'इंस्पायर इंटर्नशिप साइंस प्रोग्राम'

के चौथे दिन स्कूली बच्चे गणित की बारीकियों से हुए वाकिफ

स्टूडेंट्स ने आईआईटी और बीएचयू के विभिन्न लैब का किया भ्रमण

VARANASI

साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर से बीएचयू में चल रहे पांच दिवसीय 'इंस्पायर इंटर्नशिप साइंस प्रोग्राम' के चौथे दिन बुधवार को स्टूडेंट्स ने गणित का विज्ञान जाना। इलाहाबाद से आए प्रो। रामजीलाल ने बड़े रोचक तरीके से गणित के विभिन्न ब्रांचेज के आपसी सम्बन्ध को बच्चों के सामने रखा। उन्होंने बताया कि तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना विशुद्ध गणितीय तर्क के आधार पर की है। विज्ञान की तमाम अवधारणाओं को उन्होंने चौपाइयों के माध्यम से समझाया। प्रो। रामजीलाल ने कहा कि 'गणित का लक्ष्य ही है सत्य की खोज' गणित और कुछ नहीं अपितु 'पहेली और समस्या' का पुंज है। उन्होंने बताया कि मध्यकालीन कवि उमर ख़ैयाम की ख्याति शायर के रूप में है। पर सच्चाई यह है कि उनकी हर रुबाइ के पीछे गणित का ही तर्क काम करता है। उन्होंने बच्चों से कहा कि वे समय निकालकर 'गणित क्या है?' जैसी पुस्तकों का अवश्य अध्ययन करें।

बच्चों की कमी नहीं उल्टी करना

कार्यक्रम के दूसरे सेशन में बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रो। अरविंद एम कायस्थ ने घर, उद्योग, तकनीक में एंजाइम्स के बहुउपयोग को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि शिशु दूध के प्रति अपनी अरुचि दिखाता है और जब उन पर दबाव बनाया जाता है तो उसे पीने के बाद उल्टी कर देते है। उन्होंने बताया की शोध द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि इसके पीछे वस्तुत: 'लैक्टोज़ इंटालेरेन्स' काम करता है। इसमे बच्चों का कोई दोष नहीं होता है। ऐसे मामलों में हमे धैर्य से काम लेना चाहिए और उसकी समस्या का निदान ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए।

एंजाइम्स है वरदान

प्रो। अरविंद एम कायस्थ ने बताया कि एंजाइम्स आज हमारे लिए वरदान साबित हो रहे हैं। इस क्षेत्र में रिसर्च की बहुत संभावनाएं हैं। स्टूडेंट्स ने आईआईटी और बीएचयू के विभिन्न लैब का भ्रमण कर वहां रखी मशीनों के बारे में जानकारी हासिल की। स्टूडेंट्स की जिज्ञासा को प्रो। डीसी राय, प्रो। आरके पांडे, प्रो। आरएन राय, डॉ। आनंददेव, डॉ। अजीत, डॉ। विनोद राय, सुनील कुमार सिंह ने जवाब देकर शांत किया। शाम को बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए ।