-तीन सालों से बीएसयूपी के मकानों को पूरा नहीं कर पाया एमडीए

-डूडा की कार्यदायी संस्था एमडीए को बनाने थे एक हजार मकान

Meerut: अपनी बीएसयूपी योजना में बुरी तरह पिछड़े डूडा ने गरीब लाभार्थियों के सामने आवास का संकट खड़ा कर दिया है। उधर पिछले चार सालों से सरकारी आवास मिलने की बाट जो रहे लाभार्थियों में भी इस बात को लेकर भारी रोष है।

क्या है मामला

दरअसल, ख्009 में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के सहयोग से बेसिक सर्विस फोर अर्बन पूअर यानी बीएसयूपी योजना का शुभारंभ किया था। योजना के अंतर्गत मेरठ जनपद में दस हजार सरकारी आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया था, जबकि शासन की ओर से इसके लिए जिला नगरीय विकास अभिकरण यानी डूडा नोडल एजेंसी और राजकीय निर्माण निगम को कार्यदायी संस्था के रूप में चुना था। हालांकि योजना के अंतर्गत क्008 आवासों के निर्माण की जिम्मेदारी मेरठ विकास प्राधिकरण को भी सौंपी गई थी।

पिछड़ा एमडीए

योजना के अंतर्गत एमडीए को हापुड़ रोड स्थित लोहियानगर में आवासों का निर्माण कराकर देना था। अब जबकि योजना के श्रीगणेश को भी चार साल से अधिक का समय हो गया है, बावजूद इसके एमडीए अपने खातों को आवासों का निर्माण नहीं कर पाया है। डूडा सूत्रों की मानें तो एमडीए अभी तक कुल मकानों में से दो हजार मकानों को ही पूर्ण कर डूडा को हैंड ओवर कर सका है।

लाभार्थी परेशान

लोहियानगर में बन रहे इन मकानों को शहर के गरीब लाभार्थियों को आवंटित किया जाना था। इन मकानों के लिए शहर के गरीब लाभार्थियों को से कुल मकान का दस फीसद अंश दान के रूप में वसूला गया था। लेकिन एमडीए की लेट लतीफी के चलते समय से न तो आवासों को आवंटित किया जा सका है और न ही उनकों पूर्ण ही किया है। इसके अलावा अब लाभार्थी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।

बीएसयूपी के मकानों की एक खेप डूडा को सौंप दी गई है। कुछ मकान बन कर तैयार हो गए हैं। शेष मकान भी जल्द ही पूर्ण कर लिए जाएंगे। जल्द ही उनके हैंड ओवर प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी।

राजेश यादव, वीसी एमडीए