भारतीय सिनेमा जगत में 50 वर्षों तक योगदान दे चुकीं भानू अथैया चाहती हैं कि उनके जाने के बाद ऑस्कर ट्राफी किसी सुरक्षित स्थान पर रखा जाए।

बीबीसी से हुई बातचीत में भानू अथैया ने कहा, ''सबसे बड़ा सवाल ट्रॉफी की सुरक्षा का है, भारत में पहले कई अवार्ड गायब हुए है। मैने इतने सालों तक अवार्ड को इंजॉय किया है, चाहती हूँ कि वो आगे भी सुरक्षित रहे.''

उन्होंने आगे कहा, ''मै अक्सर ऑस्कर ऑफिस जाती हूँ, मैने देखा कि वहां कई लोगों ने अपने ट्रॉफी रखे हैं। अमरीकी कॉस्ट्यूम डिजायनर एडिथ हेड ने भी मरने से पहले अपने आठ ऑस्कर ट्रॉफियों को ऑस्कर ऑफिस में रखवाया था.''

भानू अथैया को साल 1982 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘गांधी’ में कॉस्ट्यूम डिज़ायन करने के लिए ऑस्कर पुरस्कार दिया गया था। इस फिल्म को ब्रितानी निर्देशक रिचर्ड ऑटेनबॉरो ने बनाया था।

यादें

भानू अथैया ने ऑस्कर समारोह की उस शाम को याद करते हुए कहा, ''डोरोथी शिंडलेयर पवेलियन में हो रहे समारोह में गाड़ी से मेरे साथ फिल्म के लेखक भी जा रहे थे। उन्होंने कहा था कि उन्हें लगता है कि अवार्ड मुझे ही मिलेगा.''

उन्होंने कहा, ''साल 1983 के ऑस्कर समारोह में बैठे दूसरे डिज़ायनर्स भी यही कह रहे थे कि अवार्ड मुझे ही मिलेगा, तो मैंने पूछा कि ऐसा इतने विश्वास से आप कैसे कह सकते है? इस सवाल पर उन लोगों ने मुझे जवाब दिया कि आपके फिल्म का दायरा इतना बड़ा है कि उससे हम प्रतियोगिता नहीं कर सकते है.''

भानू अथैया ने आगे कहा, ''अवार्ड लेते वक्त मैने सिर्फ यही कहा था कि मै सर रिचर्ड ऑटेनबरो का शुक्रिया अदा करती हूँ कि उन्होंने दुनिया का ध्यान भारत की तरफ खींचाधन्यवाद अकादमी.''

पचास के दशक से भारतीय सिनेमा में सक्रिय भानू अथैया ने 100 से ज्यादा फिल्मों के लिए कपड़े डिज़ायन किए है। ऑस्कर के अलावा उन्हें दो राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले है। वो चित्रकारी में गोल्ड मेडेलिस्ट भी है और इसी वजह से रिचर्ड ऑटेनबॉरो ने उन्हें फिल्म में चुना था। भानू अथैया का मानना है कि अगर उनकी ट्रॉफी ऑस्कर के दफ्तर में रखी जाए तो काफी सारे लोग इसे देख पाएंगे।

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