छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: मायावी संसार में आज रिश्ते स्वार्थपूर्ण हैं। केवल भक्त और भगवान का रिश्ता ही निष्कपट होता है। विगत सात दिनों की कथा का सार सुनाते हुए व्यासपीठ से कथावाचक संजीव कृष्ण ठाकुर ने यह बात कही। श्री राधामाधव सेवाश्रय चैरीटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का सोमवार को समापन हुआ।

सत्यनारायण मंदिर में पूर्णाहुति हवन

कथा का सार सुनाते हुए संजीव कृष्ण ने कहा कि जीव जब भी समर्पण भाव से अपने आराध्य का स्मरण करता है, परमात्मा अपने भक्त के कल्याण के लिए दौड़े चले आते हैं। संसार में भक्ति का मार्ग ही ऐसा है जो सत्संग के माध्यम से कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। वैसे भी धर्म मिलता है मातृभाषा में। अर्थ मिलता है देवनागरी में। काम मिलता है अंग्रेजी में और मोक्ष मिलता है संस्कृत से। इसलिए अपने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के बीच का समन्वय बनाना ही सिद्धि है। गौवंश की रक्षा के लिए नए अध्यादेश की प्रशंसा करते हुए कहा कि काश ऐसा पूर्ववर्ती सरकारें भी करतीं। कथा के विश्राम के बाद श्रीमद्भागवत को फिर से मंदिर में स्थापित किया गया और बिष्टुपुर स्थित सत्यनारायण मंदिर में पूर्णाहुति हवन हुआ।