छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: बिष्टुपुर सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पहले दिन शनिवार को मथुरा से आये स्वामी हिमांशु महाराज ने व्यासपीठ पर आसीन होकर अपनी ओजस्वी, सरल एवं सुमधुरवाणी से उपस्थित सभी भक्तों को कृतार्थ किया। भक्तों को रसपान कराते हुए भागवत की संकल्प के बारे में विस्तार से बताया। मनुष्य को भागवत अनुष्ठान के दौरान कोई एक बुरी आदत त्याग देने का संकल्प लेना चाहिए। भागवत के महत्व का दर्शन कराते हुए महाराज ने आगे बताया कि जो माता-पिता को दु:ख पहुंचाते है। उनकी सेवा या पूजा नहीं करते उनको भागवान प्राप्त नहीं होते। जिस मनुष्य को अपने ज्ञान का अहंकार होता है। उसको उस परमात्मा की भक्ति कभी प्राप्त नहीं होती। स्वामी जी ने भागवत का उपसंहार क्या कहता है पर परिचर्चा करते हुए कहा कि इस जीवन को जीने की कला का माध्यम किस प्रकार ठाकुर जी के चरणों में लगेगी एवं मानव कल्याण के लिए ये भागवत इनको आदेश देती है कि अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर जो ले जाती है उसे हम भागवत कहते है। इस मौके पर प्रमुख रूप से मंदिर कमिटी के सचिव सुरेश अगीवाल, कुंजबिहारी नागेलिया, अशोक नरेड़ी, अशोक संघी, मुरारी लाल नागेलिया, सत्यनासायण नरेड़ी, मनोज अगीवाल, अरुण गुप्ता, कमन अगीवाल, मुकेश अगीवाल समेत सैकड़ों की संख्या में भक्त शामिल थे।

निकली शोभा यात्रा

इससे पहले शनिवार की सुबह 8 बजे विधिवत् रूप से पूजा-अर्चना के साथ कलश स्थापना की गई। सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर से गाजे-बाजे के साथ सुबह 9.30 बजे शोभा यात्रा निकाली गई, जो बिष्टुपुर मेन रोड़ होते हुए वापस मंदिर में आकर संपन्न हुई। शोभा यात्रा के दौरान भक्तों ने कई जगहों पर भागवत की पूजा की। सैकड़ों की संख्या में भक्तगण शोभा यात्रा में शामिल हुए। भक्तों का कई स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया।