बघाड़ा व ढरहरिया में लोगों ने खुद की सफाई

अभी कई इलाकों में जगह-जगह लगा है कचरे का ढेर

कीटनाशक दवाओं का छिड़काव न होने से फैल रही संक्रामक बीमारियां

ALLAHABAD:

छोटा-बघाड़ा व ढरहरिया का इलाका हर साल बाढ़ व वाटर लॉगिंग का कहर झेलता है। 2013 में आए भीषण बाढ़ में हजारों परिवारों ने बाढ़ की विभीषिका झेली। लेकिन बाढ़ के बाद प्रभावित इलाकों में जबर्दस्त रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था। पूरा प्रशासनिक अमला प्रभावित इलाकों के लोगों की मदद में उतर पड़ा था। इस साल बाढ़ के दौरान गायब पूरी सरकारी मशीनरी बाढ़ के बाद भी गायब है। छोटा बघाड़ा, ढरहरिया, ओम गायत्री नगर आदि इलाकों में पानी निकलने के तीन-चार दिन बाद भी नगर निगम के सफाई कर्मचारियों की टीम नहीं पहुंची है। इसकी वजह से लोगों में आक्रोश है।

चार दिन बाद पहुंची सफाई टीम

आईनेक्स्ट टीम ने मंगलवार को छोटा बघाड़ा एरिया का जायजा लिया। बाढ़ प्रभावित इलाकों में रह रहे लोगों से बात की गई तो उनमें जबर्दस्त गुस्सा दिखा। नाराजगी इस बात को लेकर है कि जब हजारों परिवार पानी से घिरे थे, तब भी प्रशासनिक अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया और अब जब बाढ़ का पानी लौट गया है तब भी कोई उनकी सुधि लेने नहीं आया। पानी निकलने के तीन-चार दिन बाद मंगलवार को सफाई कर्मचारी ढरहरिया इलाके में तब पहुंचे, जब लोग पसीना बहाकर खुद अपने-अपने घरों के सामने की सफाई कर चुके थे।

नहीं हुआ कीटनाशक का छिड़काव

2013 के बाढ़ के बाद स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और प्रशासन की टीम ने जबर्दस्त रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया था। पूरे इलाके में नालियों व गलियों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया गया था। यही कारण था कि उस समय बाढ़ प्रभावित इलाकों में बीमारी नहीं फैली थी। इस बार स्थिति उल्टी है।

क्या बोले बाढ़ पीडि़त

बाढ़ का पानी निकले करीब तीन से चार दिन हो गए। मंगलवार को नगर निगम कर्मचारियों के दर्शन हुए। गंदगी व बदबू से सांस लेना मुश्किल हो रहा है। अभी तक कीटनाशक दवाओं का छिड़काव नहीं कराया गया है।

आजाद कुमार

छोटा बघाड़ा

एडमिनिस्ट्रेशन के साथ नगर निगम के सक्रियता की स्थिति ये है कि 26 अगस्त से पानी कम होना शुरू हुआ और सफाई कर्मचारी चार दिन बाद 30 अगस्त को मोहल्ले में दिखाई दिए हैं। इस बीच भीषण गंदगी व बदबू में हम कैसे जिंदा रहे हमीं जानते हैं।

अनिल कुमार केसरवानी

ढरहरिया

गंगा-यमुना की लहरें जब उफान पर थीं तो दस से 12 दिन हमने पूरे परिवार के साथ छत पर बिताए। उस दौरान एडमिनिस्ट्रेशन का कोई भी व्यक्ति मदद करने नहीं आया। पानी निकल गया तो हमने खुद अपने मोहल्ले की सफाई की। रक्षाबंधन से कटी बिजली रविवार को आई।

अरुण तिवारी

पानी निकलने के बाद हमें तत्काल मदद की जरूरत थी। एक तरफ जहां घर गंदगी व बदबू से बजबजा रहा था। घर के बाहर भी वही हाल था। लेकिन कोई राहत टीम नहीं आई। मार्केट से तीन-चार मजदूरों को लाकर घर-के आस-पास सफाई कराई। अभी भी गंदगी व बदबू से काफी दिक्कत हो रही है।

आरएन राय

ढरहरिया

बाढ़ के दौरान सरकारी मशीनरी की ओर से हमेंकोई सुविधा नहीं मिली। स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ ही सिविल डिफेंस के लोग ही मददगार थे। पानी निकलने के बाद भी एडमिनिस्ट्रेशन का राहत कार्य शून्य है।

आशुतोष शुक्ला

इलाके में बाढ़ का पानी घुसने से पहले ही हम लोगों ने मकान खाली कर दिया था। रिश्तेदार के घर चले गए थे। कई दिन बाद 29 अगस्त को मोहल्ले में आए तो यहां चारों तरफ गंदगी व बदबू फैली है। सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है।

पुष्पा शर्मा

बाढ़ ने सब कुछ छीन लिया। जिस मकान में किराए पर रहती थी वह गिर गया। घर का सभी सामान पानी में बह गया। अब पूरा परिवार सड़क पर है। अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा।

सुल्ताना

जब इलाका चारों तरफ से पानी से घिरा था तो इतनी दिक्कत नहीं थी। जितनी दिक्कत बाढ़ का पानी निकलने के बाद हो रही है। चारों तरफ गंदगी का ढेर है। न दवा का छिड़काव हो रहा है और न ही सफाई हो रही है।

रईसा

ढरहरिया

गंदगी व बदबू से अब बीमारी फैल रही है। सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है। पेट की बीमारी भी शुरू हो गई है। दवा का छिड़काव अभी तक नहीं हुआ।

चंद्रकली

बाढ़ का पानी जब कहर ढा रहा था, तब भी जिला प्रशासन व नगर निगम की टीम गायब थी। अब पानी निकलने के बाद भी कोई राहत नहीं मिल रही है। तीन-चार दिन बाद सफाई कर्मचारी मोहल्ले में दिखाई दिए हैं।

छेदी लाल भारती