-नेटवर्क प्रॉब्लम से जूझ रही है सिटी की आबादी, कॉल ड्राप व नेट स्पीड भी है स्लो

-सभी टेली कंपनियों का है यही हाल, कम्प्लेन के बावजूद नहीं होती प्रॉब्लम दूर

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टेली कम्यूनिकेशन कंपनीज भले ही टूजी से थ्रीजी उसके बाद अब फोरजी सिटी में लांच कर दिया है लेकिन कॉल ड्राप की प्रॉब्लम से यूजर्स को निजात नहीं दिला पा रही है। फ‌र्स्ट टाइम में कॉल कर बात करना ही नहीं पॉसिबल हो पा रहा है। पहले तो बीएसएनएल को संज्ञा दिया जाता था कि 'भाई साहब नहीं लगेगा' हालांकि अब यही हाल हर टेली कंपनियों का हो गया है। चाहे वोडाफोन, आईडिया हो या फिर एयरटेल, टाटा डोकोमो, यूनिनार सहित रिलायंस ही क्यों न हो?, एक बार में किसी नेटवर्क पर बात ही क्लीयर नहीं हो पा रही है। बार-बार कॉल ड्राप की समस्या से हर यूजर परेशान है लेकिन करें भी तो क्या करें? कम्प्लेन पर सुनवाई भी नहीं हो पा रही हैं। फोरजी का दंभ भरा जा रहा है लेकिन हकीकत में प्रति सेकेंड पैसे की बात भी पूरी नहीं कराई जा रही है।

यह है सबसे बड़ा लोचा

कॉल ड्राप के पीछे लोचा यह भी है कि सिटी में जितने भी बीटीएस लगाये गये हैं उनकी प्रॉपर वे में देखभाल नहीं होती है। टॉवर की कंडीशन भी बहुत अच्छी अब नहीं रह गई है। पहले तो सिटी में टॉवर लगाने के नाम पर भू स्वामी को ठीकठाक रकम मिलता था लेकिन अब सिटी में टॉवर लगाने पर रोक लगा दी गई है, जो सिटी से बाहर सबसे बीजी एरिया में आते हैं वहां भूमि स्वामियों ने टॉवर लगाने के एवज में मोटी रकम दस से पंद्रह लाख रुपये की डिमांड करने लगे हैं। लिहाजा मोबाइल कंपनियां अधिक से अधिक टॉवर लगाने के नाम पर अब कतराने लगी है।

टॉवर के तेल में करते हैं खेल

बैड मोबाइल नेटवर्क के पीछे एक कारण यह भी है कि टेली कंपनियां जहां भी टॉवर लगवाती है वहां 24 घंटे बिजली की अरेंजमेंट करती हैं। बिजली ऑफ होने पर इनवर्टर और जनरेटर से बिजली आपूर्ति जारी रखते हैं। लेकिन बहुत से एरिया में टॉवर केयर बिजली ऑफ होने पर जनरेटर भी स्टार्ट नहीं करते हैं। यदि अधिक देर तक पॉवर ऑफ रहा तो फिर जनरेटर ऑन करेंगे लेकिन अधिकतर जनरेटर स्टार्ट नहीं करते और उसका तेल बेच देते हैं। जिसके कारण कॉल ड्राप, बैड नेटवर्क की समस्याएं होती है।

ऐसा कोई दिन भी गैप नहीं होता जिस दिन काल ड्राप की प्रॉब्लम फेस न करनी पडे़। कभी-कभी देर तक किसी नंबर पर बात भी नहीं होती।

पवन कुमार, बिजनेसमैन

लंका

फोरजी का दावा किया जा रहा है लेकिन थ्रीजी से भी कम स्पीड है आईडिया इंटरनेट का। आईडिया नेटवर्क पर कॉल करिये तो बात भी अधूरी ही होती है।

डॉ। मनोहर लाल

असिस्टेंट प्रोफेसर

काशी विद्यापीठ

वोडाफोन का नेटवर्क पिछले दो साल से यूज कर रही हूं लेकिन इधर चार-पांच माह से नेटवर्क में प्रॉब्लम आ गया है। एक बार में तो कॉल पूरी होती ही नहीं है।

काजल चतुर्वेदी

स्टूडेंट

काशी विद्यापीठ

बीएसएनएल का सिम जरूर है लेकिन नेट चलाने के लिए दूसरे नेटवर्क का सहारा लेना पड़ता है। यह तो कंडीशन है बीएसएनएल का।

डॉ। शैलेश मालवीय, फिजिशियन

दुर्गाकुंड

एक बार में तो किसी भी नेटवर्क पर बात पूरी हो ही नहीं पाती है। बार-बार कॉल ड्राप की प्रॉब्लम डेली फेस करनी पड़ती है। अब तो जैसे आदत सी हो गई है।

विशाल यादव, सोशल वर्कर

दशाश्वमेध