। उसके वकीलों ने उसके पक्ष में जो दस्तावेज कोर्ट को सौंपे हैं, उसमें बताया गया है कि इस रोग में भोजन में पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट उसके पेट में पहुंचकर शराब में तब्दील हो जाता है। अब इस महिला के साथ बड़ी समस्या है खाना खाए तो दिक्कत और नहीं खाये तो दिक्कत, क्योंकि जिंदा रहने के लिए तो खाना खाना ही होगा।

 

इसे गट फरमेंटेशन सिंड्रोम कहते हैं

इस महिला को जो बीमारी है उसे मेडिकल भाषा में ‘गट फरमेंटेशन सिंड्रोम’ या ‘ऑटो ब्रूयरी सिंड्रोम’ कहते हैं। 1971 के दशक में पहली बार जापान में वैज्ञानिकों ने इस बीमारी का पता लगाया था। इस पर शोध अब भी चल रहा है। अभी दो साल पहले टेक्सास में पैनोला कॉलेज की बारबरा कॉर्डेल और जस्टिन मैकार्थी ने इस बारे में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्लिनिकल मेडिसिन में विस्तार से जानकारी दी थी। इसमें उन्होंने 61 साल के एक व्यक्ति की केस स्टडी देते हुए इस रोग के बारे में अपने निष्कर्ष बताए थे। अमेरिका में इस रोग को लेकर यह पहला गंभीर अध्ययन था।

वकील को रोग के बारे में जानकारी ने मुसीबत से बचाया

पेशे से टीचर ड्रिंक एंड ड्राइविंग के आरोप में पकड़ी गई इस महिला के वकील जोसेफ मारुसक को बारबरा कॉर्डेल के अध्ययन की जानकारी थी। उन्होंने उनसे 2014 में तब संपर्क किया जब इस महिला को पुलिस ने पकड़ा। महिला की बातें सुनकर उन्होंने बारबरा से इस महिला की जांच करने और अपनी रिपोर्ट देने का अनुरोध किया। उस महिला के खून की हर दो घंटे पर जांच की गई, और पाया कि शराब न पीने के बावजूद उसके खून में शराब की मात्रा है। ब्रेथलाइजर से 18 रातों तक लगातार जांच में भी इस बात की पुष्टि हुई, तब जाकर और टेस्ट किए गए और तय हुआ कि यह महिला भी इस रोग से पीड़ित है।

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