नेतन्याहू ने कहा कि यरूशलम पिछले 3000 साल से इसराइल की राजधानी है और यह "कभी किसी और की राजधानी नहीं रही है"।

अमरीका के यरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के बाद मुस्लिम और अरब देशों में हो रहे प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने ऐसा कहा है।

रविवार को लेबनान में अमेरिकी दूतावास के पास और कई अन्य जगहों पर हिंसा भड़की।

'3000 साल से इसराइल की राजधानी है यरूशलम'

इसराइली सुरक्षाकर्मी पर हमला

यरूशलम में एक इसराइली सुरक्षाकर्मी को छुरा भोंक कर गंभीर रूप से घायल करने वाले एक फ़लस्तीनी को गिरफ्तार किया गया।

पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से मुलाकात के बाद नेतन्याहू ने यरूशलम से यहूदियों का हजारों साल पुराना संबंध ना मानने वाले तर्क को बेतुका बताया है।

उन्होंने कहा, "आप इसे एक बहुत अच्छी किताब में पढ़ सकते हैं- जिसका नाम है बाइबल।"

"बाइबल के बाद भी आप इसे पढ़ सकते हैं। आप यहूदी समुदायों के इतिहास में इसे सुन भी सकते हैं।।। यरूशलम को छोड़कर इसराइल की राजधानी और कहां रही है?"

"जितनी जल्दी फ़लस्तीनी इस सच्चाई को स्वीकार कर लेंगे, उतनी जल्दी हम शांति की दिशा में आगे बढ़ेंगे।"

'3000 साल से इसराइल की राजधानी है यरूशलम'

ट्रंप के फ़ैसले का विरोध

उधर, अमरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने फ़लस्तीनी अधिकारियों के फ़ैसले की कड़ी निंदा की है। और फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के आगामी यात्रा के दौरान उनसे ना मिलने के फ़ैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

अमरीका के फैसले के बाद मिस्र में देश के शीर्ष मुस्लिम और ईसाई मौलवियों ने भी पेंस के साथ अपनी मुलाकात टाल दी है।

बीते बुधवार को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अपनी घोषणा में कहा था कि अमरीका यरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देता है।

यरूशलम, ख़ासकर इसके पूर्वी हिस्से में यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्म के पवित्र धार्मिक स्थल हैं।

'3000 साल से इसराइल की राजधानी है यरूशलम'

यरूशलम पर अपने-अपने दावे

इसराइल यरूशलम को अपनी राजधानी मानता रहा है। वहीं फ़लस्तीन भी अपना दावा करता है।

पूर्वी यरूशलम पर 1967 के युद्ध में इसराइल ने कब्ज़ा कर लिया था।

ट्रंप ने बीते बुधवार को अमरीकी दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम लाने को मंजूरी दे दी थी।

राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि इस क़दम का लंबे समय से इंतज़ार था और इससे मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया तेज़ होगी और टिकाऊ समझौते का मार्ग प्रशस्त होगा।

ट्रंप की इस घोषणा से पहले फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के एक प्रवक्ता ने चेतावनी दी थी कि इस क़दम के ख़तरनाक परिणाम हो सकते हैं।

फ़लस्तीनियों ने इस फैसले को मौत को गले लगाने जैसा बताया है।

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