- 25 को मनाया जाएगा भाई दूज का त्यौहार

- सुबह 8.31 से सूर्य अस्त होने तक है शुभ मुहूर्त

BAREILLY: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाए जाने वाले भाई दूज पर्व को यम द्वितिया भी कहते हैं। दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाने वाला भाई दूज का त्यौहार भाई और बहन के प्रेम के रिश्ते को और मजबूत बनाता है। इस दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक कर दीर्घायु की कामना करती हैं। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार इस दिन को विधि-विधान के साथ मनाया जाए तो भाई और बहन दोनों को ही लंबी उम्र और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य पं। राजेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि शुभ मुहूर्त सुबह 8.फ्क् बजे से सूर्य अस्त होने तक है। स्नान करने के बाद यम पूजन का विशेष महत्व होता है। बहनें रोली अक्षत का टीका लगाकर भाई की लंबी उम्र की कामना करते हुए आरती करें। भाई अपनी बहन को उपहार दें। बहनें खुद से ही भोजन बनाकर भाई को खिलाएं तो कष्ट दूर होंगे। ऑनलाइन पूजा करने वाले भाई बहन को भी शुभ फल की प्राप्ति होगी।

पूजा की थाली

किसी भी पूजा, व्रत और उपवास के लिए प्रयोग की जाने वाली थाली का विशेष महत्व होता है। भाई दूज पर पूजा की थाली में मिठाई, गोला, पकवान, रोली, गिफ्ट, खील खिलौने विशेष रूप से होने चाहिए। थाली में यदि बहनें अपने भाई की पसंद की मिठाई और खिलौने रखें तो उत्तम फल की प्राप्ति होती है।

यह पर्व भाई और बहन के निश्छल प्रेम को प्रकट बढ़ाने वाला पर्व है। चूरा, चंदन का तिलक कर बहनें भाई की दीर्घायु की कामना करें।

-पं। राजेंद्र त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य

यम की पूजा करने के बाद बहनें भाई का तिलक करें। अपने हाथों से भोजन बनाकर प्रेम के साथ भाई को खिलाएं तो अतिउत्तम रहेगा।

-पं। डॉ। संजय सिंह, ज्योतिषाचार्य