-नील वाली गली में परिवार के साथ रहता था, मूलरूप से पं। बंगाल का रहने वाला

-साथी कारीगरों का करीब 670 ग्राम सोना ले गया, पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर तलाश शुरू की

KANPUR : कलक्टरगंज में एक बार फिर बंगाली कारीगर सर्राफा कारोबारियों का लाखों की कीमत का सोना लेकर फरार हो गया। उसको साथी कारीगरों ने यह सोना दिया था। तड़के जब साथी कारीगरों को उसको फरार होने का पता चला तो उनके होश उड़ गए। आनन फानन में उन्होंने सेंट्रल स्टेशन समेत अन्य जगहों पर उसकी तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। जिससे मायूस कारीगरों ने उसके खिलाफ थाने में तहरीर दी। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी।

10 साल से रह रहा था

मोती मोहाल के कच्ची सराय के पास रहने वाला सौरभ महंती ज्वेलरी कारीगर है। सौरभ मूल रूप से बंगाल का रहने वाला है। वो यहां पर सर्राफा कारोबारियों से सोना लेकर जेवर बनाता था। उसके साथ विजय सामंत, हरिकृष्ण, जीवन कृष्ण और जुगल भौमिक भी काम करते हैं। ये सब भी सर्राफा कारोबारियों से सोना लेकर जेवरात बनाते हैं लेकिन चेन बनवाने के लिए नील वाली गली निवासी कारीगर अमलेश को सोना देते थे। अमलेश भी बंगाली कारीगर है। वो मूलरूप पं। बंगाल के केसपुर निवासी था। वो यहां पर करीब दस साल से रहकर काम कर रहा था। उसके साथ पत्नी और बच्चे भी रहते थे।

हर जगह की तलाश

सौरभ समेत अन्य साथी कारीगरों ने चेन बनवाने के लिए अमलेश को कच्चा सोना दिया था। जिसकी कीमत करीब 40 लाख रुपए है। बुधवार को वे जब चेन लेने के लिए अमलेश की दुकान पर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि अमलेश परिवार समेत रात को ही कहीं चला गया। उन्होंने आनन फानन में सेंट्रल स्टेशन, बस अड्डे समेत अन्य जगहों पर अमलेश की तलाश की, लेकिन पता नहीं चलने पर सर्राफा एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ कलक्टरगंज थाने पहुंच गए। उनकी तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर अमलेश की तलाश शुरू कर दी।

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पहले भी भाग चुके हैं बंगाली कारीगर

सोना लेकर कारीगरों के भागने का यह शहर में पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बार बंगाली कारीगर सोना लेकर फरार हो चुके हैं। करीब छह महीने पहले भी एक कारीगर लाखों रुपए का सोना लेकर फरार हो गया था। जिसे पुलिस ने पं। बंगाल से गिरफ्तार किया था।

जेवरात बनाने में एक्सपर्ट

वैसे तो कई कारीगर सोने के आभूषण बनाते हैं, लेकिन इसमें बंगाल के कारीगर को बेस्ट माना जाता है। वे कई तरह की डिजाइन बनाने में माहिर होते हैं। इसीलिए बंगाली कारीगरों के बार-बार भागने के बाद बी ज्यादातर सर्राफा कारोबारी मजबूरी में उन्हीं से जेवर बनवाते हैं।

इतना सोना लेकर गया है

विजन सामन्त 150 ग्राम

सौरभ मंहती 150 ग्राम

हरि कृष्ण 110 ग्राम

जीवन कृष्ण 110 ग्राम

जुगल भौमिक 150 ग्राम