- बच्चियों को अपने आशियाने में बसाने के लिए लोगों में उत्साह ही नहीं

- पिछले सात सालों में 55 बेटियां लावारिस हालत में मिलीं

LUCKNOW: शहर-ए-तहजीब में लड़कियों के लिए कोई जगह नही है। कभी कोई एक दिन की लड़की गली में फेंक देता है तो कभी नवजात शिशु को कूड़े के ढेर में रख देता है। इस शहर का रिकॉर्ड देखें तो पिछले सात सालों में ख्8 बच्चे और भ्भ् बच्चियां हेल्पलाइन में लाई गई। लड़कों को गोद लेने के लिए तो कई लोग आगे आए लेकिन बच्चियों को अपने आशियाने में बसाने के लिए लोगों में उत्साह ही नहीं है। यही वजह है कि आज भी कई बच्चियां चिल्ड्रेन हेल्पलाइन में हैं और इस आस में हैं कि उन्हें कोई सहारा मिल सके।

बेटियों को नहीं आते हैं गोद लेने

बेटियों को गोद लेने के लिए लोगों में ज्यादा रिस्पांस नहीं आता है। हैरत की बात यह है कि पिछले सात सालों में भ्भ् बेटियों को लावारिस हालत में यहां लाया गया। उनके लिए गोद लेने वाले भी कम हैं। वैसे भी गोद लेने की प्रक्रिया इतनी कठिन है कि उसी में करीब दो साल लग जाते है।

बेटियां नाम कर रही हैं रोशन

सोशल एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बताया कि लोगों में अजीबोगरीब सोच है। वह बेटियों को कमतर आंकते हैं। लेकिन ऐसा नही है। आज बेटियां देश का नाम रोशन कर रही हैं। न जाने क्यों कुछ लोग बेटियों के पैदा होने पर अपने को शर्मसार महसूस करते हैं लेकिन ऐसा कतई नहीं है। बेटियां आज समाज को रोशन करी हैं।

न्यू बॉर्न बेबी की लिस्ट

साल- मेल- फीमेल

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कोई बाधा मेरी उड़ान को नहीं रोक सकती।

हां, मैं वो हूं जो बदलाव ला सकती हूं, न तो छेड़छाड़ और न ही कोई अपराध मुझे रोता हुआ छोड़ सकता है, मैं दुनिया का सामना करने के लिए हर चुनौती लेने को तैयार हूं मुझे पूरी तरह से यकीन है कि मैं एक दिन दुनिया में बदलाव ला सकूंगी।

मैं बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत करने के लिए आई नेक्स्ट लाइव टीम का तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूं। पूरी दुनिया में सभी बेटियों को मेरा प्यार। मेरा मानना है कि अब समाज ऐसे पुराने विचारों से कहीं आगे बढ़ चुका है, जिसमें लड़कियों को गूंगा पशु के सामान समझा जाता था। आज की महिलाओं ने लगभग हर फील्ड में अपना दबदबा बनाया है और महिलाओं ने यह साबित किया है कि अगर संचालन करने का अवसर मिले तो वह पुरुषों से कहीं अधिक बेहतर हैं। ऐसी कोई भी क्षेत्र नहीं बचा है, जहां महिलाओं ने अपने एक्सीलेंस को साबित नहीं किया हो। आज यही महिलाएं और बेटियां हमारे देश का गौरव हैं और विकास की धारा के साथ हैं तो देश के कल्याण के लिए मौका क्यों छोड़ना 'अकेली चलूंगी किस्मत से मिलूंगी अरे मुझे क्या बेचेगा रुपैय्या' इसलिए हम सभी यह संकल्प लें कि हम हमेशा बेटियों की सुरक्षा करेंगे, जो हमारा कल हैं और याद रहे 'जहां संघर्ष नहीं है, वहां शक्ति नहीं है'

- अनम अख्तर,

हेड गर्ल, सेंट जोसेफ इंटर कॉलेज, राजाजीपुरम

लोग लड़के के लिए प्रार्थना करते हैं, न कि लड़की के लिए वे हमेशा लड़के की इच्छा रखते हैं, न कि लड़की की। वे लड़के का होना ज्यादा बेहतर मानते हैं, न कि लड़की का। लेकिन जब हम संपत्ति की बात करते हैं तो वे मां लक्ष्मी को पूजते हैं, जब वे शिक्षा की बात करते हैं तो मां सरस्वती को पूजते हैं। अब मुझे बताइये वे क्यों संकोच करते हैं, जब उनके परिवार में देवी स्वरूप बेटी जन्म लेती है? कहा जाता है, 'यत्र नारी पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवता'। तरह-तरह की परेशानियां झेलना लड़कियों की किस्मत नहीं है। फिर भी उन पर रुढि़वादी विचार थोपे जाते हैं। यही मजबूरी है, जो उन्हें हर आस्पेक्ट में अपने आपको प्रूव करना पड़ता है। मुझे गर्व है कि मैं एक लड़की हूं।

- पूजा आहूजा,

क्ख्वीं-ए, सेंट जोसेफ

आई नेक्स्ट की इस मुहिम की जितनी सराहना की जाए वह कम है। समाज में कन्या भू्रण हत्या एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। इसके लिये समाज के हर वर्ग को एकजुट होना पड़ेगा।

चंदन लाल दीक्षित

अध्यक्ष

लखनऊ बार एसोसिएशन

बिना बेटियों के न घर पूरा होता है और न ही पीढि़यां आगे बढ़ती हैं। इस हकीकत को जानने के बावजूद लोग बेटों की ललक में बेटियों की गर्भ में ही हत्या करने पर उतारू हैं। आई नेक्स्ट की इस मुहिम को सलाम।

सुरेश पांडेय

महामंत्री

लखनऊ बार एसोसिएशन

हमेशा की तरह आई नेक्स्ट ने एक ज्वलंत मुद्दा उठाया है। बेटी बचाओ अभियान वक्त की जरूरत है। अगर बेटी ही नहीं होगी तो मां नहीं होगी और अगर मां नहीं होगी तो श्रृष्टि ही खत्म हो जाएगी।

आलोक द्विवेदी भाऊ

उपाध्यक्ष

लखनऊ बार एसोसिएशन

आज हर जगह बेटियां कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं। कल्पना चावला रही हों या फिर सुनीता विलियम्स, इंदिरा नुई हो या किरण मजूमदार शॉ। इन जैसी तमाम बेटियों की सफलता को देखने के बावजूद लोग अपनी मानसिकता बदलने को तैयार नहीं जो कि शर्मनाक है।

कामिनी ओझा

संयुक्त मंत्री

लखनऊ बार एसोसिएशन

आई नेक्स्ट का अभियान बेटी बचाओ तारीफ के काबिल है। असलियत में जो लोग कन्या भ्रूण हत्या करते हैं वह सिर्फ एक बेटी का कत्ल नहीं करते बल्कि पूरी मानवता का कत्ल करते हैं। इसकी सजा भी बेहद कड़ी होनी चाहिये।

मारुत शर्मा

संयुक्त मंत्री

लखनऊ बार एसोसिएशन