मां दुर्गा की प्रतिमाएं पहुंची पूजा पंडालों में, बोधन, आमंत्रण व अधिवास की पूरी की गयी परंपरा

VARANASI

मां नींद में थीं। भक्तों ने उन्हें जगाया (बोधन) और पूजा पंडालों में पधारने का आग्रह (आमंत्रण) किया। मां ने अपने भक्तों का आमंत्रण स्वीकार किया। भक्तों ने बड़े ही श्रद्धा और भक्ति के साथ उनकी प्रतिमा को पंडालों में प्रवेश कराया। यह नवरात्र की महाषष्ठी तिथि मंगलवार थी। भक्तों ने पूरी श्रद्धा और समर्पण के भाव से मां दुर्गा की प्रतिमा को पंडालों में प्रतिष्ठापित कराया। अब उनका आशीर्वाद मिलेगा। हर कोई सफल होगा हर कोई संपन्न होगा। बुधवार को महासप्तमी तिथि के उजाले के साथ ही नव प्रत्रिका प्रवेश का पारंपरिक अनुष्ठान होगा। इसी के साथ जीवंत हो उठेंगी मृणमयी और इसी के साथ तीन दिवसीय शारदोत्सव की शुरुआत हो जायेगी।

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आज पूजित होंगी 'कोलाबोऊ'

सप्तमी को होने वाले नव पत्रिका प्रवेश की परंपरागत पूजा में पर्यावरण प्रेम का महान संदेश भी पुष्ट होता है। मां को कोला बोऊ का रूप दिया जाता है। जिनमें नौ अलग-अलग वनस्पतियों (केला, अरवी, हल्दी, जयंती, बिल्व, अनार, अशोक, सूरन व धान की बाली) के नये पत्तों की पूजा होती है। यह सभी वनस्पतियां इन्हीं दिनों तैयार होती हैं। नौ वनस्पितियों के ये पत्ते देवी के नौ विविध स्वरूपों के प्रतीक हैं। मां को प्रकृति का प्रतिरूप मान कर केले के छोटे तने को बहू की तरह सजाया जाता है और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 'कोला बोऊ' की पूजा की जाती है।